यात्री किराये में वृद्धि की संभावना के बीच रेल मंत्रालय यात्री चार्ट तैयार होने पर वेटिंग टिकट रद्द होने या प्रतीक्षा सूची वाले टिकट रद्द कराने के पैसे वापस करने में लिपिकीय शुल्क माफ करने की संभावना पर विचार कर रहा है। अगर होता है तो यात्रियों को वेटिंग टिकट रद्द कराने के शुल्क में कमी आएगी।
2015 में बने वर्तमान नियमों के अनुसार सभी आरक्षित श्रेणी के टिकटों पर 60 रुपये क्लर्केज शुल्क लगता है। द्वितीय श्रेणी के अनारक्षित टिकटों पर 30 रुपये शुल्क लगता है। कनफर्म टिकट और वेटिंग या आरएसी (किसी के आरक्षिट टिकट पर रद्द होने पर मिलने वाली सीट) टिकट रद्द कराने पर सुविधा शुल्क व लिपिकीय शुल्क यात्रियों को वापस नहीं किया जाता है।
अधिकारी ने कहा, ‘रेलवे टिकटिंग प्रणाली के बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास व उसके संचालन के लिए कामकाजी शुल्क लिया जाता है। यह फंक्शनल व्यय है, जो टिकट कन्फर्म न होने पर भी लगता है। इस पर चर्चा हो रही है कि कामकाजी शुल्क पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है या आंशिक रूप से।’
टिकट रद्द कराने का शुल्क देखने में कम लग सकता है, लेकिन रेलवे को इससे बड़ी आमदनी होती है, क्योंकि हर साल लाखों टिकट रद्द कराए जाते हैं। दिसंबर 2024 में लोकसभा में एक लिखित जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा था कि प्रतीक्षा सूची के टिकट रद्द कराने से कितना राजस्व आता है, इसका अलग से कोई रिकॉर्ड रेलवे के पास नहीं है। संसद को दी गई सूचना के मुताबिक प्रतीक्षा सूची के टिकट इसलिए दिए जाते हैं कि कन्फर्म और आरएसी टिकट रद्द होने से खाली हुई सीटें भरी जा सकें। साथ ही अपग्रेडेशन योजना के तहत प्रतीक्षा सूची के टिकटों को अपग्रेड किए जाने का विकल्प होता है, या विकल्प योजना के तहत उन यात्रियों को वैकल्पिक ट्रेनों में भेजा जाता है।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के मुताबिक 2021 से 2024 के बीच टिकट रद्द कराए जाने से रेलवे को 1,230 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। 2021में प्रतीक्षा सूची से 2.52 करोड़ टिकट रद्द किए गए थे। इससे रेलवे को 242 करोड़ रुपये कमाई हुई थी। वर्ष 2022 में 4.6 करोड़ टिकट रद्द हुए थे जिससे 429 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 505 करोड़ रुपये हो गया और 5.2 करोड़़ टिकट रद्द हुए।