भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने 1875 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक काफी सफर तय कर लिया है। इसमें समय के साथ काफी सुधार हुआ है और अब यह देश की वैज्ञानिक उन्नति का प्रतीक है। यह अल्पावधि में और दीर्घावधि में मौसम के रुझानों की विशेषज्ञतापूर्वक जानकारी देता है और मौसम से जुड़ी विपरीत घटनाओं को लेकर समय रहते चेतावनी देता है। चूंकि भारत का मौसम विभाग हाल ही में 150 साल का हुआ है, इसकी महत्ता की अनदेखी नहीं की जा सकती है।
मौसम का पूर्वानुमान विभिन्न क्षेत्रों के रोजमर्रा के काम में अहम भूमिका निभाता है। इनमें खेती, सड़क और रेल परिवहन, उड़ान संचालन, बिजली संयंत्रों से ऊर्जा उत्पादन का प्रबंधन और यहां तक कि पर्यटन भी शामिल हैं। उदाहरण के लिए आईएमडी हवा के चलने की दिशा और गति बताता है, वह दिन के हिसाब से अधिकतम और न्यूनतम तापमान के ऐतिहासिक आंकड़े भी मुहैया कराता है ताकि सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों को लेकर जगह और डिजाइन का निर्धारण किया जा सके।
वर्षा, चक्रवात, लू की चपेट और सूखे का सही अनुमान भी भारत जैसे देशों में आपदा के बेहतर प्रबंधन को लेकर अहम है। पूर्वानुमान का सटीक होना समय के साथ बढ़ता गया। हालांकि अभी भी सुधार की गुंजाइश है। वर्ष1999 में ओडिशा में ‘सुपर साइक्लोन’ के बाद आईएमडी ने लगातार यह प्रयास किया है कि चक्रवात का अनुमान लगाने की उसकी क्षमता में सुधार हो।
वास्तव में चक्रवात को लेकर पूर्वानुमान लगाने की क्षमता 2000 के दशक के आरंभ के 20 फीसदी से बढ़कर 2020 में 80 फीसदी हो चुकी है। इसी प्रकार अतिरंजित मौसम की घटनाओं को लेकर चार-पांच दिन पहले अनुमान लगाने की क्षमता लोगों का जीवन बचाने में बहुत मददगार साबित हो रही है। इसका श्रेय आईएमडी द्वारा ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, ऑटोमेटिक रेन गेज इंस्ट्रूमेंट्स, डॉप्लर रडार और ऑब्जर्वेटरी जैसी उन्नत तकनीक अपनाने को भी दिया जा सकता है।
स्पष्ट है कि आईएमडी का 150 वर्ष का होना भारत जैसे देश के लिए अहम है क्योंकि वह मौसम और जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से तैयार रहना चाहता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पूर्वानुमान लगाना और चुनौतीपूर्ण हो गया है। ऐसे में उसकी भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो गई है। इस संदर्भ में हाल ही में जारी आईएमडी विजन डॉक्यूमेंट 2047 आने वाले वर्षों में अहम खाका पेश करने वाला होगा।
जैसा कि दस्तावेज में कहा गया है आईएमडी को मौसम और जलवायु संबंधी सूचनाओं को बेहतर बनाते हुए अतिरंजित मौसम की घटनाओं में लोगों की जान जाने पर नियंत्रण करना होगा। इसमें ग्रामीण और परिवार के स्तर पर अतिरंजित मौसम की घटनाओं का 100 फीसदी पता लगाना, तीन दिन पहले एकदम सटीक पूर्वानुमान लगाना, सात दिन पहले 80 फीसदी तक सटीक अनुमान लगाना और 10 दिन पहले तक 70 फीसदी सटीक अनुमान लगाना शामिल है।
हाल ही में लॉन्च मिशन मौसम से आईएमडी की मौसम निगरानी, मॉडलिंग, पूर्वानुमान और यहां तक कि मौसमी बदलाव को आंकने की क्षमताओं में इजाफा होने की संभावना है। दो साल के दौरान 2,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ मिशन का उद्देश्य पूरे देश में डॉप्लर रडार नेटवर्क की क्षमता को बढ़ाना है ताकि पूरी तरह रडार कवरेज कायम हो सके। इतना ही नहीं 15 रेडियोमीटर और 15 विंड प्रोफाइलर भी स्थापित किए जाने हैं ताकि सतह और ऊपरी वातावरण का ध्यान रखा जा सके। मौसम में बदलाव संबंधी शोध के लिए वेदर चैंबर स्थापित किए जाने हैं।
आईएमडी के सामने कई चुनौतियां भी कायम हैं, मसलन दीर्घकालिक मौसमी रुझानों का पता लगाना या भारी बारिश की घटनाओं या फिर बाढ़ का पता लगाना। जलवायु परिवर्तन मौसम रुझानों को नए सिरे से तय कर रहा है और शहरीकरण नई मुश्किलें पैदा कर रहा है। आईएमडी को इन जटिलताओं को हल करने में अग्रणी भूमिका निभानी होगी।