किसी भी व्यक्ति के लिए अपना एक घर होना एक सपने जैसा होता है। हर इंसान चाहता है कि वह जिस छत के नीचे सोए वह उसका अपना हो। लेकिन हमारे देश में लोगों का एक बड़ा हिस्सा अपना घर खरीदने के लिए संघर्ष कर रहा है और इस सपने को पूरा करने के लिए होम लोन पर निर्भर हैं। घरों और फ्लेट्स की लगातार बढ़ रही कीमतों की वजह होम लोन लोगों के लिए एक बड़ी जरूरत बन गया है। लेकिन होम लोन में टैक्स छूट से अधिक से अधिक घर खरीदने वाले लोगों पर एक राहत दे सकता है।
बजट 2025 में इस बार सभी की नजरें सरकार पर टिकी हैं कि वह घर खरीदने वालों की चिंताओं को कैसे दूर करेगी, खासकर उन लोगों की जो बढ़ती प्रॉपर्टी कीमतों और होम लोन के बढ़ते बोझ का सामना कर रहे हैं। इस साल के बजट से एक बड़ी उम्मीद यह है कि आयकर अधिनियम की धारा 24(b) के तहत होम लोन के ब्याज पर छूट की सीमा को बढ़ाया जा सकता है। फिलहाल 24(b) के तहत होम लोन के ब्याज पर छूट की सीमा 2 लाख है।
होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपए की मौजूदा छूट सीमा कई सालों से लागू है, जिसे उस समय पेश किया गया था जब प्रॉपर्टी की कीमतें और लोन की रकम काफी कम हुआ करती थी। हालांकि, पिछले कुछ सालों से रियल एस्टेट की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के चलते यह आज के घर खरीदारों के लिए अपर्याप्त है।
पिछले कुछ सालों में अधिकांश शहरों में रियल एस्टेट की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अगर बात मेट्रो सिटी की करें तो वहां घरों की औसत कीमत पिछले एक दशक में दोगुनी या तिगुनी हो गई हैं। इसके चलते होम लोन की रकम और ब्याज भुगतान में भी बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा महंगाई ने घर खरीदारों पर वित्तीय बोझ और बढ़ा दिया है, जिससे उनकी खरीदने की क्षमता घट गई है। अगर टैक्स में छूट दिया जाएगा तो इससे लोगों को राहत मिलेगी और इसके चलते अधिक से अधिक लोग घर खरीद सकते हैं। साथ ही छूट में इजाफे से सस्ते आवास खरीदारों को प्रोत्साहन मिलेगा है।
विशेषज्ञों और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने छूट की सीमा को बढ़ाने की जरूरत पर पहले भी जोर दिया है, जिसमें इसे 3 लाख रुपए से 5 लाख रुपए तक की सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। सरकार अगर ऐसा कदम उठाती है तो इससे रियल एस्टेट मार्केट को भी फायदा मिलेगा और मध्यम वर्ग के लिए घर खरीदना और आसान बनाएगा।
एक और बड़ा मुद्दा यह है कि नए टैक्स रिजीम में होम लोन से जुड़े टैक्स लाभों की कमी है। जबकि नया रिजीम टैक्स स्लैब को सरल बनाता है और छूट को खत्म करता है। यह उन करदाताओं को आर्थिक नुकसान होता है जो होम लोन ब्याज और प्रिसिंपल अमाउंट पर चुकौती जैसी कटौतियों पर निर्भर करते हैं।
अगर न्यू टैक्स रिजीम में इसे शामिल किया जाता है तो इससे करदाताओं को होम लोन लेने और रियल एस्टेट में निवेश करने में आसानी होगी और उन्हें फायदा होगा। इससे हाउसिंग सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा। साथ होम लोन कटौतियों को बाहर करना पुराने और नए टैक्स रिजीम के बीच कई चीजों में असमानता की वजह से मध्यम आय वर्ग के करदाता नए सिस्टम में जाने से बचते हैं।
इसके अलावा अगर इस सेक्टर में निवेश बढ़ेगा तो इसका फायदा सीमेंट, स्टील और कंस्ट्रक्शन जैसे सहयोगी इंडस्ट्री पर भी पड़ेगा, जो आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। दोनों टैक्स रिजीम में होम लोन में छूट देने से इस प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।
