भारत के अमीर निवेशक यानी हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) अपना शॉर्ट टर्म के लिए रखा हुआ पैसा बचत खाते या फिक्स्ड डिपॉजिट में नहीं रखते। भले ही ये ट्रेडिशनल तरीके सुरक्षित माने जाते हों, लेकिन HNIs ऐसी जगह पैसा लगाते हैं जहां उन्हें बेहतर रिटर्न भी मिले और जरूरत पड़ने पर पैसे तुरंत निकाले भी जा सकें। फाइनेंशियल प्लानर विजय महेश्वरी, जो 1,000 से ज्यादा परिवारों की 500 करोड़ रुपये की संपत्ति का मैनेजमेंट करते हैं, उन्होंने हाल ही में बताया कि अमीर लोग अपना शॉर्ट-टर्म पैसा कहां पार्क करते हैं और क्यों उनकी यह रणनीति इतना कारगर साबित होती है।
बहुत कम अवधि के लिए पैसा पार्क करने के लिए HNIs बचत खाते की बजाय लिक्विड फंड या आर्बिट्राज फंड का इस्तेमाल करते हैं। लिक्विड फंड बहुत कम अवधि वाले सुरक्षित डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं और इनका जोखिम बेहद कम होता है। पैसे कभी भी निकाले जा सकते हैं, इसलिए इन्हें बचत खाते का बेहतर विकल्प माना जाता है।
इसी तरह, आर्बिट्राज फंड शेयर बाजार में कैश और फ्यूचर्स के दामों के अंतर का फायदा उठाते हैं, जिससे छोटा लेकिन अपेक्षाकृत सुनिश्चित रिटर्न मिल जाता है। हालांकि टैक्स के लिहाज से ये इक्विटी माने जाते हैं, लेकिन जोखिम के नजरिए से ये डेट जैसी सुरक्षा देते हैं। HNIs इन दोनों विकल्पों को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इनमें रिटर्न बेहतर होते हैं, टैक्स कम लगता है और पैसे लगभग तुरंत मिल जाते हैं।
जब अवधि 6 से 12 महीने की होती है, तब अमीर लोग इक्विटी सेविंग्स फंड का चुनाव करते हैं। ये फंड आर्बिट्राज, इक्विटी और डेट – तीनों का मिश्रण होते हैं। इस वजह से इनमें उतार-चढ़ाव कम होता है, रिटर्न बेहतर मिलता है और टैक्स भी कम लगता है। ऊंचे टैक्स स्लैब वाले निवेशकों के लिए ये फंड FD या अन्य पारंपरिक तरीकों से ज्यादा फायदेमंद साबित होते हैं।
1 से 2 साल की अवधि के लिए HNIs बैलेंस्ड एडवांटेज या हाइब्रिड फंड पसंद करते हैं। ये फंड बाजार की स्थिति के हिसाब से अपने-आप equity और debt का अनुपात बदलते रहते हैं। इससे गिरावट के समय सुरक्षा मिलती है और करेक्शन के समय अच्छा रिटर्न भी। अमीर लोग इन्हें इसलिए चुनते हैं क्योंकि इनमें जोखिम नियंत्रित रहता है और पैसा भी बढ़ता है।
जब निवेश की अवधि 3 साल से अधिक हो, तब HNIs पूरी तरह ग्रोथ-ओरिएंटेड फंड चुनते हैं जैसे लार्ज-कैप या फ्लेक्सी-कैप फंड। ये लंबे समय में बेहतर कंपाउंडिंग देते हैं और टैक्स के नजरिए से भी FD की तुलना में काफी सस्ते पड़ते हैं। इस अवधि में अमीर लोग तरलता (liquidity) नहीं, बल्कि स्थायी और मजबूत रिटर्न की तलाश में रहते हैं।
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हाई इनकम वर्ग वाले लोगों का FD पर टैक्स काफी ज्यादा लगता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी को FD पर 7% मिलता है और वह 30% टैक्स स्लैब में आता है, तो टैक्स काटने के बाद उसका रिटर्न सिर्फ 4.5% रह जाता है। दूसरी ओर, डेट और हाइब्रिड फंड में टैक्स बाद में लगता है और कुछ मामलों में कम लगता है, जिससे नेट रिटर्न बेहतर हो जाता है। इसलिए HNIs कभी भी पैसा खाली नहीं छोड़ते। वे हर स्थिति में उसे बेहतर रिटर्न देने वाली जगह लगाते हैं।
ज्यादातर लोग अपना अतिरिक्त पैसा बचत खाते, FD या कम रिटर्न वाले तरीकों में छोड़ देते हैं। जबकि अमीर लोग अपने पैसे को समय अवधि के अनुसार सही प्रोडक्ट में लगाते हैं, ताकि रिटर्न भी मिले और जरूरत पड़ने पर पैसा निकाला भी जा सके। यही सबसे बड़ा अंतर है। आम निवेशक भी यह सीख सकते हैं कि सुरक्षित रहना जरूरी है, लेकिन इसके लिए रिटर्न की कुर्बानी देना जरूरी नहीं।