संपादकीय

Editorial: निर्यात पर निर्भरता के चलते चीन की टिकाऊ आर्थिक तेजी को गंभीर चुनौती

निर्यात पर अत्यधिक निर्भरता के कारण चीन में घरेलू मांग और निजी उपभोग को कमजोर किया गया है, जिससे टिकाऊ आर्थिक वृद्धि की प्रक्रिया प्रभावित की जा रही है

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- December 15, 2025 | 9:54 PM IST

पिछले एक वर्ष के वैश्विक आर्थिक रुझानों को सबसे अधिक आकार देने वाली ताकत थी अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा व्यापार नीति में बदलाव का निर्णय तथा शुल्क लगाने पर ध्यान केंद्रित करना। लेकिन अगर उनका इरादा यह था कि वह दुनिया की निर्यात महाशक्ति चीन को वैश्विक बाजारों से पीछे हटने पर विवश करेंगे तो वह नाकाम रहे हैं। चीन का व्यापार अधिशेष 2025 के पहले 11 महीनों में एक लाख करोड़ डॉलर का आंकड़ा पार कर गया है। चीन के आर्थिक योजनाकारों ने जितना सोचा होगा, शुल्क वृद्धि का उन पर उससे कम ही असर हुआ। फिलहाल जो हालात हैं उसमें हमने देखा कि इस साल निर्यात पर चीन की निर्भरता उसकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि का ही सबब बनी है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ और चीन का नेतृत्व इस बात पर कमोबेश सहमत हैं कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की घरेलू मांग निर्यात को विकास के वाहक के रूप में प्रतिस्थापित करने की दृष्टि से पर्याप्त तेजी से विकसित नहीं हो रही है। पिछले सप्ताह आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालीना जॉर्जीवा ने पत्रकारों से कहा कि चीन को अपनी दशकों की पुनर्संतुलन प्रक्रिया को गति प्रदान करने और अर्थव्यवस्था में निजी उपभोग को बढ़ाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था निर्यात पर निर्भर रहने की दृष्टि से बहुत बड़ी हो गई है। व्यापक अर्थों में उनकी बात सही है। न केवल उसकी अपनी अर्थव्यवस्था में बल्कि पूरी दुनिया में नदारद कारक चीन के उपभोक्ता ही हैं। मुख्य भूमि चीन के परिवारों को अधिक उपभोग और आयात करना होगा। यही इकलौता तरीका है जिससे निवेश और मांग अपने संभावित स्तर तक पहुंच सकेंगे।

यही अनुपलब्ध कारक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो को भी प्रभावित कर रहा है। हालिया बैठक में उसने कहा कि घरेलू मांग को मुख्य चालक के रूप में अपनाया जाएगा और एक मजबूत घरेलू बाजार तैयार किया जाएगा। सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि इस साल की दूसरी छमाही में खपत कमजोर रही जबकि पहली छमाही में कई सब्सिडी भुगतानों की बदौलत इसमें इजाफा हुआ था। अब वे नदारद हैं।

खुदरा बिक्री में इजाफा हुआ है लेकिन समग्र आंकड़ों की तुलना में यह धीमा रहा है। दो दशकों में पहली बार परिवारों का ऋण लगातार दो महीनों तक कम हुआ है क्योंकि अनिश्चितता के शिकार चीनी नागरिक ऋण बढ़ने को लेकर चिंताग्रस्त हो गए हैं और उन्होंने ऋण को चुकाना आरंभ कर दिया है। खासतौर पर निवेश प्रधान अर्थव्यवस्था के लिए स्थिर-परिसंपत्ति पूंजीगत व्यय वास्तव में 2026 के पहले 10 महीनों में 1.7 फीसदी तक कम हो गया है।

चीन की सरकार जरूरी सुधारों को अपनाने को लेकर अब तक हिचकिचाहट में रही है और अब वह इस देरी का परिणाम भुगत रही है। देश के प्रॉपर्टी बाजार में दशकों पुरानी समस्या उपभोक्ताओं के आत्मविश्वास को अब तक हिलाए हुए है। दिक्कत यह है कि उस क्षेत्र में समस्याएं बनी हुई हैं। तेजी के दौर में उभरे डेवलपर्स में से एक ने खुलासा किया है कि सरकारी बैंकों ने उसके 50 अरब डॉलर के लोन बुक से समर्थन वापस ले लिया है।

चीनी परिवार बचत के लिए प्रॉपर्टी पर निर्भर रहते थे क्योंकि निवेश प्रधान सरकार ने ब्याज दरों को कृत्रिम रूप से कम कर रखा था। औसत परिवार के लिए संपत्ति मूल्य वृद्धि का एकमात्र सुरक्षित मार्ग शेष न रहने से उपभोक्ता विश्वास और मांग को गहरा आघात पहुंचा है। इस बीच निजी क्षेत्र (एआई जैसे क्षेत्रों को छोड़कर) अत्यधिक सरकारी निगरानी और नियंत्रण से बाधित है। चीन के पुनर्संतुलन को पूरा करने के लिए जरूरी कदमों के बारे में हम जानते हैं। चीन में अगर कुछ कमी है तो वह है जरूरी काम करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव।

First Published : December 15, 2025 | 9:50 PM IST