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आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का दबदबा चरम पर: मार्केट कैप, रिटर्न, कैपेक्स ने टेक बबल के रिकॉर्ड तोड़े

बाजार पूंजीकरण, मुनाफा और पूंजीगत व्यय में एआई कंपनियों का मौजूदा दबदबा टेक बबल के दौर से भी आगे निकल गया है। चर्चा कर रहे हैं आकाश प्रकाश

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आकाश प्रकाश   
Last Updated- September 24, 2025 | 10:25 PM IST

फिलहाल वैश्विक बाजार आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की धुन पर नाच रहे हैं। एआई की धमक चारों तरफ दिख रही है, चाहे आप तेजी पर भरोसा करते हुए शेयर बाजार में उतर गए हों या फिर किनारे रहकर बाजार में स्थिति सामान्य होने का इंतजार कर रहे हों। फिलहाल बाजार में तेजड़िये हावी हैं क्योंकि बाजार को लग रहा है कि एआई बड़े बदलाव लाने वाला है और आने वाला समय इसी का है। एआई तकनीक ही यह तय करेगी कि कंपनियों या देशों के स्तर पर भविष्य में कौन जीतेगा और कौन हारेगा। एआई की ताकत में विश्वास रखने वाले आश्वस्त हैं कि एआई पश्चिम देशों की जनसांख्यिकी और वित्तीय चुनौतियों को दूर कर देगी। उत्पादकता बढ़ने से आर्थिक वृद्धि तेज होगी जिससे कर्ज के जाल में फंसे पश्चिमी देशों के ज्यादातर लोकतांत्रिक देशों की आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी।

कर्मचारियों की, खासकर शुरुआती स्तर पर, कम जरूरत होने से पश्चिम देशों में जनसांख्यिकीय समस्या उतनी भयावह नहीं रह जाएगी। एआई कंपनियों के परिणामों के दायरे को भी व्यापक बनाएगा जिसमें मजबूत प्रदर्शन करने वाली आगे निकल जाएंगी और उनका कारोबार बढ़ता जाएगा जबकि कमजोर व्यवसाय से बाहर हो जाएंगी। अमेरिका को चीन की तरह एआई की दौड़ में एक विजेता के रूप में देखा जाता है। एआई कारोबार पूरे जोरों पर है फिर चाहे आप अमेरिकी बाजार के आंतरिक पहलुओं को देखें या चीन/कोरिया और ताइवान के बेहतर प्रदर्शन पर विचार करें। जहां तक भारत की बात है तो इसे एआई के मामले में अभी फिसड्डी समझा जा रहा है।

आगे सूरत कैसी रहेगी या एआई के दीर्घकालिक प्रभाव, समय और वास्तविक लाभों पर बहस की गुंजाइश हो सकती है मगर समय बीतने के बाद ही इसके वास्तविक असर का पता चलेगा। व्यापार एवं विषयगत चीजें वर्तमान में हर जगह मौजूद हैं। एआई बाजारों में अत्यधिक महत्त्व रखता है और बाजार पूंजीकरण, मुनाफा, कमाई और पूंजीगत व्यय के लिहाज से इसकी अहमियत सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

​फिलहाल अमेरिका में सभी वेंचर कैपिटल निवेश का 65 फीसदी हिस्सा एआई या मशीन-लर्निंग-आधारित स्टार्टअप इकाइयों में जा रहा है। ओपनएआई 500 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर धन जुटाने के लिए तैयार है, हालांकि इसके आंतरिक अनुमानों से पता चलता है कि अगले पांच वर्षों में इसे 100 अरब डॉलर से अधिक नुकसान होगा। हर लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) कंपनी नई पूंजी के रूप में अरबों डॉलर जुटा रही है। ऑरेकल ने जब ओपनएआई के साथ 300 अरब डॉलर का पांच साल के लिए क्लाउड समझौता किया तो उसकेे बाजार पूंजीकरण में एक दिन में 240 अरब डॉलर वृद्धि हो गई। ऑरेकल के बाजार पूंजीकरण में उछाल के लिए बाजारों में मजबूती जरूरी है ताकि ओपनएआई अनुबंध के लिए आवश्यक नकदी जुटा सके। वृत्तीय तर्क एक नए स्तर पर काम कर रहा है!

फिलहाल सात दिग्गज तकनीकी कंपनियों (मैग-7 ) का एसऐंडपी 500 में 32 फीसदी भार है। जनवरी 2023 में चैटजीपीटी लॉन्च होने के ठीक बाद यह केवल 18 फीसदी था। एनवीडिया, जिसका एसऐंडपी 500 में 8 फीसदी भार है, अब इस सूचकांक के इतिहास में अकेला सबसे अधिक भार वाला शेयर बन चुका है। इसका वर्तमान बाजार पूंजीकरण अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद के 15 फीसदी के बराबर है!

