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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संकट: एक्स, विकिपीडिया और इंटरनेट आर्काइव पर प्रतिबंधों की बौछार

ये सभी मामले उन देशों में हुए हैं, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना गया है और इसे कई प्रावधानों के जरिये सुरक्षा दी गई है।

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देवांशु दत्ता   
Last Updated- September 15, 2024 | 9:20 PM IST

सोशल मीडिया कंपनी एक्स पर ब्राजील में प्रतिबंध लगा दिया गया है। भारत में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने मानहानि से जुड़े एक मामले में विकिपीडिया को बंद करने की धमकी दी है। अमेरिका में इंटरनेट आर्काइव (आर्काइव डॉट ओआरजी) को कॉपीराइट मामले में सामग्री हटाने का निर्देश मिला है। फ्रांस ने टेलीग्राम ऐप के संस्थापक पावेल दुरोव को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया है कि इस ऐप का इस्तेमाल बच्चों के अश्लील वीडियो प्रसारित करने के लिए हो रहा है। इन सभी मामलों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को चोट पहुंची है। ये सभी मामले उन देशों में हुए हैं, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार माना गया है और इसे कई प्रावधानों के जरिये सुरक्षा दी गई है।

अप्रैल में ब्राजील में एक न्यायाधीश अलेक्जांड्र डी मोरैस ने एक्स पर चल रहे कुछ अकाउंट बंद करने का आदेश दिया था। आरोप था कि इन अकाउंट के जरिये ब्राजील के बारे में गलत जानकारी फैलाई जा रही है। मगर एक्स ने यह आदेश मानने से इनकार कर दिया और इसके मालिक ईलॉन मस्क ने न्यायाधीश मोरैस को ‘ब्राजील का तानाशाह’ बता दिया। दोनों पक्षों के बीच जबानी जंग तेज हो गई, जिसके बाद ब्राजील के उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के पीठ ने न्यायाधीश मोरैस के आदेश को सही ठहराते हुए बहाल रखा।

भारत में समाचार एजेंसी एएनआई ने विकिपीडिया के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। एएनआई का आरोप है कि विकिपीडिया ने उसके खिलाफ अनर्गल आरोप लगाए हैं और उसे ‘भारत सरकार के प्रचार का माध्यम’ बताया है। न्यायाधीश नवीन चावला ने उन तीन अकाउंट का ब्योरा मांगा, जिन्होंने एएनआई से जुड़ी जानकारी को बदला था। मगर विकिपीडिया को अकाउंट की जानकारी देना सही नहीं लगा।

इसके बाद न्यायाधीश चावला ने विकिपीडिया को धमकी दी है कि वह सरकार को उस पर प्रतिबंध लगाने के लिए कहेंगे। इंटरनेट आर्काइव निःशुल्क डिजिटल लाइब्रेरी है, जिसमें बंद हो चुकी वेबसाइट, पुरानी फिल्मों, संगीत और पुस्तकों से जुड़ी सामग्री मौजूद होती हैं।

यह नि:शुल्क पुस्तकालय की ही तरह उपयोगकर्ताओं को एक बार में स्कैन की हुई एक डिजिटल पुस्तक पढ़ने देता था। कोविड महामारी के दौरान और बाद में कई सार्वजनिक पुस्तकालय बंद होने के कारण इंटरनेट आर्काइव ने ‘एक पुस्तक एक व्यक्ति’ की शर्त हटा दी ताकि लोगों को कोई दिक्कत नहीं हो। मगर प्रकाशकों ने यह कहते हुए इंटरनेट आर्काइव पर मुकदमा दायर कर दिया कि इन डिजिटल पुस्तकों का पढ़ने के अलावा दूसरे तरीकों से भी इस्तेमाल किया गया, जो कॉपीराइट नियमों के खिलाफ थे।

प्रकाशक हशेट सर्किट ने अमेरिका के एक न्यायालय में आर्काइव के खिलाफ मुकदमा जीत लिया है। अब आर्काइव के लिए लगभग 50,000 पुस्तकें लोगों को उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाएगा। रूस, ईरान और चीन जैसे कई देशों ने एक्स पर स्थायी रूप से पाबंदी लगा रखी है। मगर ब्राजील में एक्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगभग 2 करोड़ है।

