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चांदी की कीमत 12-15 महीनों में पहुंच सकती है 1.25 लाख रुपये, सोने से बेहतर प्रदर्शन की संभावना: MOFSL

चांदी इस साल अब तक 40 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त कर चुकी है और घरेलू बाजार में 1,00,000 रुपये का स्तर पार कर चुकी है।

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आयुष मिश्र   
Last Updated- October 28, 2024 | 8:44 PM IST

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (MOFSL) का मानना है कि आने वाले साल में चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर हो सकता है। कंपनी ने अनुमान लगाया है कि अगले 12-15 महीनों में चांदी की कीमत MCX पर 1,25,000 रुपये तक जा सकती है।

यह भविष्यवाणी तब आई है जब चांदी इस साल अब तक 40 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त कर चुकी है और घरेलू बाजार में 1,00,000 रुपये का स्तर पार कर चुकी है।

सोना, जो 2016 से अच्छा प्रदर्शन कर रहा है (2021 को छोड़कर), भी सकारात्मक रुख बनाए हुए है। MOFSL ने सोने के लिए मध्यम अवधि में 81,000 रुपये और लंबी अवधि में 86,000 रुपये का लक्ष्य रखा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत COMEX पर मध्यम अवधि में 2,830 डॉलर और लंबी अवधि में 3,000 डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई गई है।

Motilal Oswal के एनालिस्ट माणव मोदी ने कहा, “2024 में बाजार की अनिश्चितताओं, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों, बढ़ती मांग और रुपये में कमजोरी के कारण कीमती धातुओं की कीमतों में तेजी देखी गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद के महीने सोने के भाव को लेकर अहम साबित होंगे। इस साल की तेजी के पीछे दो मुख्य कारण हैं – फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव। इस दिवाली के लिए बाजार का रुख सकारात्मक दिख रहा है, जिससे बुलियन की मांग बढ़ने की संभावना है।”

त्योहारी सीजन और ऐतिहासिक प्रदर्शन

इस साल दिवाली का त्योहार दो अहम घटनाओं के साथ हो रहा है – अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और 2024 की आखिरी फेडरल रिजर्व नीति बैठक। बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता होने के बावजूद, त्योहारी सीजन में सोने की खरीदारी पारंपरिक रूप से बढ़ती है।

ऐतिहासिक आंकड़े बताते हैं कि दिवाली 2019 में सोना खरीदने वाले निवेशकों को इस साल तक करीब 103 प्रतिशत का रिटर्न मिला है। MOFSL के विश्लेषण में देखा गया है कि लीप वर्षों (Leap Year) में सोने का प्रदर्शन आमतौर पर अच्छा रहता है, खासकर जब ये अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के साथ होते हैं। 2000 के बाद से, केवल 2015 और 2016 में दिवाली से पहले के 30 दिनों में नकारात्मक रिटर्न दर्ज किया गया था, जबकि बाकी समय सकारात्मक रुझान दिखा है।

मुख्य कारक

इस साल कीमती धातुओं की कीमतों में तेजी के पीछे दो प्रमुख कारण हैं:

फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति: हाल ही में 50 बेसिस पॉइंट की दर में कटौती की गई है, जिससे विकास को बढ़ावा देने की कोशिश हो रही है। हालांकि, मुद्रास्फीति और श्रम बाजार में नरमी के संकेत मिल रहे हैं, और फेड के अधिकारी अभी भी आर्थिक भविष्य को लेकर स्पष्ट नहीं हैं।

भू-राजनीतिक तनाव: रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष जैसे घटनाओं ने बाजार में अनिश्चितता बढ़ाई है, जिससे सुरक्षित निवेशों की मांग बढ़ी है।

आने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और वर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता शामिल है, बाजार में अस्थिरता ला सकती है।

Manav Modi ने कहा, “हमें उम्मीद है कि सोने की कीमतों में और भी बढ़त हो सकती है, और किसी भी गिरावट को निवेश के अवसर के रूप में देखा जा सकता है। हमारे हालिया तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक, 5-7 प्रतिशत की गिरावट एक अच्छा निवेश अवसर हो सकती है।”

ऐतिहासिक डेटा भी इस सकारात्मक दृष्टिकोण का समर्थन करता है, क्योंकि लीप वर्षों में कीमती धातुओं का प्रदर्शन बेहतर रहा है, खासकर जब ये अमेरिकी चुनावों के साथ मेल खाते हैं। 2000 से अब तक, केवल एक बार (2012-2016) लीप वर्षों में नकारात्मक रिटर्न देखा गया है, बाकी समय बाजार सकारात्मक रहा है।

First Published : October 28, 2024 | 8:44 PM IST