भारत में सैलरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए प्रोविडेंट फंड (PF) सिर्फ एक अनिवार्य बचत योजना नहीं है, बल्कि यह उनके लिए एक आर्थिक सुरक्षा कवच भी है। यह फंड नौकरी बदलने, इमरजेंसी या रिटायरमेंट जैसे समय में बहुत काम आता है।
EPFO (Employees’ Provident Fund Organisation) द्वारा PF निकालने की जो प्रक्रिया बताई जाती है, वो सुनने में बेहद आसान लगती है—फॉर्म भरिए, KYC पूरा कीजिए और 7 से 15 वर्किंग डे के भीतर पैसा आपके खाते में आ जाएगा। लेकिन असल ज़िंदगी में मामला इतना सीधा नहीं होता।
कई बार दस्तावेज़ों की जांच में देरी, KYC में गड़बड़ी, नियोक्ता की पुष्टि में समय लगना या तकनीकी दिक्कतें PF निकासी को लंबा खींच देती हैं। कुछ मामलों में तो लोगों को महीनों तक इंतजार करना पड़ता है।
इसलिए जरूरी है कि PF निकालने से पहले सभी जरूरी दस्तावेजों को जांच लें, अपना आधार, बैंक डिटेल्स और पैन नंबर अपडेट रखें और यह सुनिश्चित करें कि आपका UAN (Universal Account Number) एक्टिव और वेरिफाइड हो।
भले ही कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 के पैरा 69 में यह साफ तौर पर लिखा है कि सभी जरूरी जांच के बाद पीएफ राशि समय पर जारी की जाए, लेकिन हकीकत में ऐसा बहुत कम होता है। कई कर्मचारी हफ्तों नहीं, बल्कि महीनों तक अपनी पीएफ राशि के इंतजार में रहते हैं।
अगर किसी कर्मचारी के आधार, पैन, बैंक अकाउंट नंबर या नियोक्ता के रिकॉर्ड में ज़रा-सी भी गड़बड़ी होती है, तो पूरा पीएफ दावा अटक सकता है। यही वजह है कि तमाम लोग सिस्टम की खामियों से परेशान नजर आते हैं।
K S Legal Associates की मैनेजिंग पार्टनर सोनम चंदवानी के मुताबिक, अगर सभी दस्तावेज और जानकारी सही हो और नियोक्ता कर्मचारी की एग्जिट डेट पोर्टल पर अपडेट कर दे, तो पीएफ की रकम 7 से 15 वर्किंग डेज के भीतर मिल जानी चाहिए। लेकिन असल में अक्सर इसमें देरी होती है। कारण? या तो आधार और बैंक की जानकारी मेल नहीं खाती या फिर नियोक्ता की तरफ से एग्जिट डेट पोर्टल पर अपडेट नहीं की जाती।
ऐसे में कर्मचारी के पास एक ही विकल्प बचता है—या तो EPFO की शिकायत निवारण प्रणाली में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराएं, या फिर क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त के पास अपनी बात रखें।
एक छोटी-सी जानकारी में गड़बड़ी लोगों को हफ्तों की परेशानी में डाल सकती है। जबकि सिस्टम को ऐसा होना ही नहीं चाहिए था। अब जरूरत है कि EPFO और नियोक्ता, दोनों अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लें ताकि कर्मचारियों को उनका पैसा समय पर मिल सके।
पीएफ निकालने की प्रक्रिया कई बार लोगों के लिए उलझनों से भरी होती है। सबसे ज्यादा भ्रम इस बात को लेकर रहता है कि किस काम के लिए कौन-सा फॉर्म भरना है।
विशेषज्ञ चंदवानी के अनुसार, “फॉर्म 19, 10सी और 15जी/15एच पीएफ निकालने के जरूरी दस्तावेज हैं। 60 साल से ऊपर के रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए फॉर्म 10सी मान्य नहीं होता, ऐसे में उन्हें हर महीने पेंशन पाने के लिए फॉर्म 10डी भरना होता है।”
कई बार लोग पीएफ और पेंशन (EPS) के बीच का फर्क नहीं समझ पाते। पीएफ मतलब आपकी जमा राशि, जबकि EPS के तहत पेंशन दी जाती है। दोनों के लिए अलग-अलग फॉर्म और प्रक्रिया होती है।
ईपीएफओ ने अब एक Composite Claim Form शुरू किया है, जिसमें एक ही फॉर्म से कई काम किए जा सकते हैं। इसके बावजूद भी लोगों को यह समझना मुश्किल होता है कि उनके लिए कौन-सा विकल्प सही है—लंप सम या मासिक पेंशन।
चंदवानी कहते हैं, “TDS से बचने के लिए लोग फॉर्म 15G या 15H भरते हैं, लेकिन EPFO पोर्टल पर सही जानकारी की कमी से ये प्रक्रिया और ज्यादा जटिल हो जाती है।”
सबसे बड़ी समस्या है सही मार्गदर्शन की कमी। न तो ईपीएफओ की ओर से पूरी जानकारी मिलती है, न ही हर नियोक्ता पूरी सहायता करता है। ऐसे में लोगों को फॉर्म भरने और दावा करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
