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ITR Filing: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने का कर रहे हैं प्लान? किन बातों का ध्यान रखना जरूरी, एक्सपर्ट से जानें

ITR फाइल करना कोई मुश्किल काम नहीं है, बशर्ते सही समय पर सही कदम उठाए जाएं। टैक्स डिपार्टमेंट की नई सुविधाएं ने इस प्रक्रिया को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है।

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ऋषभ राज   
Last Updated- April 18, 2025 | 5:37 PM IST

हर साल अप्रैल का महीना आते ही देशभर के करदाताओं के सामने एक सवाल खड़ा हो जाता है कि इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) कैसे और कब फाइल करना है? वित्तीय वर्ष 2024-25 खत्म होने के साथ ही असेसमेंट वर्ष 2025-26 के लिए ITR फाइल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह प्रक्रिया सिर्फ एक कानूनी जिम्मेदारी ही नहीं, बल्कि फाइनेंशियल हेल्थ को बनाए रखने का भी एक अहम हिस्सा है। लेकिन कई लोगों के लिए ITR फाइल करना जटिल और उलझन भरा काम लगता है। सही जानकारी और थोड़ी सी तैयारी के साथ यह प्रक्रिया बेहद आसान हो सकती है।

सही ITR फॉर्म चुनें: अपनी आय के हिसाब से करें फैसला

ITR फाइल करने की शुरुआत सही फॉर्म चुनने से होती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 7 तरह के ITR फॉर्म नोटिफाई किए हैं—ITR-1, ITR-2, ITR-3, ITR-4, ITR-5, ITR-6 और ITR-7। हर फॉर्म अलग-अलग तरह की आय और अलग-अलग तरह के करदाताओं के लिए बनाया गया है। मिसाल के तौर पर, ITR-1 (सहज) उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना आय 50 लाख रुपये तक है और आय का स्रोत सैलरी, एक मकान की किराए की आय या ब्याज है। वहीं, ITR-2 उन लोगों के लिए है जिनकी आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है या जिनके पास कैपिटल गेन, विदेशी संपत्ति या एक से ज्यादा प्रॉपर्टी से आय है।

टैक्स और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, सही फॉर्म चुनना ITR फाइल करने का सबसे अहम कदम है। अगर करदाता व्यक्ति है, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) है, या कोई कंपनी चलाता है, तो उसके लिए अलग-अलग फॉर्म होंगे। उदाहरण के लिए, ITR-5 पार्टनरशिप फर्म, LLP, सोसाइटी या ट्रस्ट के लिए है। गलत फॉर्म चुनने से रिटर्न रिजेक्ट हो सकता है या टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस मिल सकता है। इसलिए, आय के स्रोत, कुल आय और करदाता की श्रेणी को ध्यान में रखकर फॉर्म चुनना जरूरी है। अगर इस बारे में उलझन हो, तो किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह लेना बेहतर है। सही फॉर्म चुनने से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि बाद में होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकता है।

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समय पर डॉक्यूमेंट्स जमा करें: देरी से बचें

ITR फाइल करने से पहले सभी जरूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा करना बेहद जरूरी है। डॉक्यूमेंट्स की कमी की वजह से कई करदाता समय पर रिटर्न फाइल नहीं कर पाते और उन्हें जुर्माना देना पड़ता है। जरूरी डॉक्यूमेंट्स में पैन कार्ड, आधार कार्ड, फॉर्म 16 (सैलरी से आय के लिए), फॉर्म 16A (TDS सर्टिफिकेट), बैंक स्टेटमेंट, निवेश के प्रमाण (जैसे ELSS, PPF, या इंश्योरेंस), और कैपिटल गेन के स्टेटमेंट शामिल हैं। अगर विदेशी आय अर्जित की गई है, तो फॉर्म 67 जमा करना जरूरी है।

इसके अलावा, फॉर्म 26AS में सारी टैक्स-संबंधी जानकारी, जैसे TDS और टैक्स पेमेंट, दर्ज होती है। इसे फाइल करने से पहले जरूर चेक करना चाहिए। डॉक्यूमेंट्स इकट्ठा करने का काम साल की शुरुआत में ही शुरू कर देना चाहिए। मिसाल के तौर पर, अगर कोई फ्रीलांसर है, तो उसे अपने क्लाइंट्स से फॉर्म 16A पहले ही मांग लेना चाहिए। बैंक स्टेटमेंट और म्यूचुअल फंड के स्टेटमेंट भी समय पर डाउनलोड कर लेने चाहिए। ऐसा करने से आखिरी समय की भागदौड़ और गलतियों से बचा जा सकता है। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि डॉक्यूमेंट्स की एक चेकलिस्ट बनाकर रखने से फाइलिंग की प्रक्रिया आसान हो जाती है।

टैक्स रिजीम का चयन: ओल्ड या न्यू, क्या है बेहतर?

