बेरोजगारी दर एक बार फिर दो अंकों में पहुंच गई है। इससे पहले बेरोजगारी दर केवल एक बार दो अंकों में गई थी जब अप्रैल-मई 2020 के दौरान पूरे देश में बेहद सख्त लॉकडाउन लगा हुआ था। हालांकि इस बार भी कोविड की दूसरी लहर में कई तरह की बंदिशें लगी हैं लेकिन वे पिछले साल के लॉकडाउन जैसी ज्यादा सख्त नहीं हैं। ऐसे में बेरोजगारी दर का दो अंकों में पहुंचना यह संकेत देता है कि अपेक्षाकृत नरम पाबंदियां भी अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर डाल रही हैं।
गत 16 मई को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर ने 14.5 फीसदी का आंकड़ा छू लिया था। उसके बाद 23 मई को खत्म हफ्ते में यह 14.7 फीसदी हो गई। इससे पहले 9 मई को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर 8.7 फीसदी दर्ज की गई थी। पिछले दो हफ्तों में बेरोजगारी दर अचानक तेजी से बढ़ी है। साप्ताहिक अनुमान से असल में महीना खत्म होने के पहले ही एक शुरुआती संकेत मिल जाता है। अप्रैल 2021 में बेरोजगारी दर 8 फीसदी पर थी। लेकिन मई के तीन हफ्तों में बेरोजगारी दर के लगातार बढ़ते जाने से यही लग रहा है कि महीना खत्म होने पर मासिक बेरोजगारी दर 10 फीसदी के ऊपर ही रहेगी।
एक पैमाने से देखें तो बेरोजगारी दर ने 10 फीसदी का निशान 21 मई को ही पार कर लिया है। उस दिन बेरोजगारी दर का 30-दिवसीय चल औसत 10.3 फीसदी दर्ज किया गया और उसके बाद से उसके ऊपर ही बना हुआ है। 23 मई को यह 10.6 फीसदी पर पहुंच गया। बेरोजगारी दर का 30-दिवसीय चल औसत एक तरह से महीने भर का अनुमान होता है लेकिन इसे पूर्ववर्ती 30 दिन के दैनिक आंकड़ों के आधार पर निकाला जाता है।
बेरोजगारी दर देश के ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही इलाकों में बढ़ रही है। शहरी बेरोजगारी दर आम तौर पर ग्रामीण भारत की तुलना में कहीं अधिक होती है। गत 6 मई को ही शहरी बेरोजगारी दर दो अंकों में जा पहुंची थी जब 30-दिवसीय चल औसत 10.2 फीसदी दर्ज किया गया। उसके बाद से यह लगातार बढ़ती रही है। 20 मई को यह 12 फीसदी तक जा पहुंची और 23 मई को तो 12.7 फीसदी आंकी गई है। शहरी बेरोजगारी दर के मई 2021 में दो अंकों में रहने के पूरे आसार हैं। अप्रैल-जून 2020 के लॉकडाउन वाले दौर के बाद शहरी बेरोजगारी दर के दो अंकों में रहने का यह पहला मौका होगा।
शहरी बेरोजगारी दर अप्रैल 2021 के शुरुआती दिनों से ही बढ़त पर है। गत 1 अप्रैल को इसका 30-दिवसीय चल औसत 7.2 फीसदी था लेकिन 1 मई को यह 9.6 फीसदी पर जा पहुंचा और 23 मई को आंकड़ा 12.7 फीसदी हो गया।
ग्रामीण भारत में बेरोजगारी दर बढऩा अपेक्षाकृत नई परिघटना है। ग्रामीण बेरोजगारी दर मई के महीने में तेजी से बढ़ी है। गत 1 अप्रैल को ग्रामीण बेरोजगारी दर 6.2 फीसदी आंकी गई थी लेकिन 1 मई को यह 7.1 फीसदी पर पहुंच गई। हालांकि 7 मई को समाप्त सप्ताह में यह आंशिक गिरावट के साथ 6.7 फीसदी रही लेकिन इसके बाद इसमें तीव्र उछाल देखी जाने लगी। गत 23 मई को ग्रामीण बेरोजगारी दर 9.7 फीसदी पर जा पहुंची। अप्रैल में ग्रामीण इलाके में रोजगार को मनरेगा जैसी योजनाओं से खासा समर्थन मिला था। इस योजना के तहत अप्रैल में 34.1 करोड़ रोजगार अवसर सृजित हुए थे जो कि जुलाई 2020 के बाद का उच्चतम स्तर है।
हाल के वर्षों में ग्रामीण भारत में औसत बेरोजगारी दर करीब 6 फीसदी रही है। पिछले साल लॉकडाउन लगने के पहले ग्रामीण क्षेत्रों में मासिक बेरोजगारी दर शायद ही 8 फीसदी रही हो। इस लिहाज से 9.7 फीसदी की बेरोजगारी दर खासी ज्यादा है। इससे पता चलता है कि मनरेगा के तहत और ज्यादा रोजगार दिए जाने की जरूरत है।
मई 2021 में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ते जाने के पीछे लोगों का रोजगार छिन जाना एक बड़ा कारण हो सकता है। यानी पहले से रोजगार में लगे लोग इस महीने बेरोजगार होने लगे हैं। ऐसा मानने की वजह यह कि श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) में कोई वृद्धि नहीं हुई है। अगर बेरोजगारी दर एलपीआर में वृद्धि के साथ बढ़ती तो यह कहा जा सकता था कि बेरोजगारी दर में वृद्धि रोजगार की तलाश कर रहे लोगों की संख्या बढऩे से हुई है। लेकिन यहां पर ऐसी स्थिति नहीं है। एलपीआर में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। अप्रैल 2021 में एलपीआर 39.98 फीसदी थी और 23 मई को यह 40.01 फीसदी आंकी गई है। बेरोजगारी दर में वृद्धि दर्शाती है कि इस महीने में रोजगार घट गए हैं। ऐसा होना बेहद तनावपूर्ण है।
मई 2021 के दौरान रोजगार दर में तीव्र गिरावट से बड़े पैमाने पर रोजगार का नुकसान दिख रहा है। अप्रैल 2021 में रोजगार दर 36.8 फीसदी दर्ज की गई थी। गत 23 मई को रोजगार दर का 30-दिवसीय चल औसत 35.8 फीसदी आंका गया है। इस तरह रोजगार दर में 100 आधार अंक की गिरावट आई है जिसे रोजगार संख्या में तब्दील करें तो आंकड़ा 1 करोड़ हो जाता है। यह संख्या अप्रैल 2021 में हुई 73.5 लाख रोजगार क्षति से काफी अधिक होगी। रोजगार में जनवरी 2021 से ही लगातार कमी आ रही है। जनवरी एवं अप्रैल के दौरान रोजगार अवसरों में करीब 1 करोड़ की कमी आई। और मई में भी यह सिलसिला बने रहने के आसार नजर आ रहे हैं।
हालांकि मई 2021 खत्म होने में अभी एक हफ्ते का वक्त बाकी है। इस दौरान रोजगार में अनुमानित गिरावट की स्थिति सुधर सकती है या फिर बिगड़ भी सकती है। लेकिन रोजगार क्षति कायम रहेगी। मई 2021 का समापन दो अंकों वाली बेरोजगारी दर के साथ होगा, रोजगार दर में गिरावट जारी रहेगी और तमाम लोगों के रोजगार छिनेंगे।