गूगल, एमेजॉन, मेटा, ट्विटर, आईबीएम, इंटेल और माइक्रोसॉफ्ट सहित तकनीकी क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों ने अमेरिका में हजारों कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है।
भारत में इन कंपनियों की इकाइयों में भी कर्मचारियों पर भी छंटनी की तलवार चली है। स्टार्टअप क्षेत्र में कंपनियों का मूल्यांकन आने वाले समय में कमजोर रहने की आशंका से भी बड़ी संख्या में नौकरियां गई हैं। मार्केटिंग एवं एनालिटिक्स कंपनी कंतार के ताजा सर्वेक्षण में कहा गया है कि प्रत्येक चार भारतीयों में से एक को अपनी नौकरी जाने का अंदेशा सता रहा है।
छंटनी ऐसी चीज है जिस पर कर्मचारियों का कोई बस नहीं चलता है मगर वे इससे पड़ने वाले प्रभाव को कम करने का प्रयास जरूर कर सकते हैं। रोजगार बाजार में मची उथल-पुथल के बीच वे कुछ रकम आपात स्थिति के लिए बचा कर रख सकते हैं। यह रकम नौकरी जाने की स्थिति में और हालात सुधरने तक आपकी मदद कर सकती है।
आपात फंड बनाएं
यह आपात कोष इतना जरूर होना चाहिए कि घरेलू खर्चे, मासिक किस्त और अन्य निश्चित खर्च जैसे बीमा प्रीमियम और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रखने में कोई दिक्कत नहीं आए। जर्मिनेट इन्वेस्टर सर्विसेस के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी संतोष जोसफ कहते हैं, ‘आपात कोष छह महीने के रहन-सहन एवं अन्य देनदारियों पर होने वाले खर्च के बराबर होना चाहिए।
एकल आय वाले परिवार 12 महीने के खर्च के लिए जरूरी रकम का आपात कोष तैयार कर सकते हैं।’ यह रकम बैंक सावधि जमा या लिक्विड फंडों में ही रखा जाना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। शेयर या इक्विटी फडों में यह रकम बिल्कुल न लगाएं। बाजार में अनिश्चितताओं के कारण आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
समय रहते शुरू कर दें तैयारी
हालात बिगड़ने की आहट मिलते ही अपने खर्चों में कटौती और बचत में इजाफा करना शुरू कर दें। इसके लिए सबसे पहले अपने मौजूदा खर्च की समीक्षा करें और हो सके तो जरूरी बदलाव करें।
अरविंद राव एसोसिएट्स के संस्थापक अरविंद राव कहते हैं, ‘मासिक खर्च आकलन करें और खर्चों को तीन मदों – एकदम जरूरी, जरूरी मगर टाले जा सकने वाले और गैर-जरूरी खर्च – में विभाजित करें।’ राइट होराइजंस के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी अनिल रेगो का कहना है कि जरूरी खर्चों को टाले जा सकने वाले खर्चों से अलग करने के लिए अपनी माली हालत के अनुसार योजना तैयार करें। खास तौर, क्रेडिट कार्ड के खर्च को जरूर नियंत्रित करें। रेगो कहते हैं, ‘क्रेडिट कार्ड से सोच-समझ कर खर्च न किया जाए तो यह आपकी वित्तीय सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।’
पर्याप्त बीमा सुरक्षा लें
अगर कंपनी के जरिये समूह स्वास्थ्य बीमा है तो नौकरी जाने की स्थिति में स्वास्थ्य बीमा कवर भी समाप्त हो जाता है। राव कहते हैं, ‘कंपनी द्वारा दी गई बीमा सुविधा के अलावा खुद एवं अपने परिवार के लिए अलग से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी लेना नहीं भूलें।’ अगर कोई जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी है तो उसकी भी समीक्षा करनी चाहिए।
हो सकता है कि आप समय पर प्रीमियम का भुगतान करने से चूक गए हों। अगर प्रीमियम का भुगतान किसी कारणवश नहीं हो पाया है तो प्रीमियम भरने में देरी न करें और पॉलिसी दोबारा चालू कराएं। रेगो का कहना है कि फैमिली फ्लोटर पॉलिसी के अलावा गंभीर बीमारियों, दुर्घटनावश मृत्यु एवं विकलांगता (एक्सिडेंटल डेथ ऐंड डिसेबिलिटी) और टर्म बीमा पॉलिसी लेना नहीं भूलें।
टर्म लाइफ बीमा आपकी सालाना आय का 10 से 15 गुना के बराबर होना चाहिए। वर्तमान अनिश्चितता को देखते हुए बीमा-सह निवेश योजनाएं (परंपरागत जीवन या यूनिट-लिंक्ड बीमा योजनाएं) खरीदने से परहेज करें क्योंकि इनका प्रीमियम थोड़ा अधिक होता है।
कर्ज की करें समीक्षा
अचानक नौकरी जाने की स्थिति में ऋण का भुगतान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कठिन दौर से गुजर रहे हैं तो नया कर्ज लेने से परहेज करें। जोसफ कहते हैं, ‘अत्यधिक कर्ज एवं ज्यादा देनदारी से बचें। ऐसी आदतें नौकरी नहीं रहने की स्थिति में किसी व्यक्ति को वित्तीय रूप से अक्षम बना देती हैं।’ अच्छे समय में कई लोग छीटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं ताकि ब्याज मद में कम से कम भुगतान करना पड़े। अगर आपकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है तो अपने बैंक से बात कर कर्ज की अवधि बढ़ाने का आग्रह करें। अगर आपका अवधि बढ़ाने के लिए तैयार नहीं है तो किसी दूसरे बैंक से बात करें। इससे मासिक किस्त का बोझ कम हो जाएगा और आपको थोड़ी राहत मिल जाएगी।
अपना हुनर बढ़ाएं
हुनरमंद लोगों की हमेशा मांग होती है और इस बदौलत वे अधिक वेतन वाली नौकरी खोज लेते हैं। नौकरी जाने के बाद नए हुनर सीखने के बजाय कोई पाठ्यक्रम शुरू कर दें। इसके अलावा अपना दायरा एवं लोगों से जान-पहचान बढ़ाने की भी कोशिश करें। कई लोगों को अच्छी नौकरी केवल इसलिए नहीं मिल जाती वे योग्य होते हैं बल्कि उन्हें संस्थानों में रिक्त पदों के बारे में जानकारी होती है।