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अब UPS में 30 सितंबर तक कर सकते हैं आवेदन, लेकिन क्या हैं इसके फायदे और NPS से कैसे अलग? जानें सबकुछ

सरकार ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम में शामिल होने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2025 तक बढ़ाई, जिससे कर्मचारी सोच-समझकर NPS से UPS में स्विच कर सकें।

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ऋषभ राज   
Last Updated- July 11, 2025 | 4:28 PM IST

Unified Pension Scheme: रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि क्या हमारी पेंशन भविष्य में आने वाले खर्चों को संभाल पाएगी? खासतौर पर जब आप एक सैलरीड क्लास कर्मचारी हों और स्थिर आय की उम्मीद रखते हों। ऐसे में केंद्र सरकार की यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) एक बड़ी राहत बनकर सामने आई है। यह स्कीम उन कर्मचारियों के लिए शुरू की गई है, जो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) की अस्थिरता से चिंतित हैं और रिटायरमेंट के बाद एक गारंटीड इनकम चाहते हैं।

अब सरकार ने इस स्कीम में शामिल होने की अंतिम तारीख बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दी है, जिससे कर्मचारियों को फैसला लेने के लिए और समय मिल गया है। यह बदलाव खासतौर पर उन कर्मचारियों की मांग को देखते हुए किया गया है, जो इस स्कीम को अच्छी तरह समझना और सोच-समझकर फैसला लेना चाहते हैं। UPS में शामिल होकर कर्मचारी 50% निश्चित गारंटीड, महंगाई के हिसाब से बढ़ने वाली इनकम और डेथ व रिटायरमेंट ग्रैच्युटी जैसे लाभ पा सकते हैं।

अगर आप एक सेंट्रल गवर्नमेंट के एंप्लॉय हैं और सुरक्षित भविष्य की तलाश में हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। आइए, UPS के फायदों और अंतर को विस्तार से समझते हैं।

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आवेदन की नई समय तारीख और प्रक्रिया

केंद्र सरकार ने कर्मचारियों, रिटायर्ड कर्मचारियों और उनके परिवारों से मिली मांगों को देखते हुए UPS में शामिल होने की अंतिम तारीख को तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2025 कर दिया है। यह फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि कई कर्मचारियों ने स्कीम को समझने और फैसला लेने के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत बताई थी। UPS में शामिल होने का विकल्प पूरी तरह स्वैच्छिक है। इसका मतलब है कि NPS के तहत आने वाले कर्मचारी अपनी मर्जी से UPS चुन सकते हैं। आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन है, और कर्मचारी इसे आसानी से पूरा कर सकते हैं। अगर कोई कर्मचारी 30 सितंबर तक UPS का विकल्प नहीं चुनता, तो माना जाएगा कि वह NPS के साथ ही बना रहेगा।

UPS के प्रमुख फायदे

UPS को खास तौर पर उन कर्मचारियों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन चाहते हैं। इस स्कीम के तहत 25 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को उनके आखिरी 12 महीनों के औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। अगर कर्मचारी की सेवा 10 साल या उससे अधिक है, तो कम से कम 10,000 रुपये मासिक पेंशन की गारंटी है। इसके अलावा, अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को पेंशन का 60 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। UPS में रिटायरमेंट और डेथ ग्रैच्युटी जैसे लाभ भी शामिल हैं, जो पहले NPS में उपलब्ध थे। साथ ही, इस स्कीम में पेंशन को महंगाई के हिसाब से बढ़ाने का प्रावधान भी है, ताकि रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारियों की आय स्थिर रहे।

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UPS और NPS में अंतर

NPS एक मार्केट से जुड़ा हुआ पेंशन सिस्टम है, जिसमें रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। वहीं, UPS एक गारंटीड पेंशन स्कीम है, जो कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद निश्चित आय की सुरक्षा देता है। UPS में सरकार कर्मचारी के वेतन का 18.5 प्रतिशत योगदान देती है, जिसमें से 10 प्रतिशत कर्मचारी के पेंशन खाते में जाता है और बाकी 8.5 प्रतिशत एक पूल फंड में जाता है, जो गारंटीड पेंशन को सपोर्ट करता है। इसके अलावा, UPS में कर्मचारी रिटायरमेंट के समय अपने कुल जमा का 60 प्रतिशत तक निकाल सकते हैं, हालांकि इस निकासी पर टैक्स छूट की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। NPS की तुलना में UPS उन कर्मचारियों के लिए ज्यादा आकर्षक है जो जोखिम से बचना चाहते हैं और निश्चित आय को प्राथमिकता देते हैं।

First Published : July 11, 2025 | 4:28 PM IST