प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
ITR filing 2025: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना हर साल टैक्सपेयर्स के लिए एक जरूरी काम होता है, लेकिन कई बार इसमें छोटी-छोटी गलतियां उनके लिए भारी पड़ जाती हैं। वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 15 सितंबर 2025 तक है। इस बीच इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने ITR-1, 2, 3 और 4 के लिए एक्सेल यूटिलिटी जारी कर दी हैं, जिससे प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, जल्दबाजी या जानकारी की कमी के कारण कई बार टैक्सपेयर्स ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो नोटिस, जुर्माना या रिटर्न के रद्द होने का कारण बन सकती हैं। आइए जानते हैं, सात ऐसी आम गलतियों के बारे में, जिनसे टैक्सपेयर्स को बचना चाहिए।
सबसे आम गलती है गलत ITR फॉर्म का चयन। हर फॉर्म खास तरह की आय और टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है। मिसाल के तौर पर, अगर आपने शेयरों की बिक्री से 1.25 लाख रुपये से ज्यादा का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कमाया है या आपके पास किसी विदेशी बैंक में अकाउंट है, तो आप ITR-1 की जगह ITR-2 भरना होगा। गलत फॉर्म चुनने से आपकी रिटर्न ‘डिफेक्टिव’ मानी जा सकती है या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है। इसलिए, अपनी आय के सोर्स को ध्यान से देखें और सही फॉर्म चुनें।
कई टैक्सपेयर्स अपनी सारी आय को रिटर्न में नहीं दिखाते, चाहे वह टैक्सेबल हो या नहीं। मसलन, बचत खाते का ब्याज, फिक्स्ड डिपॉजिट का ब्याज, किराए की आय या शेयरों से डिविडेंड को छिपाना गलत है। भले ही बचत खाते के ब्याज पर 10,000 रुपये तक की छूट मिलती हो, लेकिन इसे रिटर्न में दिखाना जरूरी है। आय छिपाने से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नजर में आप गलत ठहर सकते हैं, जिससे नोटिस या जुर्माना लग सकता है।
रिटर्न फाइल करने से पहले Form 26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की जांच करना जरूरी है। ये डॉक्यूमेंट्स आपकी आय, TDS और बड़े लेनदेन की जानकारी देते हैं। अगर इनमें कोई गलती है, जैसे बैंक द्वारा काटा गया TDS गलत दिख रहा हो, तो उसे ठीक करवाएं। इन डॉक्यूमेंट्स का मिलान Form-16, बैंक स्टेटमेंट और अन्य रिकॉर्ड से करें। अगर जानकारी में अंतर हुआ, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है।
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अगर आपने वित्त वर्ष में नौकरी बदली है, तो दोनों एम्प्लॉयर्स से मिली आय को रिटर्न में दिखाना जरूरी है। दोनों की Form-16 को ध्यान से देखें और सुनिश्चित करें कि कोई आय छूट न जाए। कई बार टैक्सपेयर्स पुराने एम्प्लॉयर की आय या TDS की जानकारी छोड़ देते हैं, जो गलत है। AIS में आपकी सारी आय की जानकारी होती है, इसलिए इसे छिपाने की कोशिश न करें, वरना नोटिस का सामना करना पड़ सकता है।
कई टैक्सपेयर्स बिना सबूत के सेक्शन 80C, 80D या अन्य छूट का दावा कर लेते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चों की स्कूल फीस, LIC प्रीमियम या मेडिकल इंश्योरेंस के लिए छूट तभी ले सकते हैं, जब आपके पास वैध डॉक्यूमेंट हों। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब AIS और AI टूल्स के जरिए ऐसी गलतियों को आसानी से पकड़ लेता है। अगर आप बिना सबूत के छूट लेते हैं, तो नोटिस मिल सकता है या रिटर्न रद्द हो सकता है।
अगर आपके पास विदेशी बैंक खाता, शेयर या दूसरी संपत्ति है, तो उसे रिटर्न में बताना जरूरी है। बजट 2024 में नियमों में थोड़ी ढील दी गई है, जिसमें 20 लाख रुपये तक की चल संपत्ति को न दिखाने की छूट दी गई है। लेकिन इसके बावजूद, पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। विदेशी संपत्ति छिपाने पर पहले 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगता था, लेकिन नए नियमों के बावजूद सावधानी बरतें।
रिटर्न फाइल करने के बाद उसे 30 दिनों के अंदर वेरिफाई करना जरूरी है। यह सत्यापन आधार OTP, नेट बैंकिंग या ITR-V को डाक से भेजकर किया जा सकता है। अगर आप वेरिफाई नहीं करते, तो रिटर्न को अमान्य माना जाता है, जैसे कि आपने रिटर्न फाइल ही नहीं किया। कई टैक्सपेयर्स यह भूल जाते हैं, जिससे उनकी रिटर्न प्रक्रिया अधूरी रह जाती है और जुर्माना लग सकता है।