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‘हम न्यू फंड ऑफर की समस्या दूर करने के लिए तैयार’, NFO को लेकर SEBI अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने क्या कहा?

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम SEBI की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच संबोधित कर रही थीं।

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- February 21, 2025 | 8:29 PM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड (MF) स्कीम लॉन्च में बढ़ोतरी के “मूल कारण” को दूर करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। ये बातें SEBI की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच ने शुक्रवार को कहा। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (Amfi) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, बुच ने जोर देकर कहा कि SEBI विषयगत (thematic) फंड्स के बढ़ते प्रसार को नियंत्रित करने के लिए और कदम उठाने के लिए तैयार है।

SEBI प्रमुख ने कहा, “हमने नए फंड ऑफरिंग (NFO) की समस्या को समझा और इसे दूर करने के लिए काम किया। हम यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हैं कि क्या और भी कोई मुद्दे हैं। Amfi हमेशा सहयोगात्मक रहा है, और मैं कहूंगी कि उसे आकर हमें इस पर मार्गदर्शन देना चाहिए।”

म्यूचुअल फंड्स में NFO की बाढ़

म्यूचुअल फंड कंपनियां पिछले एक साल से लगातार नई स्कीम्स लॉन्च कर रही हैं। पहली बार 2024 में कैलेंडर वर्ष (CY) के दौरान 200 से अधिक NFO लॉन्च हुए हैं। इनमें से 150 से ज्यादा NFO इक्विटी कैटेगरी में थे, जिसमें एक्टिव और इंडेक्स फंड दोनों शामिल हैं। Morningstar India के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में इक्विटी NFO की संख्या 89 थी।

इनमें से अधिकांश लॉन्च एक्टिव इक्विटी स्पेस में सेक्टोरल और थीमैटिक कैटेगरी में हुए, जिन्हें सभी इक्विटी MF श्रेणियों में सबसे जोखिम भरा माना जाता है। पैसिव फंड्स के मामले में, अधिकांश थीमैटिक और फैक्टर-बेस्ड थे।

SEBI ने एक नया नियम बनाया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि म्यूचुअल फंड्स अनावश्यक रूप से गलत समय पर प्रोडक्ट लॉन्च न करें और वितरकों द्वारा पोर्टफोलियो में बार-बार बदलाव को रोका जा सके।

SEBI के नए नियम

अप्रैल 2025 से, फंड मैनेजर्स को NFO के दौरान जुटाई गई रकम को 30 दिनों के भीतर निवेश करना होगा। अभी इस निवेश के लिए कोई निश्चित समय सीमा नहीं है। अब वितरकों को मौजूदा निवेश को NFO में बदलने पर अधिक कमीशन नहीं मिलेगा।

SEBI ने दिसंबर 2024 में अपनी बोर्ड बैठक के बाद जारी बयान में कहा था,  “NFO में संभावित मिससेलिंग की समस्या को दूर करने के लिए, स्विच ट्रांजैक्शन के मामले में वितरक को उन दो योजनाओं में से कम कमीशन मिलेगा जिनमें स्विच किया जा रहा है।”

म्यूचुअल फंड्स एक स्विच ऑप्शन देते हैं, जिससे निवेशक सीधे एक स्कीम से दूसरी स्कीम में फंड ट्रांसफर कर सकते हैं, बजाय इसके कि वे निवेश को रिडीम करके नए स्कीम में डालें।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि SEBI का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फंड हाउस बाजार की स्थितियों को ध्यान में रखकर स्कीम लॉन्च करें और केवल उतनी ही राशि जुटाएं, जितनी वे निवेश कर सकते हैं। यह कदम जिम्मेदार फंड प्रबंधन को बढ़ावा देने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए उठाया गया है।

बुच ने मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स को लेकर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अभी इनकी वैल्यूएशन पर कोई टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है। इससे पहले, 2024 की शुरुआत में, नियामक ने व्यापक बाजार में “फ्रॉथ” (froth) यानी अत्यधिक मूल्यांकन को लेकर चिंता जाहिर की थी।

First Published : February 21, 2025 | 8:29 PM IST