एक्स अक्सर सरकार के निर्देश पर अकाउंट बंद कर दिया करती है। उदाहरण के लिए कश्मीर, मणिपुर, किसानों के आंदोलन सहित अन्य विषयों पर केंद्रित अकाउंट आम तौर पर भारत में नहीं देखे जा सकते। एक्स उन अकाउंट को भी बंद कर देती है, जो इसकी आंतरिक नीतियों का उल्लंघन कर सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करते हैं। ब्राजील में अकाउंट बंद करने से एक्स का इनकार करना थोड़ा असामान्य है और इससे कंपनी को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

आर्काइव मामले के बाद कई शोधकर्ता कई पुस्तकें नहीं पढ़ पाएंगे। अमेरिकी न्यायालय ने स्वीकार किया कि सामग्री देकर आर्काइव ने मुनाफा नहीं कमाया था। निःशुल्क सार्वजनिक पुस्तकालय भी कॉपीराइट वाली किताबें एवं उनकी डिजिटल प्रतियां लोगों को पढ़ने के लिए देते रहते हैं। इस आदेश के बाद उन जगहों पर रहने वाले लोगों को मुश्किल हो सकती है, जहां पुस्तकालय (फिजिकल लाइब्रेरी) नहीं हैं।

विकिपीडिया 300 भाषाओं में उपलब्ध है और कोई भी इस पर किसी भी तरह की सामग्री जोड़ या हटा सकता है या फिर नई प्रविष्टि दाखिल कर सकता है। मगर जो तथ्य जोड़े या दिए जा रहे हैं उनकी पुष्टि करने वाली सूचना अथवा स्रोत सार्वजनिक पटल पर अवश्य उपलब्ध होने चाहिए। विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी में कभी-कभी त्रुटियां एवं पूर्वग्रह भी होते हैं मगर स्वयं सुधार या सेल्फ करेक्शन की व्यवस्था होने से उपयोगकर्ता सामग्री पर सवाल उठा सकते हैं, उसे संशोधित कर सकते हैं या उस पर चर्चा कर सकते हैं।

इंटरनेट आर्काइव की तरह यह भी शोधकर्ताओं के लिए एक बड़ा मंच है। टेलीग्राम भी चैनल है, जहां व्हाट्सऐप की तरह ही उपयोगकर्ता पोस्ट डालते है। टेलीग्राम यूक्रेन युद्ध और गाजा से संबंधित सामग्री पोस्ट करने के लिए बड़ा प्लेटफॉर्म है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले लोग इनमें कम से कम तीन प्रतिबंधों के खिलाफ आवाज उठाएंगे। एक्स का रवैया ब्राजील में थोड़ा अटपटा जरूर रहा है क्योंकि यह सरकार के विशेष अनुरोध पर कोई खास राजनीतिक सामग्री किसी विशेष इलाके में उपलब्ध नहीं होने देती। फिर भी एक्स पर पूर्ण प्रतिबंध अतिवाती प्रतिक्रिया लगती है।

विकिपीडिया के लिए अज्ञात संपादकों के बारे में जानकारी मुहैया कराना थोड़ा कठिन है। एएनआई के बारे में विवादास्पद सामग्री की पुष्टि करने वाले सार्वजनिक लिंक दिए गए हैं। यहां भी जानकारी या सूचना देने वाले किसी गैर-लाभकारी प्लेटफॉर्म पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात अत्यधिक कठोर जान पड़ती है और इससे भारत में लाखों लोगों को नुकसान होगा।

आर्काइव का मामला कॉपीराइट सामग्री के निःशुल्क इस्तेमाल (लार्ज लैंग्वेज मॉडल में इस सामग्री के इस्तेमाल सहित) पर कई सवाल खड़े करता है। सार्वजनिक पुस्तकालयों को भी किताबें उपलब्ध कराने के अधिकार से वंचित करने के लिए भी ऐसे ही तर्क दिए जा सकते हैं। सभी की नजरों में बच्चों के अश्लील वीडियो या चाइल्ड पोर्नोग्राफी प्रसारित करना गलत और अक्षम्य अपराध है मगर टेलीग्राम अपने बचाव में कह सकता है कि सामग्री पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और अधिक से अधिक वह यही कर सकता है कि कुछ खास मामलों में जानकारी देने के लिए अधिकारियों का सहयोग करे।

ये मामले 21वीं शताब्दी में डिजिटल माहौल के बीच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नियमों को नए तरीके से परिभाषित करने पर विवश करते हैं। चूंकि ये मामले बड़े लोकतांत्रिक देशों में चल रहे हैं, इसलिए वहां इन्हें स्वेच्छाचारी देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगे प्रतिबंधों की तुलना में गंभीरता से लिया जाएगा।

First Published : September 15, 2024 | 9:20 PM IST