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Sovereign Gold Bonds: सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों से घटा सोने का आयात बिल, दर्ज की अब तक की सबसे बड़ी बिक्री

विशेषज्ञों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार SGB (Sovereign Gold Bonds) को लोकप्रिय बनाने के लिए और कदम उठाए और सोने के आयात बिल में कमी लाए।

Published by
राजेश भयानी   
Last Updated- March 10, 2024 | 9:34 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 में 44.3 टन के बराबर सॉवरिन गोल्ड बॉन्डों (SGB) की बिक्री की है। यह 2015 में इसे पेश किए जाने के बाद सर्वाधिक बिक्री है। अगर मूल्य के हिसाब से देखें तो वित्त वर्ष 2024 में एसजीबी का मूल्य 3.26 अरब डॉलर रहा है और यह उम्मीद की जा रही है कि इससे सोने के सालाना आयात बिल में 7 से 8 फीसदी की कमी आई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि सरकार SGB को लोकप्रिय बनाने के लिए और कदम उठाए और सोने के आयात बिल में कमी लाए। वित्त वर्ष 2024 के शुरुआती 10 महीनों (अप्रैल से जनवरी) में ही आयात बिल 37.86 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है।

वित्त वर्ष 2024 की शुरुआती 3 तिमाहियों में करीब 648 टन सोने का आयात किया गया। हालांकि बाद में सोने के वैश्विक दाम बढ़ गए (सितंबर 2023 के 1,800 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर इस समय 2,180 डॉलर) जिसकी वजह से मांग कम हो गई और 600 रुपये प्रति 10 ग्राम की छूट दी जाने लगी।

वित्त वर्ष 2024 में सोने का आयात करीब 800 टन रहने का अनुमान है और SGB ने मात्रा के हिसाब से आयात में 5.5 फीसदी की कमी की होगी।

कोटक महिंद्रा बैंक के प्रेसीडेंट शेखर भंडारी ने कहा, ‘सरकार को सिक्कों और बार की मांग को एसजीबी में बदलने का लक्ष्य बनाना चाहिए और बैंकों को एसजीबी के विपणन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे बॉन्ड की बिक्री आकर्षक बन सके।’ उन्होंने आभूषण कारोबारियों द्वारा एसजीबी को प्रोत्साहित किए जाने की अनुमति देने का पक्ष लिया।

सरकार ने नवंबर 2015 में पहला एसजीबी पेश किया था और पहले दो इश्यू निवेशकों को उल्लेखनीय रूप से कर मुक्त ज्यादा रिटर्न देकर परिपक्व हुए। बॉन्डों के साथ स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (जीएमएस) भी शुरू की गई थी, लेकिन इसके लिवाल नहीं मिले।

अब तक कुल 147 टन के बराबर एसजीबी की बिक्री हुई है, जबकि इसकी तुलना में जीएमएस महज 10 फीसदी है। दोनों योजनाएं सोने के आयात बिल में कमी लाने के लिए पेश की गईं, जिसका असर विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये पर पड़ता है।

इस दिशा में प्रस्तावित इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज जीएमएस का समाधान मुहैया करा सकता है और इस तरीके से सोने के आयात बिल में कमी लाई जा सकती है। इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट, जिसका कारोबार हाजिर एक्सचेंज में हो सकता है, घरों में पड़े सोने को एक उत्पादक संपत्ति में बदलने का एक आदर्श समाधान हो सकता है।’

परिवार सोने में अपने निवेश को इलेक्ट्रॉनिक रिसीट में उसी तरह बदल सकते हैं, जैसे फिजिकल शेयरों को डिमैटेरियलाइज्ड शेयरों में बदला जाता है।

First Published : March 10, 2024 | 9:34 PM IST