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खेती बाड़ी: खेत से थाली की यात्रा सुगम बनाती डिजिटल राह

भारत के किसानों ने नई तकनीक को अपनाने की अपनी क्षमता और तत्परता दिखाई है। ऐसे में आधुनिक आईसीटी उपकरण भी अपवाद नहीं हैं।

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सुरिंदर सूद   
Last Updated- November 05, 2024 | 10:49 PM IST

भारत का कृषि क्षेत्र डिजिटल क्रांति की दहलीज पर खड़ा दिख रहा है। डिजिटलीकरण और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) का इस्तेमाल ग्रामीण सामाजिक आर्थिक ताने-बाने में पहले ही पैठ बना चुका है। लेकिन डिजिटल कृषि मिशन को 2,817 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ नया रूप देने के जिस प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने मंजूरी दी, उसकी मदद से यह अगले स्तर तक पहुंच सकता है।

इस मिशन के तहत व्यापक सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे की परिकल्पना की गई है, उससे ग्रामीण जीवन और अर्थव्यवस्था के लगभग हरेक पहलू पर प्रभाव पड़ने और उसका कायाकल्प होने की संभावना है।

किसानों के कल्याण से जुड़ी योजनाओं खास तौर पर प्रत्यक्ष लाभ अंतरण वाली योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित होने के साथ ही आधुनिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की मदद से तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञों की सलाह आसानी से उपलब्ध होने पर किसान खेती के अपने कौशल को सुधार पाएंगे और रोजमर्रा की दिक्कतों का तुरंत समाधान पा सकेंगे।

इसके अलावा इससे खेती की लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे खेती में मुनाफा बढ़ेगा। साथ ही मार्केटिंग और खरीद, वित्तीय लेन-देन और भूमि रिकॉर्ड सहित महत्वपूर्ण दस्तावेजों और रिकॉर्ड को डिजिटल रूप देने से कई तरह के विवादों और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होगी। इतना ही नहीं, इससे कृषि और ग्रामीण विकास के लिए किसानों पर केंद्रित तथा जरूरत पर आधारित नीतियां और कार्यक्रम बनाने में मददगार भरोसेमंद डिजिटल डेटाबेस तैयार हो जाएगा।

भारत के किसानों ने नई तकनीक को अपनाने की अपनी क्षमता और तत्परता दिखाई है। ऐसे में आधुनिक आईसीटी उपकरण भी अपवाद नहीं हैं। कई किसान और ग्रामीण क्षेत्र के अधिकतर युवा अब निजी और व्यावसायिक कामों के लिए सेलफोन, कंप्यूटर और इंटरनेट पर चलने वाली दूसरी संचार प्रणालियों का नियमित इस्तेमाल कर रहे हैं।

आज शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वाले ज्यादा हैं। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और डिजिटल तथा एनालिटिक्स कंपनी कैंटार की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में लगभग 82 करोड़ लोग इंटरनेट इस्तेमाल कर रहे थे, जिनमें से लगभग 44.2 करोड़ यानी 53 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में थे। यह आंकड़ा 2025 तक बढ़कर 56 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है।

देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल फोन और इंटरनेट के इस्तेमाल में बढ़ोतरी की शुरुआत महामारी के दौरान हुई और बढ़ोतरी जारी है। इसके कारण तकनीक का प्रयोगशालाओं और अनुसंधान केंद्रों से खेतों तक का सफर तेज हुआ है। इसके कारण ही हाल के वर्षों में कृषि के तौर-तरीकों में काफी सुधार भी हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप खेती की उत्पादकता बढ़ी है, इनपुट लागत घटी है और संसाधनों का उपयोग अधिक कुशलता के साथ हो रहा है।

कृषि में डिजिटलीकरण और एआई के प्रयोग को अपनाने और बढ़ाने के लिए माकूल तंत्र बनाने का श्रेय सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की एजेंसियों को जाता है। केंद्र और राज्य सरकारें डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए खास योजनाएं लाई हैं और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) तथा विभिन्न प्रकार के स्टार्टअप जैसी निजी संस्थाओं ने तकनीक एवं ज्ञान प्रदान करने का काम किया है। वे किसानों को जरूरी सेवाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं ताकि किसान कृषि तथा उससे जुड़ी गतिविधियों से अपनी शुद्ध आय बढ़ाने मे डिजिटलीकरण तथा एआई का सार्थक इस्तेमाल कर सकें।

सरकार ने कृषि के विकास के लिए आईसीटी के इस्तेमाल की दिशा में पहला अहम कदम 2016 में उठाया था, जब किसान सुविधा ऐप शुरू की गई थी। यह किसानों को पांच महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों – मौसम, बाजार मूल्य, पौधों के संरक्षण के उपाय, इनपुट सामग्री के विक्रेता और विशेषज्ञ सलाह से जुड़ी जानकारी देती थी। साथ ही यह उन्हें किसान कॉल सेंटर से भी जोड़ती थी, जहां तकनीकी विशेषज्ञ उनके सवालों के जवाब स्थानीय भाषा में ही देते थे।

इसके बाद दूसरी कई पहल की गईं, जैसे किसान ई-मित्र चैटबॉट की शुरुआत, ड्रोन से कीटों और बीमारियों पर नजर रखना, उपग्रह से मिली तस्वीरों के जरिये फसल उत्पादन का आकलन करना और मंडी के भावों की जानकारी देना, मौसम के हिसाब से खेती की सलाह देना, एसएमएस के जरिये किसी खास इलाके में फसल खरीद तथा मार्केटिंग की जानकारी देना। फसल की सेहत और मिट्टी में नमी पर नजर रखने के लिए अब उपग्रह से तस्वीर लेने का चलन बहुत बढ़ गया है, जिससे किसानों को सिंचाई, उर्वरक डालने और कीटनाशक के छिड़काव का समय तय करने में मदद की जा सकती है।

डिजिटल मिशन के तहत एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक डिजिटल बुनियादी ढांचे ‘एग्री स्टैक’ को बहुत बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें हर किसान को आधार कार्ड की तरह डिजिटल पहचान दी जाती है। कई राज्यों में इस पर पहले से ही काम चल रहा है। अन्य प्रस्तावित डिजिटल मंचों में ‘कृषि निर्णय सहायता प्रणाली’शामिल है, जिसके तहत फसल, मिट्टी, मौसम और जल संसाधन का दूर से ही पता लगाकर जानकारी दी जाएगी।

इसके अलावा फसल उत्पादन का वास्तविक अनुमान लगाने के लिए ‘डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण प्रणाली’ का प्रस्ताव है। केंद्र ने ये डिजिटल सुविधाएं तैयार करने के लिए 19 राज्यों के साथ समझौते किए हैं।

डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने की यह पहल किसान भी बहुत पसंद कर रहे हैं। हाल ही में अखिल भारतीय किसान महासंघ के एक बयान में उम्मीद जताई गई है कि डिजिटलीकरण ग्रामीण युवाओं का खेती से पलायन रोकने में मदद करेगा।

उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस संस्था ने यह भी कहा है कि कि डिजिटलीकरण से फसल खराब होने की संभावना घटेगी, बाजार की अनिश्चितता कम होगी और जानकारी के साथ निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जिससे कुल मिलाकर किसानों की परेशानी कम हो जाएगी। कृषि संगठनों की आश्वस्त करने वाली प्रतिक्रिया देखकर सरकार को कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण की रफ्तार और बढ़ानी चाहिए।

First Published : November 5, 2024 | 10:39 PM IST