क्या इस बजट में होम लोन से जुड़े कोई बदलाव हो सकते हैं? इसपर टैक्स एक्सपर्ट गौरी चड्ढा कहती हैं, “सरकार का लक्ष्य है कि हर किसी के पास अपना घर हो, इसलिए होम लोन की ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट का रीपेमेंट पर टैक्स लाभ बढ़ाए जाने चाहिए, लेकिन ये लाभ केवल पुराने टैक्स रिजीम में हैं और लगता है कि सरकार जल्द ही पुराने रिजीम को खत्म करके सिर्फ नए रिजीम पर ध्यान देगी। नए रिजीम में ऐसी कटौतियां लाना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो दोनों टैक्स रिजीम के बीच फर्क नहीं रहेगा और नया टैक्स रिजीम भी पुराने की तरह जटिल हो जाएगा।”
चड्ढा कहती हैं, “अगर लिमिट की बात करें तो अगर सिर्फ पुराना रिजीम होता तो मुझे लगता है कि इस लिमिट को कम से कम दोगुना किया जाना चाहिए था और प्रिंसिपल अमाउंट का रीपेमेंट को अलग से या सेक्शन 24 के साथ क्लब किया जाना चाहिए था, क्योंकि 80C में पहले से ही कई कटौतियां हैं और उसकी लिमिट सिर्फ 1.5 लाख है। हालांकि मुझे नहीं लगता कि पुराने रिजीम में बदलाव होंगे और नए रिजीम में इस तरह की कटौती डालना बेकार होगा। सबसे अच्छा तरीका होगा कि बेसिक एक्सेम्पशन लिमिट बढ़ाई जाए ताकि सभी को इसका फायदा मिल सके, वे पैसे बचा सकें, निवेश कर सकें और फिर अपने घर खरीद सकें।”
होम लोन को आसान बनाने की प्रक्रिया पर अपनी राय रखते हुए गौरी कहती हैं, “सिर्फ होम लोन के लाभ नहीं बल्कि रियल एस्टेट को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है। इसमें मुख्य रूप कम ब्याज दरें और सेक्शन 54 और 54F में और अधिक राहत शामिल है। ब्याज और प्रिंसिपल अमाउंट का रीपेमेंट के लिए कटौतियां (डिडक्शन) होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस पर ज्यादा उम्मीद नहीं है।
वे कहती हैं, “जहां तक बात है कि नए रिजीम में कोई नई कटौती या छूट जोड़ने की तो मैं कहूंगी कि यह नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे टैक्स जटिल हो जाएगा। सरकार का उद्देश्य यह होना चाहिए कि टैक्स को सरल बनाया जाए, न कि जटिल। अभी भी टैक्सपेयर्स दोनों रिजीम को समझने में संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें कई स्लैब हैं, इसलिए इसे सिर्फ एक उच्च बेसिक एक्सेम्पशन लिमिट के साथ सरल बनाए रखना चाहिए।
इसके अलावा बेसिक होम लोन के फ़ाउंडर और सीईओ अतुल मोंगा कहते हैं, “होम लोन लेने वाले लोग उम्मीद कर रहे हैं कि बजट 2025 में होने वाले नीतिगत बदलाव उनके वित्तीय बोझ को कम करेंगे और घर खरीदना अधिक सुलभ और आसान हो जाएगा। फिलहाल, उधारकर्ता होम लोन पर चुकाए गए ब्याज के लिए सेक्शन 24(B) के तहत प्रति वर्ष केवल 2 लाख रुपए तक का टैक्स कटौती का दावा कर सकते हैं। इस सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करना उधारकर्ताओं को बड़ी राहत देगा और आवास क्षेत्र में अधिक निवेश को बढ़ावा देगा। इसके अलावा, सेक्शन 80C की सीमा को 1.5 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपए करना और होम लोन के प्रिंसिपल भुगतान के लिए एक विशेष सब-लिमिट तय करना घर खरीदारों के लिए को अधिक प्रोत्साहन देगा।
वे कहते हैं, “मध्यम आय वर्ग के घर खरीदार, खासकर, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) की फिर से शुरुआत की उम्मीद कर रहे हैं, जिसमें आय और लोन के मानदंडों में संशोधन किया जाए ताकि आवास को और अधिक किफायती बनाया जा सके। निर्माणाधीन संपत्तियों और किफायती आवास पर जीएसटी को क्रमशः 5% और 1% से कम करना घर खरीदने को और अधिक सुलभ बनाएगा। खासतौर पर टियर 2 और टियर 3 शहरों के खरीदार समग्र बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने की उम्मीद कर रहे हैं, जो अंततः आवासीय रियल एस्टेट बाजार रफ्तार देगा।”