प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारत ने 2025 में वैश्विक पवन ऊर्जा बाजार में तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। ब्लूमबर्गएनईएफ (बीएनईएफ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन और अमेरिका के बाद भारत ने अपनी अब तक की सबसे अधिक क्षमता वृद्धि दर्ज की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2025 में 6.2 गीगावॉट पवन परियोजनाएं जोड़े जाने का अनुमान है, जिससे देश अमेरिका के करीब पहुंच जाएगा। अमेरिका विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। भारत ने नवंबर 2025 तक 5.8 गीगावॉट नई पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी है, जो 2017 के 4.2 गीगावॉट के वार्षिक रिकॉर्ड से अधिक है।
बीएनईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि पवन ऊर्जा क्षमता में सालाना वृद्धि से भारत को ब्राजील और जर्मनी से आगे निकलने में मदद मिलेगी। इन दोनों को पिछले 3 वर्षों में उच्च स्थान दिया गया था। भारत 2019 के बाद पहली बार तीसरे स्थान पर वापस आया है। बीएनईएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 से वार्षिक पवन क्षमता में धीरे-धीरे वृद्धि के कारण देश 2024 तक लगातार 4 वर्षों तक पांचवें स्थान पर रहा।
पवन ऊर्जा क्षेत्र में कॉम्प्लेक्स नीलामियों के कारण यह क्षेत्र आगे बढ़ रहा है, जिसमें बिजली उत्पादन स्रोतों और बैटरी ऊर्जा भंडारण तकनीकों को शामिल किया गया है। कॉम्प्लेक्स नीलामियों में स्वच्छ ऊर्जा की अधिक विश्वसनीय डिलिवरी, डेवलपरों को अधिक क्षमता के संयंत्र पर जोर दिया जाता है। भारत की नीलामी एजेंसियों ने 2024 में 60 गीगावॉट स्वच्छ बिजली उत्पादन क्षमता के ठेके दिए हैं, जिसमें से दो तिहाई कॉम्प्लेक्स परियोजनाएं हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े आकार की परियोजनाओं और कई बिजली उत्पादन स्रोतों के उपयोग को देखते हुए अनुमान है कि भारत इस दशक के अंत तक 30 गीगावॉट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ने में सफल रहेगा।
क्षमता बढ़ने की एक और वजह परियोजनाओं का विस्तार है। जिन परियोजनाओं को 2024 में पूरा होना था, ग्रिड कनेक्टिविटी न होने से उनमें देरी हुई। राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक में कुछ ग्रिड विस्तार परियोजनाएं 2024 के अंत पूरी हुईं और इस साल की शुरुआत में नई क्षमता जुड़ी।