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ITR-6: कौन कर सकता है फाइल? इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले जानें क्या-क्या हुए बदलाव

ITR-6 फॉर्म भारत में उन कंपनियों के लिए है, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत अपनी सालाना आय का रिटर्न दाखिल करती हैं।

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ऋषभ राज   
Last Updated- May 13, 2025 | 4:18 PM IST

अभी देश में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का दौर चल रहा है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना हर उस व्यक्ति या संस्था के लिए जरूरी है, जो भारत में टैक्स के दायरे में आता है। लेकिन कई लोग इस उधेड़बुन में रहते हैं कि कौन सा टैक्स फॉर्म उन्हें भरना होगा। अगर आप किसी कंपनी के मालिक हैं या उसका हिस्सा हैं, तो आपके लिए ITR-6 फॉर्म बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। ये फॉर्म खास तौर पर उन कंपनियों के लिए बनाया गया है, जो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा नहीं करती। इस लेख में हम ITR-6 फॉर्म के बारे में आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे।

ITR-6 फॉर्म क्या है?

टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, ITR-6 फॉर्म भारत में उन कंपनियों के लिए है, जो इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत अपनी सालाना आय का रिटर्न दाखिल करती हैं। ये फॉर्म उन कंपनियों के लिए है, जो सेक्शन 11 के तहत छूट नहीं लेती। सेक्शन 11 का मतलब है ऐसी कंपनियां जो अपनी आय को धार्मिक कामों या फिर दूसरे कार्यों के लिए इस्तेमाल करती हैं। यानी अगर आपकी कंपनी का मकसद चैरिटी या धार्मिक काम नहीं है, तो आपको ITR-6 फॉर्म भरना होगा।

जैन कहते हैं, “ये फॉर्म उन सभी कंपनियों पर लागू होता है, जो भारत में रजिस्टर्ड हैं, चाहे वो डोमेस्टिक कंपनी हो या फिर कोई फॉरेन कंपनी जिसकी आय भारत में हो रही हो। इसके अलावा, पार्टनरशिप फर्म्स (जिनमें लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप यानी LLP शामिल हैं) को भी ये फॉर्म भरना पड़ता है, बशर्ते वो सेक्शन 11 की छूट न ले रही हों।”

ITR-6 फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिकली (ऑनलाइन) और डिजिटल सिग्नेचर के साथ जमा करना जरूरी है। यानी आप इसे कागज पर भरकर डाक से नहीं भेज सकते। ये नियम इसलिए है ताकि प्रोसेस को आसान और पारदर्शी बनाया जा सके। साथ ही, इस फॉर्म के साथ कोई भी एक्सट्रा डॉक्यूमेंट्स जैसे TDS सर्टिफिकेट या बैलेंस शीट अटैच करने की जरूरत नहीं है। लेकिन आपको ये सारे डॉक्यूमेंट्स अपने पास रखने होंगे, ताकि अगर टैक्स डिपार्टमेंट पूछे तो आप दिखा सकें।

इस फॉर्म में कंपनी की पूरी फाइनेंशियल डिटेल्स देनी होती हैं, जैसे कि बिजनेस से हुई आय, खर्चे, टैक्स की गणना, और अगर कोई नुकसान हुआ है तो उसे आगे ले जाने (carry forward) की जानकारी। अगर आपकी कंपनी को सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट करवाना जरूरी है, तो ऑडिट रिपोर्ट की डिटेल्स भी इस फॉर्म में देनी होंगी।

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ITR-6 फॉर्म कौन भर सकता है?

