जिन लोगों ने मकान या अपनी कोई अन्य जायदाद बेचने के बाद दीर्घावधि का पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) हासिल किया है, वे इस पर कर देने से बच सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें अर्जित लाभ से कोई दूसरा मकान खरीदना होगा या खास बॉन्ड में निवेश करना होगा। करदाता आयकर अधिनियम की धारा 54 से लेकर 54जीबी तक मौजूद प्रावधानों के तहत ऐसा कर सकते हैं।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 6 जनवरी, 2023 को एक परिपत्र जारी कर ऐसे निवेश की मियाद बढ़ा दी है। इससे पहले जारी अधिसूचना के अनुसार जिन लोगों को 1 अप्रैल, 2021 से लेकर 29 सितंबर, 2021 तक निवेश करना जरूरी था, वे 30 सितंबर, 2021 तक ऐसा कर सकते थे। लेकिन नई अधिसूचना में कहा गया है कि जो निवेश 1 अप्रैल, 2021 से 28 फरवरी, 2022 के बीच किया जाना था, वह 31 मार्च, 2023 कर किया जा सकता है।
कोविड-19 महामारी के कारण मकान आदि में निवेश करना मुश्किल हो गया था। क्लियर के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी अर्चित गुप्ता कहते हैं, ‘कर बचाने में मददगार योजनाएं नहीं होने के कारण करदाताओं के लिए मुश्किलें बढ़ गई थीं। करदाताओं पर पूंजीगत लाभ कर का बोझ कम करने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।’
धारा 54 से 54 जीबी
पूंजीगत लाभ कर से छूट के लिए करदाताओं को निश्चित समय के भीतर धारा 54 से लेकर 54 जीबी के तहत किसी खास आवासीय संपत्ति या विशेष बॉन्ड में निवेश करना पड़ता है। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘आयकर की धारा 54 के तहत कोई करदाता मकान की बिक्री से हुए लाभ पर दीर्घावधि लाभ कर से छूट का दावा कर सकता है।
मगर इसके लिए शर्त यह है कि जायदाद बिकने के दो साल के भीतर उस लाभ या रकम का निवेश नई आवासीय संपत्ति खरीदने में करना होगा या बिक्री के तीन साल के भीतर नया मकान बनाना होगा।’धारा 54एफ के तहत आवासीय संपत्ति के अलावा दूसरी दीर्घावधि पूंजीगत संपत्तियों की बिक्री से हुए पूंजीगत लाभ पर कर बचाने का मौका मिलता है। लेकिन धारा 54 की ही तरह इसमें भी बिक्री से मिली रकम तय समय के भीतर भारत में कोई आवासीय संपत्ति खरीदने में लगानी होती है।
सही विकल्प में करें निवेश
कोविड महामारी के बाद निवेशकों के पास एक बार फिर निवेश के सभी विकल्प आ गए हैं। सीबीडीटी के इस कदम से निवेशकों को सही फैसला लेने और सही विकल्प में निवेश करने के लिए ज्यादा समय मिल जाएगा।
आईपी पसरीचा ऐंड कंपनी में पार्टनर मनीत पाल सिंह कहते हैं, ‘सीबीडीटी के इस फैसले के बाद करदाताओं को निवेश के उन सभी मौकों पर विचार करने का समय मिल जाएगा, जो साल भर पहले तक थे ही नहीं।’ टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा का कहना है कि सीबीडीटी की नई अधिसूचना से न केवल उन करदाताओं को लाभ मिलेगा जिन्हें अभी निवेश करना है बल्कि उन्हें भी लाभ होगा जिन्होंने पिछली समयसीमा बीतने के बाद निवेश किया था।
कुछ बाधाएं भी
इसमें कोई शक नहीं कि करदाताओं की सहूलियत के लिए अधिसूचना जारी की गई है मगर एक पेच भी है। करदाता निर्धारण वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न पहले ही दाखिल कर चुके हैं। संशोधित रिटर्न भरने का मौका 31 दिसंबर, 2022 तक था, जो अब खत्म हो चुका है।
सीएनके में पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग कहते हैं, ‘पिछली अधिसूचना के हिसाब से जो करदाता कर में छूट नहीं मांग सकते थे, उनके लिए अब भी कोई राहत नहीं है। कर बचाने के लिए तय समयसीमा के भीतर निवेश नहीं कर पाने की वजह से वे अपने आयकर रिटर्न में सारी बातों का पहले ही जिक्र कर चुके हैं। कर रिटर्न में अपना दावा बदलने का कोई मौका करदाताओं के पास नहीं है, इसलिए निवेश की समय सीमा बढ़ाने का उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।’
तब क्या हैं विकल्प?
जब तक संशोधित रिटर्न जमा करने की समय सीमा नहीं बढ़ाई जाएगी तब तक करदाताओं को नई अधिसूचना का लाभ नहीं मिलेगा। लूथरा ऐंड लूथरा लॉ ऑफिस इंडिया में पार्टनर सुमित मंगल कहते हैं, ‘अगर किसी करदाता ने कुछ परेशानियों का हवाला देते हुए कर रिटर्न में पूंजीगत लाभ पर कर छूट की मांग की थी और तय समयसीमा के भीतर वह निवेश नहीं कर पाया था। तब भी वह बढ़ी हुई मियाद के दौरान निवेश कर सकता है और कर रिटर्न में किए दावे को सही ठहरा सकता है।’
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धारा 54 से 54 जीबी तक के प्रावधानों का लाभ उठाने के लिए निवेश से जुड़े साक्ष्य अपने पास रखें। अच्छी तरह जांच-परख के बाद अपने लिए सबसे उपयुक्त कर बचत योजना में निवेश करें। अगर कोई उलझन है तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास चले जाएं। मगर कई करदाताओं के पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। नारंग कहते हैं, ‘सीबीडीटी जब तक इस मामले में कोई स्पष्टीकरण नहीं देता है तब तक इंतजार कीजिए।’