मई 2021 में 11.9 फीसदी पर जा पहुंची बेरोजगारी दर का जून के पहले सप्ताह में भी बढऩा जारी रहा। गत 6 जून को 30 दिनों की चल औसत बेरोजगारी दर 13 फीसदी आंकी गई। श्रम भागीदारी दर 40 फीसदी के स्तर से भी नीचे आते हुए 39.7 फीसदी पर लुढ़क चुकी है। श्रम बाजार के सबसे अहम संकेतक मानी जाने वाली रोजगार दर में भी गिरावट का सिलसिला कायम है। मई में 35.3 फीसदी पर रही रोजगार दर 6 जून को 34.6 फीसदी दर्ज की गई। अप्रैल-मई 2020 में लगे सख्त लॉकडाउन के बाद से भारतीय श्रम बाजार अपनी सबसे खराब स्थिति में है।
पिछले चार हफ्तों में श्रम बाजार के हालात बड़ी तेजी से बिगड़े हैं। यह सिलसिला 16 मई को समाप्त सप्ताह में शुरू हुआ था। उस हफ्ते में श्रम भागीदारी दर 40.5 फीसदी पर थी जो पिछले साल के लॉकडाउन के बाद के कई महीनों में 40.4 फीसदी के औसत पर रही दर से मामूली अधिक थी। लेकिन बेरोजगारी दर कई हफ्तों तक 8 फीसदी के आसपास रहने के बाद उस हफ्ते में अचानक ही 14.5 फीसदी पर जा पहुंची थी। इसका मतलब है कि 16 मई को समाप्त सप्ताह में अचानक ही बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए और उन्हें नया रोजगार भी नहीं मिल पा रहा था।
उसके अगले हफ्ते में हालात और बिगड़ गए। 23 मई को खत्म हफ्ते में बेरोजगारी दर 14.7 फीसदी हो गई। ऐसा श्रम भागीदारी दर के 39.4 फीसदी पर लुढ़कने के बावजूद हुआ। दरअसल उससे पहले के हफ्ते में असामान्य रूप से अधिक रही बेरोजगारी दर ने लोगों को काम की तलाश से हतोत्साहित कर दिया था। लिहाजा उन्होंने बेरोजगार होने के बावजूद नए रोजगार की तलाश भी कम कर दी थी जिससे श्रम भागीदारी दर में गिरावट आई थी। श्रम भागीदारी दर के कम होने और ऊंची बेरोजगारी दर का नतीजा यह हुआ कि रोजगार दर करीब एक साल के निम्नतम स्तर 33.6 फीसदी पर पहुंच गई। यह 7 जून, 2020 को समाप्त सप्ताह के बाद का सबसे निचला स्तर था।
गत 30 मई को खत्म सप्ताह में कुछ हद तक हालात सुधरते दिखे। बेरोजगारी दर हफ्ते भर पहले के 14.7 फीसदी से कम होकर 12.2 फीसदी हो गई लेकिन कामगारों पर ऊंची बेरोजगारी दर की मार पडऩे का सिलसिला जारी रहा। उच्च बेरोजगारी दर से उपजी निराशा श्रम भागीदारी दर में गिरावट के रूप में नजर आई और यह 39 फीसदी के स्तर पर आ गई।
कामगारों में अपने रोजगार को लेकर हताशा का भाव समझा जा सकता है क्योंकि 6 जून को समाप्त सप्ताह में बेरोजगारी दर फिर से बढ़कर 13.6 फीसदी पर पहुंच गई है। श्रम भागीदारी दर लगातार 40 फीसदी से कम स्तर पर बनी हुई है। पिछले तीन हफ्तों में श्रम भागीदारी दर का औसत 39.2 फीसदी रहा है। श्रमिक भागीदारी में गिरावट का सिलसिला जारी रहना निश्चित रूप से चिंता की बात है।
श्रम भागीदारी दर के कम होने और बेरोजगारी दर के अधिक होने का मतलब है कि रोजगार दर में भी गिरावट आई है। इस तरह वास्तविक रोजगार परिदृश्य भी बिगड़ा है। रोजगार दर अप्रैल 2021 में 36.8 फीसदी पर थी और मई 2021 में यह 35.3 फीसदी पर आ गई। इसका असर 1.53 करोड़ लोगों के बेरोजगार होने के तौर पर सामने आया। गत 6 जून को रोजगार दर का 30-दिवसीय चल औसत 34.6 फीसदी पर आ गया। बीते हफ्ते में तो यह 33.9 फीसदी के खराब स्तर पर आ गई। इसका मतलब है कि और लोगों को रोजगार गंवाना पड़ा है।
सच तो यह है कि जनवरी 2021 से ही रोजगार कम होता जा रहा है। उस समय 40.07 करोड़ के शिखर पर रहा रोजगार अगले चार महीनों में हर बार गिरता गया है। फरवरी में रोजगार 25 लाख कम हुआ, मार्च में 10 लाख गिरा, अप्रैल में 74 लाख और मई में तो 1.53 करोड़ लोगों का रोजगार छिन गया। इस तरह जनवरी के बाद से मई तक कुल 2.53 करोड़ लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इन चार महीनों में काम कर रहे कुल लोगों में से 6.3 फीसदी के रोजगार चले गए।
हालिया आंकड़े बताते हैं कि रोजगार में गिरावट का सिलसिला जून के पहले हफ्ते में भी शायद थमा नहीं है। हालांकि रोजगार ह्रास का यह सिलसिला आगामी हफ्तों में कुछ हद तक थमने की संभावना है क्योंकि महामारी की वजह से लगी पाबंदियां अब धीरे-धीरे हटने लगी हैं। मई के महीने में देश के अधिकांश हिस्सों में स्थानीय स्तर पर लगे लॉकडाउन की मार झेलने वाले दिहाड़ी मजदूरों को अगले कुछ हफ्तों में राहत मिल सकती है। करीब 1.7 करोड़ दिहाड़ी मजदूरों एवं खोमचे-फेरीवाले जैसे छोटे कारोबारियों को मई 2021 में बेरोजगार होना पड़ा। इनमें से अधिकांश लोगों के काम बंद होने का कारण मई में लगी लॉकडाउन पाबंदियां ही थीं। बहरहाल जून में आवाजाही एवं कारोबारी गतिविधियों पर लगी बंदिशें कम होने से उम्मीद की जा सकती है कि ये कामगार फिर से रोजगार की तलाश में जुट जाएंगे।
हम स्थानीय लॉकडाउन की वजह से असंगठित क्षेत्रों में खत्म हुए अनौपचारिक रोजगार की तत्काल रिकवरी की उम्मीद कर सकते हैं। लेकिन लॉकडाउन से इतर भी रोजगार में स्थायी गिरावट देखी गई है। जनवरी 2021 से गैर-कृषि क्षेत्र में कुल 3.68 करोड़ लोगों के रोजगार छिन चुके हैं। इनमें से दिहाड़ी मजदूरों की संख्या 2.31 करोड़ है जबकि वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 85 लाख है। बाकी लोग कारोबार से जुड़े रहे हैं। रोजगार परिदृश्य के फिर से वर्ष 2019-20 के स्तर पर पहुंचने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूत रिकवरी की जरूरत होगी।
बंदिशें हटाने की प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही मई में रोजगार गंवाने वाले लोगों में से करीब दो-तिहाई को फिर से काम मिलने की उम्मीद की जा सकती है। इस तरह मई 2021 में बेरोजगार हुए कुल 2.5 करोड़ गैर-कृषि कामगारों में से करीब 1.7 करोड़ लोगों को फिर से काम मिल सकता है।