बलवंत जैन कहते हैं, “ITR फाइल करने से पहले एक बड़ा सवाल यह होता है कि ओल्ड टैक्स रिजीम चुनें या न्यू। सैलरी, ब्याज या किराए से आय वाले लोग हर साल ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम के बीच स्विच कर सकते हैं, बशर्ते वे ITR फाइल करने की आखिरी तारीख (31 जुलाई 2025) से पहले फैसला कर लें। लेकिन बिजनेस या प्रोफेशनल आय वाले लोगों के लिए नियम थोड़े सख्त हैं। अगर वे न्यू रिजीम चुनते हैं, तो बार-बार स्विच करना मुश्किल हो सकता है।”

न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स स्लैब कम हैं, लेकिन डिडक्शन और छूट की सुविधा नहीं मिलती। वहीं, ओल्ड रिजीम में सेक्शन 80C, 80D जैसी छूट का फायदा उठाया जा सकता है। बजट 2025 में न्यू रिजीम में 12 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री कर दिया गया है, लेकिन 4 लाख से 12 लाख के बीच की आय वालों को ITR फाइल करना होगा ताकि वे सेक्शन 87A के तहत रिबेट क्लेम कर सकें। अगर कोई करदाता ओल्ड रिजीम चुनता है, तो फॉर्म 10-IEA जमा करना जरूरी है। दोनों रिजीम की तुलना करने के लिए आय, निवेश और छूट के आधार पर गणना करनी चाहिए।

समय पर फाइल करें: जुर्माने और नोटिस से बचें

ITR फाइल करने में देरी करना महंगा पड़ सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के मुताबिक, अगर समय पर ITR फाइल नहीं किया जाता, तो 5,000 रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर आय 5 लाख रुपये से कम है, तो जुर्माना 1,000 रुपये है। इसके अलावा, बकाया टैक्स पर हर महीने 1% ब्याज भी देना पड़ता है। ITR फाइल करने की सामान्य तारीख 31 जुलाई 2025 है, लेकिन अगर यह तारीख मिस हो जाती है, तो 15 जनवरी 2026 तक बिलेटेड रिटर्न फाइल किया जा सकता है। अगर कोई गलती हो गई है, तो रिवाइज्ड रिटर्न भी फाइल करने का मौका मिलता है।

टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR फाइलिंग को आसान बनाने के लिए कई न्यू सुविधाएं शुरू की हैं। मिसाल के तौर पर, प्री-फिल्ड ITR और नया फॉर्म 26AS सारी टैक्स-संबंधी जानकारी ऑटोमैटिकली भर देता है। समय पर फाइल करने से न केवल जुर्माने से बचा जा सकता है, बल्कि वित्तीय विश्वसनीयता भी बढ़ती है। इसलिए, अप्रैल से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। दस्तावेज जमा करने और अकाउंटेंट से बात करने का काम पहले से कर लेने से आखिरी समय की परेशानी से बचा जा सकता है। समय पर फाइलिंग न केवल कानूनी परेशानियों से बचाती है, बल्कि मन की शांति भी देती है।

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टेक्नोलॉजी का लाभ उठाएं: फाइलिंग अब आसान

ITR फाइल करना पहले जितना जटिल नहीं रहा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR-2 के लिए नया एक्सेल-बेस्ड यूटिलिटी वर्जन लॉन्च किया है, जो उन लोगों के लिए है जिनकी आय बिजनेस या प्रोफेशन से नहीं है। इसके अलावा, e-Pay टैक्स सर्विस के लिए 30 बैंकों की लिस्ट जारी की गई है, जिसमें हाल ही में IDFC फर्स्ट बैंक और तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक शामिल हुए हैं।

ऑनलाइन e-Filing पोर्टल पर प्री-फिल्ड डेटा की सुविधा है, जिसमें सैलरी, ब्याज और डिविडेंड की जानकारी पहले से भरी होती है। फॉर्म 26AS को चेक करके सारी जानकारी को क्रॉस-चेक किया जा सकता है। अगर कोई परेशानी होती है, तो टैक्स डिपार्टमेंट का 24×7 हेल्पडेस्क कॉल, लाइव चैट और वेबएक्स सेशन के जरिए मदद करता है। इन तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल करके न केवल समय की बचत होती है, बल्कि गलतियों की संभावना भी कम हो जाती है। ऑनलाइन पोर्टल का इस्तेमाल करके कुछ ही घंटों में रिटर्न फाइल किया जा सकता है। इसलिए, तकनीक का फायदा उठाना चाहिए, ताकि फाइलिंग की प्रक्रिया आसान और तेज हो सके।

एक्सपर्ट का क्या है मानना?

एक्सपर्ट का मानना है कि ITR फाइल करना कोई मुश्किल काम नहीं है, बशर्ते सही समय पर सही कदम उठाए जाएं। सही फॉर्म चुनना, दस्तावेज इकट्ठा करना, टैक्स रिजीम का चयन, समय पर फाइलिंग और तकनीकी सुविधाओं का इस्तेमाल—इनका ध्यान रखते हुए आप बिना किसी परेशानी के ITR फाइल कर सकते हैं। टैक्स डिपार्टमेंट की नई सुविधाएं और ऑनलाइन पोर्टल ने इस प्रक्रिया को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। देर करने की बजाय आज से ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, ताकि 31 जुलाई 2025 की डेडलाइन से पहले रिटर्न फाइल हो जाए। समय पर टैक्स फाइल करने से न केवल कानूनी परेशानियों से बचा जा सकता है, बल्कि वित्तीय जिम्मेदारी को भी पूरा किया जा सकता है। आखिरकार, सही समय पर उठाया गया कदम भविष्य में बड़ी राहत देता है।

First Published : April 18, 2025 | 5:25 PM IST