EPFO क्लेम में मुश्किलें: कॉम्प्लायंस की पेचीदगियां और पोर्टल की तकनीकी दिक्कतें बना रही हैं रुकावट
EPFO से पीएफ क्लेम करना अब पहले जितना आसान नहीं रहा। कर्मचारियों को एक वैध क्लेम दाखिल करने के लिए कई जरूरी शर्तें पूरी करनी होती हैं। इसमें आधार-पैन लिंक होना, KYC अपडेट, ई-नॉमिनेशन और नियोक्ता की ओर से ‘एग्जिट’ की पुष्टि शामिल है। इन शर्तों में से कोई एक भी अधूरी रह जाए, तो क्लेम फाइल ही नहीं किया जा सकता।
अब ई-नॉमिनेशन करना अनिवार्य कर दिया गया है। अगर यह अपडेट नहीं है, तो EPFO पोर्टल पर क्लेम का विकल्प ही नजर नहीं आता। यानी, यह एक जरूरी शर्त बन चुकी है जिसे पूरा किए बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता।
इसके अलावा, पोर्टल से जुड़ी तकनीकी समस्याएं भी कर्मचारियों को परेशान करती हैं। IFSC कोड का मिसमैच, गलत फॉर्मेट में दस्तावेज अपलोड होना, आधार वेरिफिकेशन में फेल होना जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। वहीं, कई मामलों में जब क्लेम को मंजूरी देने के लिए नियोक्ता का डिजिटल सिग्नेचर जरूरी होता है, तो वहां भी देरी देखने को मिलती है—खासतौर पर जब नियोक्ता सहयोग नहीं करते या उनके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं होता।
कानूनी विशेषज्ञ की राय
खैतान एंड कंपनी के पार्टनर वैभव भारद्वाज बताते हैं, “पीएफ योगदान निकालने के लिए कर्मचारियों को फॉर्म भरना, जरूरी दस्तावेज़ जोड़ना और इन्हें संबंधित विभाग में जमा करना होता है। कुछ मामलों में नियोक्ता की पुष्टि भी जरूरी होती है, जो उस क्लेम की प्रकृति पर निर्भर करती है। साथ ही, क्लेम की प्रक्रिया कर्मचारी की श्रेणी, पात्रता और क्लेम के कारण के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।”
इन सभी पेचीदगियों और तकनीकी अड़चनों के चलते, हजारों कर्मचारी अपने ही पैसों के लिए परेशान हो रहे हैं और कई बार महीनों तक इंतजार करना पड़ता है।
EPFO से पैसा निकालना बना मुश्किल काम, छोटी-छोटी गलतियों की बड़ी कीमत चुका रहे कर्मचारी
नौकरी छोड़ने के बाद PF निकालना जितना आसान लगता है, असल में उतना है नहीं। कई बार मामूली सी गलती या जानकारी की कमी के चलते कर्मचारी महीनों तक अपनी ही कमाई का इंतजार करते रह जाते हैं।
दिल्ली के आईटी प्रोफेशनल आमिष गुप्ता का अनुभव बताता है कि किस तरह सिस्टम की खामियों की वजह से परेशानी होती है। उन्होंने कहा, “मैंने सारे डॉक्युमेंट्स सही तरीके से जमा किए थे, फिर भी मेरी राशि दो महीने बाद मिली, क्योंकि सिस्टम में मेरी डेट ऑफ एग्जिट दर्ज नहीं थी। यह सिर्फ मेरा पुराना नियोक्ता ही अपडेट कर सकता था।”
कई लोग गलत फॉर्म भर देते हैं, कुछ का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) इनएक्टिव होता है, तो किसी के बैंक डिटेल्स EPFO से वेरिफाइड नहीं होते। वहीं कई कर्मचारियों को यह तक नहीं पता होता कि उनके पुराने कंपनी ने ‘एग्जिट प्रोसेस’ पूरा नहीं किया है। आधार और EPFO रिकॉर्ड में नाम में थोड़ी सी गड़बड़ी भी क्लेम को रोक सकती है।
PF क्लेम से जुड़ी अन्य चुनौतियां ये भी हैं:
क्या करें अगर PF क्लेम रिजेक्ट हो जाए?
अगर आपका दावा रिजेक्ट हो गया हो या बहुत देर हो रही हो, तो आप ये कदम उठा सकते हैं:
EPFO का सिस्टम काफी सख्त है। कोई भी छोटी सी गलती—चाहे वह नाम की स्पेलिंग हो, डेट ऑफ बर्थ हो या बैंक डिटेल्स—क्लेम रोक सकती है। ऐसे में कर्मचारियों को हर जानकारी ध्यान से भरनी चाहिए और जरूरी दस्तावेज समय पर अपलोड करने चाहिए।
जब तक EPFO की प्रक्रिया और यूजर-फ्रेंडली नहीं बनती, तब तक PF निकालना एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया बनी रह सकती है।
PF निकालने से पहले इन 5 बातों का रखें खास ध्यान, वरना अटक सकता है क्लेम
अगर आप भविष्य निधि (PF) का पैसा निकालने की तैयारी कर रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही की वजह से आपका क्लेम रिजेक्ट भी हो सकता है। यहां हम आपको आसान भाषा में बता रहे हैं कि PF निकालने से पहले किन बातों की जांच कर लेनी चाहिए: