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शेयर बाजार से कमाया मुनाफा? ₹1.25 लाख तक के LTCG पर ITR फाइल करना अब आसान, जानें क्या हुए बदलाव

क्या आपने भी वित्त वर्ष 24-25 में 1.25 लाख रुपये तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कमाया है? आपके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक विशेष सुविधा दी है।

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ऋषभ राज   
Last Updated- May 11, 2025 | 5:27 PM IST

Income Tax Return 2025: वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया में सरकार ने कुछ बड़े बदलाव किए हैं। खास तौर पर, अगर आपने शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड से 1.25 लाख रुपये तक का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कमाया है, तो आपके लिए रिटर्न फाइल करना अब पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है। यह बदलाव छोटे निवेशकों और वेतनभोगी लोगों को ध्यान में रखकर किया गया है, ताकि उनकी टैक्स फाइलिंग प्रक्रिया सरल और कम जटिल हो। यहां हम समझेंगे कि ये नए नियम क्या हैं, ये कैसे काम करेंगे, और आपके लिए क्या फायदा होगा।

LTCG और ITR: पहले क्या थी दिक्कत?

पहले अगर किसी व्यक्ति को शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड की बिक्री से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन मिलता था, तो उसे ITR-2 या ITR-3 जैसे जटिल फॉर्म भरने पड़ते थे। ये फॉर्म छोटे निवेशकों या वेतनभोगी लोगों के लिए मुश्किल हो सकते थे, क्योंकि इनमें कई तरह की वित्तीय जानकारी देनी होती थी। उदाहरण के लिए, अगर आपने शेयर बेचकर 50,000 रुपये का LTCG कमाया, तब भी आपको ITR-1 जैसे सरल फॉर्म का इस्तेमाल नहीं करना पड़ता था। इससे टैक्स फाइलिंग में समय और मेहनत दोनों ज्यादा लगती थी। 

लेकिन अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस समस्या को समझते हुए नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत, अगर आपका LTCG 1.25 लाख रुपये तक है, तो आप ITR-1 (सहज) या ITR-4 (सुगम) जैसे आसान फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

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नए नियम: ITR-1 और ITR-4 में क्या बदला?

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ITR-1 और ITR-4 फॉर्म को अपडेट किया है। इन फॉर्म्स को 29 अप्रैल 2025 को नोटिफाई किया गया था। अब इन फॉर्म्स में 1.25 लाख रुपये तक के LTCG को शामिल करने का विकल्प जोड़ा गया है। इसका मतलब है कि अगर आपने लिस्टेड शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड बेचकर 1.25 लाख रुपये तक का मुनाफा कमाया है, तो आपको अब ITR-2 जैसे जटिल फॉर्म की जरूरत नहीं होगी। 

ITR-1, जिसे ‘सहज’ फॉर्म भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है और आय का स्रोत वेतन, एक मकान की संपत्ति, ब्याज, या 5,000 रुपये तक की कृषि आय है। अब इसमें LTCG को भी जोड़ा गया है, बशर्ते यह 1.25 लाख रुपये से ज्यादा न हो। इसी तरह, ITR-4, जिसे ‘सुगम’ फॉर्म कहते हैं, छोटे व्यापारियों और प्रोफेशनल्स के लिए है जो अनुमानित कर व्यवस्था (Presumptive Taxation) का इस्तेमाल करते हैं। इस फॉर्म में भी अब LTCG को शामिल करने की सुविधा दी गई है। 

छोटे निवेशकों को कैसे मिलेगी राहत?

ये बदलाव छोटे निवेशकों और वेतनभोगी लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। मान लीजिए, आप एक वेतनभोगी कर्मचारी हैं और आपने कुछ शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश किया था। अगर आपने इन्हें बेचकर 80,000 रुपये का LTCG कमाया, तो पहले आपको ITR-2 भरना पड़ता था, जिसमें कई तरह की वित्तीय जानकारी देनी होती थी। लेकिन अब आप ITR-1 का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो बहुत सरल है और कम समय लेता है। 

यह बदलाव टैक्स फाइलिंग को छोटे निवेशकों के लिए कम बोझिल बनाता है। इससे लोग समय पर और सटीक तरीके से अपना रिटर्न दाखिल कर पाएंगे। खास बात यह है कि अगर आपका LTCG 1.25 लाख रुपये से कम है और आपके पास कोई कैपिटल लॉस सेट-ऑफ या कैरी फॉरवर्ड करने के लिए नहीं है, तो ये सरल फॉर्म आपके लिए पूरी तरह उपयुक्त हैं।

किन लोगों को मिलेगा इस नियम का फायदा?

नए नियमों का फायदा उन लोगों को मिलेगा जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करते हैं:

  • आपकी कुल सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  • आपका LTCG लिस्टेड शेयर, इक्विटी म्यूचुअल फंड, या बिजनेस ट्रस्ट की बिक्री से हुआ हो और यह 1.25 लाख रुपये तक हो।
  • आपके पास कोई कैपिटल लॉस नहीं हो, जिसे सेट-ऑफ या कैरी फॉरवर्ड करना हो।

हालांकि, कुछ लोग अब भी ITR-1 या ITR-4 का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। उदाहरण के लिए, अगर आप किसी कंपनी के डायरेक्टर हैं, अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं, या आपके पास विदेश में संपत्ति है, तो आपको ITR-2 या अन्य फॉर्म भरने होंगे। 

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टैक्स की दर और छूट: क्या है नियम?

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स की दर 12.5% है, लेकिन 1.25 लाख रुपये तक के LTCG पर कोई टैक्स नहीं लगता। इसका मतलब है कि अगर आपका LTCG इस सीमा के अंदर है, तो आपको इस पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। यह छूट इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 112A के तहत दी जाती है। अगर आपका LTCG 1.25 लाख रुपये से ज्यादा है, तो अतिरिक्त राशि पर 12.5% टैक्स देना होगा। 

सैलरीड क्लास के लिए फॉर्म 16 का इंतजार

अगर आप वेतनभोगी हैं, तो आपको ITR फाइल करने से पहले फॉर्म 16 का इंतजार करना होगा। यह फॉर्म आपके एम्पालयर द्वारा जारी किया जाता है, जिसमें आपकी सैलरी और उस पर काटे गए टैक्स (TDS) की जानकारी होती है। इनकम टैक्स नियमों के मुताबिक, एम्पलायर्स को 15 जून 2025 तक फॉर्म 16 जारी करना जरूरी है। इसके बाद ही आप अपना रिटर्न फाइल कर सकते हैं। 

First Published : May 11, 2025 | 5:27 PM IST