अब सवाल ये है कि ITR-6 फॉर्म कौन-कौन भर सकता है? चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। ये फॉर्म उन सभी कंपनियों के लिए है, जो:

  • भारत में रजिस्टर्ड हैं: अगर आपकी कंपनी भारत में कंपनीज एक्ट, 2013 या पुराने कंपनीज एक्ट, 1956 के तहत रजिस्टर्ड है, तो आपको ITR-6 भरना होगा।
  • विदेशी कंपनियां: अगर आपकी कंपनी भारत के बाहर रजिस्टर्ड है, लेकिन उसकी आय भारत में हो रही है (जैसे कि बिजनेस ऑपरेशन्स या निवेश से), तो भी ये फॉर्म लागू होगा।
  • पार्टनरशिप फर्म्स: इसमें LLP भी शामिल हैं, बशर्ते वो सेक्शन 11 की छूट न ले रही हों।
  • बिजनेस या प्रोफेशन से आय: अगर आपकी कंपनी की आय बिजनेस या प्रोफेशन से आ रही है, तो ITR-6 फॉर्म जरूरी है।

लेकिन, अगर आपकी कंपनी का मकसद चैरिटी या धार्मिक काम है और वो सेक्शन 11 के तहत छूट ले रही है, तो आपको ITR-6 नहीं भरना होगा। उदाहरण के लिए, कोई ट्रस्ट या संस्था जो स्कूल, अस्पताल या धार्मिक कामों के लिए अपनी आय इस्तेमाल करती है, उसे ये फॉर्म नहीं भरना पड़ता।

इसके अलावा, ये फॉर्म सिर्फ कंपनियों और कुछ खास फर्म्स के लिए है। यानी इंडिविजुअल्स, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP), या बिजनेस ऑफ इंडिविजुअल्स (BOI) इस फॉर्म को नहीं भर सकते। उनके लिए अलग-अलग ITR फॉर्म्स हैं, जैसे ITR-1, ITR-2, वगैरह।

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ITR-6 फॉर्म कैसे भरें?

ITR-6 फॉर्म भरना आपके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें बहुत सारी डिटेल्स देनी होती हैं। लेकिन अगर आप सही तरीके से स्टेप्स फॉलो करें, तो ये काम आसान हो सकता है। चलिए, इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं:

  • लॉगिन करें: सबसे पहले इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट (www.incometax.gov.in) (www.incometax.gov.in) पर जाएं। वहां अपने PAN नंबर और पासवर्ड से लॉगिन करें। अगर आप नया यूजर हैं, तो पहले रजिस्टर करें।
  • ITR-6 फॉर्म डाउनलोड करें: वेबसाइट पर ‘Downloads’ सेक्शन में जाएं और ITR-6 फॉर्म का लेटेस्ट वर्जन डाउनलोड करें। ये फॉर्म PDF या XML फॉर्मेट में उपलब्ध होता है।
  • जरूरी जानकारी इकट्ठा करें: फॉर्म भरने से पहले अपनी कंपनी की सारी फाइनेंशियल डिटेल्स इकट्ठा करें। इसमें शामिल हैं:
  • फाइनेंशियल स्टेटमेंट: बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट, और ऑडिटर की रिपोर्ट (अगर लागू हो)।
  • चालान: सेल्फ-असेसमेंट टैक्स या एडवांस टैक्स के चालान की कॉपी।
  • फॉर्म 26AS: इसमें आपके TDS और टैक्स क्रेडिट की जानकारी होती है।
  • कैपिटल गेन्स: अगर आपकी कंपनी ने शेयर या प्रॉपर्टी बेची है, तो उससे हुए मुनाफे की डिटेल्स।
  • LEI कोड: अगर आपकी कंपनी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन्स में शामिल है, तो लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर (LEI) कोड देना जरूरी है।
  • फॉर्म के सेक्शन्स भरें: ITR-6 फॉर्म में दो मुख्य हिस्से हैं – पार्ट A और पार्ट B, साथ में कई शेड्यूल्स। इनमें आपको ये डिटेल्स देनी होंगी:
  • पार्ट A – जनरल इन्फॉर्मेशन: कंपनी का नाम, PAN, CIN, रजिस्ट्रेशन डेट, और पता जैसी बेसिक जानकारी।
  • ट्रेडिंग अकाउंट: कंपनी की आय और खर्चों का ब्यौरा।
  • बैलेंस शीट: कंपनी की लायबिलिटीज, शेयर कैपिटल, और एसेट्स की जानकारी।
  • पार्ट B – टैक्स कैलकुलेशन: कुल आय, टैक्स की गणना, और अगर कोई नुकसान है तो उसे कैरी फॉरवर्ड करने की डिटेल्स।
  • ऑडिट डिटेल्स: अगर आपकी कंपनी को सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट करवाना जरूरी है, तो फॉर्म 3CA और 3CD में ऑडिट डिटेल्स देनी होंगी। ऑडिटर का नाम, ऑडिट की तारीख, और यूनिक डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (UDIN) भी देना होगा।
  • ई-वेरिफिकेशन: फॉर्म भरने के बाद, इसे डिजिटल सिग्नेचर के साथ वेरिफाई करना होगा। अगर आपके पास डिजिटल सिग्नेचर नहीं है, तो आप ITR-V फॉर्म डाउनलोड करके साइन कर सकते हैं और इसे बेंगलुरु के सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) में 30 दिनों के अंदर भेज सकते हैं।
  • सबमिट करें: सारी डिटेल्स चेक करने के बाद फॉर्म को ऑनलाइन सबमिट करें। सबमिशन के बाद आपको एक एकनॉलेजमेंट नंबर मिलेगा, जिसे अपने रिकॉर्ड के लिए रखें।