यहां तक कि सूचकांक के रिटर्न में भी सात दिग्गजों की तरफ अत्यधिक झुकाव है। जनवरी 2021 से एसऐंडपी 500 में आई तेजी का 55 फीसदी हिस्सा शीर्ष 10 शेयरों की तरफ से आया है। अगर आपने इन 10 शेयरों में पर्याप्त निवेश नहीं किया था तो आपके पास वृहद बाजारों के साथ बने रहने का कोई मौका नहीं था। एक ही जगह केंद्रित रिटर्न का यह ताना-बाना फिलहाल जारी है और ‘लिबरेशन डे’ (2 अप्रैल, 2025) के बाद से मैग-7 में लगभग 50 फीसदी की वृद्धि हुई है जबकि शेष 493 एसऐंडपी 500 स्टॉक में केवल 20 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है।

यहां तक कि बाजार में कमाई का गणित भी मैग-7 और एआई थीम की ओर बहुत अधिक झुका हुआ है। वर्ष 2023 और 2024 में ‘मैग-7’ ने एसऐंडपी 500 में कमाई में लगभग 35 फीसदी की वृद्धि देखी, जबकि शेष 493 शेयरों के लिए कमाई में केवल 3 फीसदी की वृद्धि हुई। नतीजा यह हुआ कि वृहद एसऐंडपी 500 सूचकांक के मुकाबले तकनीकी क्षेत्र का सापेक्ष प्रदर्शन फिलहाल 2000 आई अतिशय उछाल या बबल से भी अधिक मजबूत है।

अगर हम कंपनियों के पूंजीगत व्यय पर नजर डालते हैं तो टेक्नॉलजी और एआई की उपस्थिति उल्लेखनीय है। एसऐंडपी 500 कंपनियों के पूंजीगत व्यय में ‘मैग-7’ और ऑरेकल की हिस्सेदारी 35 फीसदी से अधिक है। इन प्रमुख अमेरिकी तकनीकी कंपनियों ने 2023 से निजी घरेलू निवेश में अपनी हिस्सेदारी दोगुना कर दी है।

इन कंपनियों के लिए पूंजीगत व्यय अब बिक्री का 20 फीसदी से अधिक हो गया है जबकि पहले यह 10 फीसदी से कम था। यहां तक कि परिचालन नकदी प्रवाह में भी 65 फीसदी हिस्से का इस्तेमाल वे डेटा सेंटर के विकास पर कर रही हैं। उनका पूंजीगत व्यय एवं बिक्री का अनुपात 20 फीसदी है तथा अनुसंधान एवं विकास और बिक्री अनुपात 15 फीसदी है जिसका अर्थ यह है कि बिक्री का 35 फीसदी वृद्धि में पुनर्निवेश किया जा रहा है। वास्तव में ये आंकड़े अभूतपूर्व हैं।

दूरसंचार कंपनियां अपने फाइबर-ऑप्टिक के विशाल तंत्र के साथ 2000 के ‘टेक्नॉलजी बबल’ के चरम के दौरान अत्यधिक निवेश के पुरोधा के रूप में देखी गईं। 2000 में दूरसंचार कंपनियों का पूंजीगत व्यय अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद का 0.8 फीसदी तक पहुंच गया था। आज तकनीकी कंपनियों का पूंजीगत व्यय अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.2 फीसदी है और वर्तमान अनुमानों के अनुसार यह 2028 तक 1.4 फीसदी को पार कर जाएगा।

यह ‘डॉट-कॉम बबल’ के दौरान दूरसंचार कंपनियों के पूंजीगत व्यय के सर्वोच्च स्तर से 75 प्रतिशत अधिक है (स्रोत: अपोलो ग्लोबल चार्टबुक)। हालांकि, इन सभी आंकड़ों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है लेकिन बाजार पूंजीकरण, रिटर्न और पूंजीगत व्यय के लिहाज से हम अनजानी राह की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं। ये सभी एआई और इस विश्वास से प्रेरित हैं कि यह तकनीक हमारी दुनिया को बदल देगी।

इस प्रचार और उन्माद को किसी न किसी स्तर पर धरातल पर वापस आना होगा। एआई वास्तव में क्रांतिकारी तकनीक हो सकती है लेकिन इन ऊंचे स्तरों से ये निवेश के कमजोर विकल्प साबित हो सकते हैं। जब यह चरम दौर खत्म होगा तो मैग-7, चीन/कोरिया/ताइवान और कई अन्य व्यापार अपनी पुरानी स्थिति में लौट आएंगे।

भारत ने एआई व्यापार में भाग नहीं लिया है और इसे एआई में फिसड्डी के रूप में देखा जाता है। भारत को विदेशी पूंजी दोबारा आकर्षित करने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। इस बीच, हमें अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को ताकत देने के लिए और एक विकास एजेंडा लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारत एआई की होड़ में पूरी तरह से शामिल नहीं हो सकता है, लेकिन हम इसके अपरिहार्य मोहभंग और मोहभंग के चक्र से लाभ उठाने के लिए स्वयं को तैयार कर सकते हैं।


(लेखक अमांसा कैपिटल से जुड़े हैं)

First Published : September 24, 2025 | 10:21 PM IST