facebookmetapixel
सीतारमण बोलीं- GST दर कटौती से खपत बढ़ेगी, निवेश आएगा और नई नौकरियां आएंगीबालाजी वेफर्स में 10% हिस्सा बेचेंगे प्रवर्तक, डील की वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये तकसेमीकंडक्टर में छलांग: भारत ने 7 नैनोमीटर चिप निर्माण का खाका किया तैयार, टाटा फैब बनेगा बड़ा आधारअमेरिकी टैरिफ से झटका खाने के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ पर नजर टिकाए कोलकाता का चमड़ा उद्योगबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछालGST कटौती से व्यापारिक चुनौतियों से आंशिक राहत: महेश नंदूरकरभारतीय IT कंपनियों पर संकट: अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने उठाई आउटसोर्सिंग रोकने की मांग, ट्रंप से कार्रवाई की अपीलBRICS Summit 2025: मोदी की जगह जयशंकर लेंगे भाग, अमेरिका-रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश में भारतTobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहेंसाल 2025 में सुस्त रही QIPs की रफ्तार, कंपनियों ने जुटाए आधे से भी कम फंड

Editorial: IT Sector में lay off से सबक

माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपने कर्मचारियों की संख्या में 6,000 की कटौती की खबर यह बताती है कि कैसे आईटी सेक्टर में AI ने कंपनी की जरुरतों को बदला है।

Last Updated- May 15, 2025 | 10:34 PM IST
62% of Indian professionals agree AI crucial for career: LinkedIn survey करियर में ग्रोथ चाहिए तो AI पर ज्ञान बढ़ाइए, LinkedIn सर्वे में 62% कर्मचारियों ने बताया फॉर्मूला
प्रतीकात्मक तस्वीर

माइक्रोसॉफ्ट द्वारा अपने कर्मचारियों की संख्या में 6,000 की कटौती की खबर यह बताती है कि कैसे सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी समर्थित सेवा क्षेत्र में जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के तेज विकास ने श्रम की जरूरतों को बदला है। माइक्रोसॉफ्ट को अपने कर्मचारियों की संख्या कम कर संसाधनों को नई प्रौद्योगिकियों में निवेश करते हुए नए विकास और अनुसंधान क्षेत्रों की ओर बढ़ने के लिए जाना जाता है। इस मामले में भी ऐसा ही होता नजर आ रहा है। कंपनी ने एक वित्त वर्ष में 80 अरब डॉलर के निवेश की योजना बनाई है जिसके चलते कंपनी के वेतन बिल में निरंतर कमी की जरूरत है।

गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट जैसे उसके प्रतिस्पर्धियों ने पहले ही इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हालांकि वे एक बार में कुछ सौ कर्मचारियों की ही छंटनी कर रहे हैं और इस दौरान कुछ खास शाखाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। तुलनात्मक रूप से देखें तो माइक्रोसॉफ्ट की योजना इस बार एक झटके में अपने तीन फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकलने की है। यह काम छिटपुट ढंग से हो या बड़े पैमाने पर इसकी दिशा एकदम स्पष्ट है: बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों को अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए एआई के विकास पर जोर देना होगा। उनको यह अपने कर्मचारियों की संख्या कम करने की कीमत पर भी करना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ें…AI और क्लाउड पर फोकस करने के लक्ष्य के साथ TCS ने नेतृत्व में किया बड़ा बदलाव, आरती सुब्रमण्यन बनीं नई COO

भारत में भी इस क्षेत्र के लिए इसमें अहम सबक हैं। जैसा कि इस समाचार पत्र ने भी प्रकाशित किया था, कारोबारी क्षेत्र में एआई का प्रभाव पहले ही महसूस किया जाने लगा है। यह क्षेत्र लंबे समय से एक बड़ा नियोक्ता और निर्यात से कमाई करने वाला क्षेत्र था। पुरानी शैली के कॉल सेंटर और इंसानों द्वारा समर्थित ग्राहक सेवाएं अब समाप्त हो रही है। जेनरेटिव एआई हर कर्मचारी को ज्यादा काम करने में समर्थ बनता है और एजेंटिक एआई कई बार ऐसे काम करने में सक्षम है जो पहले किसी इंसान द्वारा किए जा चुके हों। इनकी बदौलत हर कर्मचारी द्वारा किए जाने वाले कामों में कमी आएगी। जनवरी में एआई उद्यमी सैम ऑल्टमैन ने कहा था कि इस साल पहले एआई एजेंट देखने को मिलेंगे। उन्होंने यह भी कहा था, ‘वे कामगारों में शामिल होंगे और कंपनियों का उत्पादन बदल कर रख देंगे।’

कई उपभोक्ता क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों ने ग्राहक पूछताछ में ऐसे क्षेत्र चिह्नित किए हैं जिनसे एआई की मदद से निपटा जा सकता है। इस समाचार पत्र में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक एक आईटीईएस कंपनी जो देश के एक बड़े कारोबारी समूह को ग्राहक सेवा मुहैया कराती है, उसके वॉयस और डिजिटल मंच से संपर्क का 30 और 40 फीसदी काम एआई एजेंट संभाल रहे हैं। इससे ग्राहक सेवा पर होने वाले व्यय में भी कमी आ सकती है। इसके साथ ही इसने कई मामले में समस्या निवारण का समय भी 30 से 40 फीसदी तक कम किया है। कई ग्राहकों के लिए यह किफायत में उल्लेखनीय सुधार है तो कई अंशधारकों के लिए यह उल्लेखनीय मूल्यवर्धन है।

 बहरहाल हमें एआई में इस व्यापक वृद्धि के प्रभाव के लिए भी तैयार रहना चाहिए। अनुमान बताते हैं कि देश में करीब 15 लाख कॉल सेंटर एजेंट हैं। आम धारणा के उलट हाल के वर्षों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है और कोविड महामारी के समय से अब तक यह करीब दोगुनी हो चुकी है। इनमें से कई घरेलू मांग पर केंद्रित हैं क्योंकि भारतीय उपभोक्ता अपने अधिकारों को लेकर अधिक सचेत हुए हैं और ग्राहक सेवा से उनकी अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं।

सवाल यह है कि इन नौकरियों का क्या होगा? इस बात की अच्छी खासी संभावना है कि ये अधिक बेहतर हो सकते हैं क्योंकि कुछ कॉल सेंटर कर्मचारी एआई एजेंट्स के प्रशिक्षक बन सकते हैं। स्थानीय सॉफ्टवेयर दिग्गज इसे सही ढंग से निभाएंगे तो एआई विकास के क्षेत्र में भी नई नौकरियां तैयार होंगी। परंतु शुरुआती स्तर की नौकरियों में कमी आएगी। इसके साथ ही विशिष्ट कौशल के बिना आईटीईएस क्षेत्र में रोजगार पाना भी कठिन हो सकता है। कॉर्पोरेट जगत और सरकार दोनों को सावधानीपूर्वक इस बात की जांच करने की आवश्यकता है कि जेनरेटिव और एजेंटिक एआई को अपनाने में आने वाली आवश्यकताओं और मानव पूंजी में परिवर्तन के लिए भारतीय कार्यबल को तैयार करने के लिए क्या करना होगा।

 

First Published - May 15, 2025 | 10:24 PM IST

संबंधित पोस्ट