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आपके लिए स्ट्रेस टेस्ट के क्या हैं मायने? आसान भाषा में समझिए एक्सपर्ट्स से…

परिसंपत्ति आवंटन के साथ स्मॉल, मिडकैप फंडों में नकदी जोखिम कम करें

Published by
संजय कुमार सिंह   
कार्तिक जेरोम   
Last Updated- March 29, 2024 | 9:31 PM IST

म्युचुअल फंड हाउस द्वारा अपने मिडकैप और स्मॉलकैप फंडों में किए गए स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे बताते हैं कि स्मॉलकैप में नकदी जोखिम अधिक है। अपने नतीजे घोषित करने वाले अधिकतर मिडकैप फंड तीन दिन के भीतर अपने पोर्टफोलियो की 25 फीसदी नकदी बाहर करने में सक्षम होंगे, लेकिन करीब आधे ही स्मॉलकैप फंड ऐसा कर पाएंगे।

अधिक जागरूकता

स्ट्रेस टेस्ट का एक सकारात्मक परिणाम यह है कि जागरूकता बढ़ी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर और फ्रीफिनकल डॉट कॉम के संस्थापक एम पट्टाभिरामन कहते हैं, ‘इसने कम से कम कुछ निवेशकों के बीच इस बारे में जागरूकता बढ़ाई है कि स्ट्रेस के दौरान मिड और स्मॉलकैप खंडों में नकदी चिंता का विषय हो सकती है।’

सैंक्टम वेल्थ के निवेश उत्पाद प्रमुख आलेख यादव का कहना है कि नकदी के बारे में नियमित डेटा तक पहुंच होने से निवेशक इस जोखिम के प्रति काफी जागरूक हो जाएंगे।

कार्यप्रणाली संबंधी मसले

कुछ जानकारों ने पोर्टफोलियो से नकदी निकालने के समय की गणना के लिए अपनाई गई नई पद्धति से जुड़े कुछ मसलों की ओर इशारा किया। पहला, फडों को अपने पोर्टफोलियो में सबसे कम तरल 20 फीसदी शेयरों को गणना से बाहर करने की अनुमति है, जिससे नतीजे सतही होने की आशंका है।

चिंता की दूसरी बात यह धारणा है कि अस्थिर अवधि के दौरान नकदी में सुधार आता है। ऐसे वक्त में किसी फंड हाउस को कारोबारी मात्रा में तीन गुना वृद्धि का अनुमान लगाने की इजाजत होती है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि असलियत में ऐसे वक्त में कारोबारी मात्रा कम हो जाती है।

क्या नकदी का असर फंड चयन पर भी पड़ना चाहिए?

विशेषज्ञों का कहना है कि फंड का चयन करने के दौरान निवेशकों को मुख्यत: प्रदर्शन की स्थिरता और फंड में होल्डिंग्स की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए। प्राइम इन्वेस्टर की सह-संस्थापक विद्या बाला कहती हैं, ‘किसी फंड का मूल्यांकन करने के लिए तरलता जैसे किसी भी सिर्फ एक अलग मीट्रिक का उपयोग करने से खराब फैसले हो सकते हैं। निवेशकों ने अतीत में एक्सपेंस रेश्यो और रिस्क-ओ-मीटर के मामले में यह गलती की है।’

इस मानदंड के आधार पर बाइनरी फैसले लेने के बजाय निवेशक अपनी फंड तैयार करने की पद्धति में इसे थोड़ा महत्त्व दे सकते हैं।

कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि एयूएम (प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति) का आकार आगे चलकर एक महत्त्वपूर्ण मानदंड बन सकता है। आलेख यादव कहते हैं, ‘टेस्ट के नतीजों से पता चलता है कि अधिकतर बड़े फंडों को अपने पोर्टफोलियो खत्म करने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगता है। इसलिए छोटे एयूएम खासकर स्मॉलकैप श्रेणी वाले फंडों से जुड़े रहना सही फैसला होगा।’

जहां तक हो नियंत्रित करें

प्रत्यक्ष स्टॉक निवेशक कम खरीद-फरोख्त वाले शेयरों में पैसा न लगाने का निर्णय ले सकते हैं। लेकिन, फंड निवेशकों को फंडों के स्तर पर नकदी जोखिम की समस्या से निपटना मुश्किल हो सकता है। जब वे किसी फंड में निवेश करते हैं तो उन्हें मनपसंद रिटर्न पाने के लिए अनुमानित जोखिम (नकदी जोखिम सहित) लेने के लिए अपने फंड मैनेजर पर भरोसा करना होगा।

निवेशक अपने रणनीतिक परिसंपत्ति आवंटन के जरिये स्मॉल और मिडकैप फंडों में नकदी (और अन्य बाजार) जोखिमों का बेहतरीन प्रबंधन कर सकते हैं। बाला कहती हैं, ‘जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर आप यह सुनिश्चित करें कि स्मॉल और मिडकैप फंडों में आपका निवेश पूरे इक्विटी पोर्टफोलियो के 15 से 30 फीसदी से अधिक नहीं है।’

पट्टाभिरामन का कहना है कि फंड की तरलता निवेशक के हाथों में नहीं है और निवेश करने के बाद इस हालत में सुधार आ सकता है या फिर गिरावट भी हो सकती है। उछाल होने पर फंड से बाहर निकलने जैसी त्वरित प्रतिक्रिया से बचना चाहिए।

सेबी के पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) और सहजमनी के संस्थापक पीटरमैन अभिषेक कुमार ने कहा, ‘तय सीमा के भीतर स्मॉल और मिडकैप निवेश को बरकरार रखने के लिए अपने पोर्टफोलियो को समय-समय पर पुनर्संतुलित करते रहें।’

7 साल या उससे अधिक समय के लिए स्मॉल और मिडकैप फंडों में निवेश करें ताकि आप अस्थिरता के दौरान होने वाले उछाल से प्रभावित नहीं हों।

अपनी नकदी जरूरतों के आधार पर ही निर्णय लें। कुमार कहते हैं, ‘जब आप लक्ष्य से एक या दो साल पीछे हों तो इक्विटी फंड से जरूरी रकम निकालकर उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण साधनों में लगा दें।’

बाला डेट फंड का उपयोग कर एक आपातकालीन फंड बनाने का सुझाव देती हैं ताकि बाजार में मंदी के दौरान इक्विटी होल्डिंग्स नहीं बेचनी पड़े।

पट्टाभिरामन ने कहा कि उनके द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला है कि अधिकतर स्मॉल और मिडकैप फंड निफ्टी मिडकैप 150 सूचकांक को मात देने के लिए लगातार जूझते रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्मॉलकैप फंडों में उच्च नकदी जोखिम की वजह से निवेशक (खासकर नए निवेशक) इस श्रेणी से पूरी तरह बच सकते हैं।

उनका सुझाव है कि मिडकैप में निवेश के इच्छुक निवेशकों को निफ्टी नेक्स्ट 50 सूचकांक फंड में निवेश करने पर विचार करना चाहिए। वह कहते हैं, ‘इस सूचकांक में मिडकैप सूचकांक के समान रिस्क-रिवॉर्ड प्रोफाइल है, लेकिन इसमें अपेक्षाकृत बेहतर नकदी है।’

First Published : March 29, 2024 | 9:31 PM IST