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इस साल क्या क्या हुआ अपडेट?

ITR-6 फॉर्म में हर साल कुछ न कुछ बदलाव होते हैं, ताकि टैक्स सिस्टम को और बेहतर बनाया जा सके। असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए कुछ नए अपडेट्स हैं, जो आपको जानने चाहिए:

  • कैपिटल गेन्स शेड्यूल: अब कैपिटल गेन्स को दो हिस्सों में बांटा गया है – 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद के गेन्स। ये बदलाव फाइनेंस एक्ट, 2024 की वजह से आए हैं।
  • शेयर बायबैक लॉस: अगर आपकी कंपनी ने शेयर बायबैक किया और उसमें नुकसान हुआ, तो उसे अब ITR-6 में दिखाया जा सकता है।
  • शेड्यूल 115TD: अगर आपकी कंपनी का कोई आय ट्रस्ट या संस्था से जुड़ा है और वो टैक्स छूट खो देता है, तो उसकी जानकारी शेड्यूल 115TD में देनी होगी।
  • IFSC डिविडेंड इनकम: अगर आपकी कंपनी को इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज सेंटर (IFSC) से डिविडेंड आय हुई है, तो उसे अलग से दिखाना होगा।
  • ड्यू डेट: ITR-6 फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख 31 अक्टूबर है। अगर ट्रांसफर प्राइसिंग का मामला है, तो ये तारीख 30 नवंबर हो जाती है।

इन सबके अलावा, आपको फॉर्म 26AS से अपनी TDS और टैक्स पेमेंट की डिटेल्स को मिलान करना होगा, ताकि कोई गलती न हो। अगर आप समय पर फॉर्म नहीं भरते, तो सेक्शन 234F के तहत पेनल्टी लग सकती है, और आप अपने बिजनेस के नुकसान को आगे कैरी फॉरवर्ड नहीं कर पाएंगे।

जैन कहते हैं, “ITR-6 फॉर्म भरते समय सावधानी बरतें। सारी जानकारी सही और पूरी होनी चाहिए। अगर आपकी कंपनी को ऑडिट करवाना जरूरी है, तो ऑडिटर की डिटेल्स और UDIN नंबर सही से चेक करें। गलत जानकारी देने से टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस आ सकता है। बस इतना ही नहीं, अगर आपकी कंपनी के पास विदेशी एसेट्स हैं या विदेश से आय हो रही है, तो शेड्यूल FA में उसकी पूरी डिटेल्स देनी होंगी। ये पारदर्शिता के लिए जरूरी है।”

First Published : May 13, 2025 | 4:18 PM IST