प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Freepik
अभी देश में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का दौर चल रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हर उस व्यक्ति या संस्था के लिए जरूरी है, जो भारत में टैक्स के दायरे में आता है। लेकिन कई लोग इस उधेड़बुन में रहते हैं कि कौन सा टैक्स फॉर्म उन्हें भरना होगा। अगर आप किसी कंपनी के मालिक हैं या उसका हिस्सा हैं, तो आपके लिए ITR-6 फॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। ये फॉर्म खास तौर पर उन कंपनियों के लिए बनाया गया है, जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा नहीं करती। इस लेख में हम ITR-6 फॉर्म के बारे में आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे।
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, ITR-6 फॉर्म भारत में उन कंपनियों के लिए है, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत अपनी सालाना आय का रिटर्न दाखिल करती हैं। ये फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जो सेक्शन 11 के तहत छूट नहीं लेती। सेक्शन 11 का मतलब है ऐसी कंपनियां जो अपनी आय को धार्मिक कामों या फिर दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल करती हैं। यानी अगर आपकी कंपनी का मकसद चैरिटी या धार्मिक काम नहीं है, तो आपको ITR-6 फॉर्म भरना होगा।
जैन कहते हैं, “ये फॉर्म उन सभी कंपनियों पर लागू होता है, जो भारत में रजिस्टर्ड हैं, चाहे वो डोमेस्टिक कंपनी हो या फिर कोई फॉरेन कंपनी जिसकी आय भारत में हो रही हो। इसके अलावा, पार्टनरशिप फर्म्स (जिनमें लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप यानी LLP शामिल हैं) को भी ये फॉर्म भरना पड़ता है, बशर्ते वो सेक्शन 11 की छूट न ले रही हों।”
ITR-6 फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिकली (ऑनलाइन) और डिजिटल सिग्नेचर के साथ जमा करना जरूरी है। यानी आप इसे कागज पर भरकर डाक से नहीं भेज सकते। ये नियम इसलिए है ताकि प्रोसेस को आसान और पारदर्शी बनाया जा सके। साथ ही, इस फॉर्म के साथ कोई भी एक्सट्रा डॉक्यूमेंट्स जैसे TDS सर्टिफिकेट या बैलेंस शीट अटैच करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको ये सारे डॉक्यूमेंट्स अपने पास रखने होंगे, ताकि अगर टैक्स डिपार्टमेंट पूछे तो आप दिखा सकें।
इस फॉर्म में कंपनी की पूरी फाइनेंशियल डिटेल्स देनी होती हैं, जैसे कि बिजनेस से हुई आय, खर्चे, टैक्स की गणना, और अगर कोई नुकसान हुआ है तो उसे आगे ले जाने (carry forward) की जानकारी। अगर आपकी कंपनी को सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट करवाना जरूरी है, तो ऑडिट रिपोर्ट की डिटेल्स भी इस फॉर्म में देनी होंगी।
अब सवाल ये है कि ITR-6 फॉर्म कौन-कौन भर सकता है? चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। ये फॉर्म उन सभी कंपनियों के लिए है, जो:
लेकिन, अगर आपकी कंपनी का मकसद चैरिटी या धार्मिक काम है और वो सेक्शन 11 के तहत छूट ले रही है, तो आपको ITR-6 नहीं भरना होगा। उदाहरण के लिए, कोई ट्रस्ट या संस्था जो स्कूल, अस्पताल या धार्मिक कामों के लिए अपनी आय इस्तेमाल करती है, उसे ये फॉर्म नहीं भरना पड़ता।
इसके अलावा, ये फॉर्म सिर्फ कंपनियों और कुछ खास फर्म्स के लिए है। यानी इंडिविजुअल्स, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP), या बिजनेस ऑफ इंडिविजुअल्स (BOI) इस फॉर्म को नहीं भर सकते। उनके लिए अलग-अलग ITR फॉर्म्स हैं, जैसे ITR-1, ITR-2, वगैरह।
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ITR-6 फॉर्म भरना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें बहुत सारी डिटेल्स देनी होती हैं। लेकिन अगर आप सही तरीके से स्टेप्स फॉलो करें, तो ये काम आसान हो सकता है। चलिए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं:
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ITR-6 फॉर्म में हर साल कुछ न कुछ बदलाव होते हैं, ताकि टैक्स सिस्टम को और बेहतर बनाया जा सके। असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए कुछ नए अपडेट्स हैं, जो आपको जानने चाहिए:
इन सबके अलावा, आपको फॉर्म 26AS से अपनी TDS और टैक्स पेमेंट की डिटेल्स को मिलान करना होगा, ताकि कोई गलती न हो। अगर आप समय पर फॉर्म नहीं भरते, तो सेक्शन 234F के तहत पेनल्टी लग सकती है, और आप अपने बिजनेस के नुकसान को आगे कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे।
जैन कहते हैं, “ITR-6 फॉर्म भरते समय सावधानी बरतें। सारी जानकारी सही और पूरी होनी चाहिए। अगर आपकी कंपनी को ऑडिट करवाना जरूरी है, तो ऑडिटर की डिटेल्स और UDIN नंबर सही से चेक करें। गलत जानकारी देने से टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आ सकता है। बस इतना ही नहीं, अगर आपकी कंपनी के पास विदेशी एसेट्स हैं या विदेश से आय हो रही है, तो शेड्यूल FA में उसकी पूरी डिटेल्स देनी होंगी। ये पारदर्शिता के लिए जरूरी है।”