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Editorial: जीएसटी के अगले कदम

जीएसटी का मासिक राजस्व करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

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बीएस संपादकीय   
Last Updated- July 04, 2023 | 11:38 PM IST

अपने क्रियान्वयन के छह वर्ष बाद वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली स्थिर नजर आ रही है। अब इसका मासिक राजस्व करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

कर अधिकारियों द्वारा निरंतर किए जा रहे सुधार और केंद्र तथा राज्यों के बीच तालमेल से यह व्यवस्था काफी बेहतर हुई है। बीते वर्षों के दौरान कई हस्तक्षेपों मसलन ई-वे बिल की शुरुआत और ई-इनवॉयस के इस्तेमाल ने किफायत में सुधार किया है। इसमें तकनीक के इस्तेमाल की अहम भूमिका रही है।

उदाहरण के लिए प्रतिफल का अंकेक्षण अब कर अधिकारियों की मर्जी पर नहीं है, इसके बजाय चयन के लिए अलगोरिद्म का इस्तेमाल किया जाता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि ईमानदार करदाताओं को कर प्रशासन के हाथों परेशानी का सामना न करना पड़े। आय कर फाइल करने की प्रक्रिया और प्रशासनिक स्तर पर तकनीक के इस्तेमाल से अनुपालन में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।

बहरहाल, बीते छह वर्षों की सफलताओं के बावजूद जीएसटी प्रणाली में अभी भी सुधार कार्य चल रहा है और इसके कई पहलुओं में सुधार की आवश्यकता है।

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन विवेक जौहरी द्वारा गत सप्ताह दी गई सूचना के मुताबिक कर अधिकारियों की एक विशेष कार्रवाई में 60,000 संदिग्ध फर्मों का पता लगाया गया। 50,000 फर्मों का सत्यापन करने के बाद पाया गया कि इनमें से करीब 25 फीसदी फर्जी थे। इस संदर्भ में प्रशासन की योजना बायोमेट्रिक प्रमाणन तथा जियोटैगिंग अपनाने की है ताकि व्यवस्था को मजबूत बनाया जा सके।

उसने सटीक ठिकानों की पहचान के लिए पतों की जियोटैगिंग की एक प्रारंभिक परियोजना शुरू की है और इससे उपजे अनुभव के आधार पर इसे बड़े पैमाने पर क्रियान्वित करने की कोशिश की जाएगी। कुछ संस्थान जो को-वर्किंग स्पेस का इस्तेमाल करते हैं, उनके बारे में जानकारी है कि उन्होंने अपना मामला उठाया है क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

जीएसटी प्रशासन भी बायोमेट्रिक प्रमाणन को अपना रहा है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि किसका आधार इस्तेमाल किया जा रहा है। कर अधिकारियों को ऐसे कई मामले मिले हैं जहां फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए दावा किया जा रहा है।

उदाहरण के लिए हाल के महीनों में जीएसटी अधिकारियों ने 300 से अधिक गठजोड़ों का पर्दाफाश किया है जिन्होंने अनुमान के मुताबिक करीब 25,000 करोड़ रुपये से अधिक के इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया था।

जीएसटी प्रशासन की इस बात के लिए सराहना की जानी चाहिए कि उसने व्यवस्था में मौजूद भ्रष्ट तत्त्वों की पहचान की और वह संभावित खामियों को दूर करने के लिए प्रयासरत है। इस संदर्भ में यह बात ध्यान देने लायक है कि नई व्यवस्था अथवा कर प्रशासन में परिवर्तन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि अनुपालन का बोझ न्यूनतम हो और पंजीकृत संस्थाओं को कारोबार पर ध्यान देने का अधिक से अधिक मौका मिले।

व्यापक स्तर पर जीएसटी प्रशासन को दो स्तरों पर काम करने की आवश्यकता होगी तभी व्यवस्था में और सुधार आएगा तथा राजस्व संग्रह बढ़ेगा। सबसे पहले कर वंचना और इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावों की निगरानी प्रक्रिया को सतत सुदृढ़ बढ़ाने की आवश्यकता है।

दूसरे स्तर का हस्तक्षेप जीएसटी परिषद को करना होगा। हालांकि हाल के वर्षों में जीएसटी संग्रह में सुधार हुआ है लेकिन अभी हमें वह स्तर हासिल करना है जिसकी परिकल्पना की गई थी। वर्ष 2022-23 में जीएसटी संग्रह के सकल घरेलू उत्पाद के 6.65 फीसदी रहने की उम्मीद है जो 2016-17 के 6.3 फीसदी में उन करों से संग्रहीत राशि से मामूली अधिक होगा जिन्हें जीएसटी में शामिल किया गया था।

इसके अलावा एक बार क्षतिपूर्ति उपकर की अवधि समाप्त होने के बाद संग्रह पर असर पड़ सकता है। ऐसे में जीएसटी परिषद के लिए यह आवश्यक है कि वह दरों और स्लैब को उचित बनाने के लंबे समय से लंबित मसले को हल करे। स्लैब की तादाद कम करने और दरों को समायोजित करने से किफायत और संग्रह दोनों में सुधार होगा।

कुल मिलाकर जहां फर्जीवाड़े पर नजर रखने के लिए जरूरी प्रशासनिक बदलाव मददगार होंगे, वहीं क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल इस बात पर निर्भर करेगा कि कर प्रणाली को और सरल बनाने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप कैसे किए जाते हैं।

First Published : July 4, 2023 | 11:38 PM IST