ब्याज दरों के ऊंची बने रहने की वजह से आम निवेशक फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposit) में जमकर पैसा लगा रहे हैं। ज्यादातर जानकार यह मानते हैं कि इस साल ब्याज दरों में कटौती की कोई संभावना नहीं है। लेकिन ब्याज दरों में अब यहां से ज्यादा बढ़ोतरी की भी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है। इसलिए निवेशकों के लिए इस समय एफडी (FD) में निवेश करने का उपयुक्त समय है।
फिक्की (FICCI) और भारतीय बैंक संघ (IBA) की हालिया रिपोर्ट भी बताती है कि ब्याज दर ऊंची होने के कारण अब लोग सेविंग अकाउंट में पैसा रखने के बजाय फिक्स्ड डिपॉजिट पर जोर दे रहे हैं। जिस वजह से बैंकों के करंट और सेविंग अकाउंट (Current Account and Savings Account यानी CASA) डिपॉजिट में कमी आई है।
लेकिन सेविंग अकाउंट और टर्म डिपॉजिट से संबंधित टैक्स नियमों को लेकर ज्यादातर लोगों को गलतफहमी होती है। कई निवेशकों को सिर्फ जानकारी के अभाव में टैक्स चुकाना पड़ता है जिनसे उनका रिटर्न प्रभावित होता है। इसलिए आज बात करते हैं सेविंग अकाउंट और टर्म (फिक्स्ड/रेकरिंग) डिपॉजिट से संबंधित टैक्स नियमों के बारे में:
टर्म डिपॉजिट पर ब्याज
60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के लिए टर्म (फिक्स्ड/रेकरिंग) डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल है। यानी टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय (income from other sources) में शामिल किया जाएगा और आपको इस आय के ऊपर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस
बैंक और को-ऑपरेटिव सोसायटी के टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस का प्रावधान है। अगर आपको एफडी पर ब्याज के रूप में एक वित्त वर्ष में 40 हजार रुपये से ज्यादा की आय हो रही है (सीनियर सिटीजन के मामले में 50 हजार रुपये) तो बैंक टीडीएस काटने को बाध्य हैं।
अकाउंट के साथ पैन (PAN) नंबर उपलब्ध रहने पर बैंक टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज पर 10 फीसदी के हिसाब से टीडीएस काटते हैं। जबकि पैन नंबर नहीं देने पर 20 फीसदी के हिसाब से टीडीएस काटते हैं। टीडीएस से बचने के लिए 60 वर्ष से कम उम्र के लोग फॉर्म 15G जबकि 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के लोग फॉर्म 15H भरकर बैंक में जमा कर सकते हैं।
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अगर आपने एक बैंक की अलग-अलग शाखाओं में टर्म डिपॉजिट कराया है तो उन सारी शाखाओं में उपलब्ध आपके टर्म डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ दिया जाएगा। जोड़ने के बाद यदि कुल ब्याज की राशि 40 हजार रुपये (सीनियर सिटीजन के मामले में 50 हजार रुपये) से ज्यादा नहीं बनती है तो बैंक टीडीएस नहीं काटेंगे। लेकिन अगर यह लिमिट से ज्यादा हुई तो बैंक टीडीएस काट लेंगे। लेकिन अगर आपने अलग-अलग बैंकों में टर्म डिपॉजिट करवाया है तो इन बैंकों में मिलने वाले ब्याज को जोड़ा नहीं जाएगा।
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस
पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट पर टीडीएस का प्रावधान नहीं है।
एफडी पर 80C का फायदा
अगर आप ओल्ड टैक्स रिजीम (old tax regime) के तहत फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) पर 80C के तहत डिडक्शन (कटौती) का फायदा लेना चाहते हैं तो आपको कम से कम 5 साल की अवधि के लिए एफडी करवानी होगी। पांच साल के लिए एफडी करवाने पर आप एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक की राशि पर 80C के तहत मिलने वाले डिडक्शन के हकदार होंगे। सामान्य एफडी की तरह ही 5 साल के एफडी पर भी मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में कोई छूट नहीं है। मतलब ब्याज अन्य स्रोतों से होनेवाली आय में शामिल किया जाएगा और आपको इस आय के ऊपर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा। जबकि टीडीएस के नियम भी सामान्य एफडी की तरह ही होंगे।
नई टैक्स व्यवस्था में इस तरह के बेनिफिट यानी 80C के तहत डिडक्शन का प्रावधान नहीं है।
अब सेविंग अकाउंट पर टैक्स से संबंधित नियमों की बात कर लेते हैं।
सेविंग अकाउंट पर ब्याज
इनकम टैक्स एक्ट, 1961, की धारा (सेक्शन) 80TTA के तहत 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति के लिए बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी और पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट पर एक वित्त वर्ष में 10 हजार रुपये तक का ब्याज टैक्स-फ्री है। यानी 10 हजार रुपये से ऊपर का ब्याज ही अन्य स्रोतों से होने वाली आय में शामिल किया जाएगा और आपको इस आय के ऊपर अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा।
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सेक्शन 80TTA के तहत आपके जितने भी सेविंग अकाउंट होंगे, चाहे वह अलग-अलग या एक ही बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस में हों, एक वित्त वर्ष के दौरान उन पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ दिया जाएगा।
सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस (TDS) का प्रावधान नहीं है।
पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट
पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961, में एक अलग सेक्शन 10 (15) का प्रावधान है, जिसके मुताबिक अगर किसी व्यक्ति का पोस्ट ऑफिस में सेविंग अकाउंट है तो सिंगल और ज्वाइंट अकाउंट के लिए एक वित्त वर्ष में क्रमशः 3,500 रुपये और 7,000 हजार रुपये तक के ब्याज पर टैक्स में छूट है। लेकिन ध्यान रहे अगर आपने पोस्ट ऑफिस सेविंग (सिंगल) अकाउंट के लिए 3,500 रुपये तक के ब्याज पर इस सेक्शन के तहत टैक्स में छूट का फायदा ले लिया है तो बाकी 7,500 रुपये ब्याज पर ही आप 80TTA के तहत टैक्स में छूट का फायदा ले सकते हैं।
कहने का मतलब यह कि अगर आप सेक्शन 10 (15) के तहत पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स में छूट का फायदा नहीं लेते हैं तभी 10 हजार रुपये तक के ब्याज पर 80TTA के तहत फायदा ले सकते हैं।
सीनियर सिटीजन सेविंग अकाउंट, एफडी पर कैसे चुकाते हैं टैक्स
इनकम टैक्स एक्ट, 1961, के सेक्शन 80TTB के तहत 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र के व्यक्ति यानी सीनियर सिटीजन के लिए बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी, पोस्ट ऑफिस सेविंग अकाउंट व टर्म डिपॉजिट पर एक वित्त वर्ष में 50 हजार रुपये तक मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है। मतलब सीनियर सिटीजन 80TTA का फायदा नहीं ले सकते। 80TTB के तहत भी आपके जितने भी डिपॉजिट हों, चाहे अलग अलग या एक ही बैंक, को-ऑपरेटिव सोसायटी या पोस्ट ऑफिस में, एक वित्त वर्ष में उन पर मिलने वाले ब्याज को जोड़ दिया जाएगा।