Sovereign Gold Bond: सोने की कीमतों में रिकॉर्डतोड़ तेजी के बीच इस बात की चर्चा जोरों पर है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है। इसकी वजह बढ़ती कीमतों के मद्देनजर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को लेकर सरकार की बढ़ती देनदारी है। मौजूदा मार्केट प्राइस (8,952 रुपये) के हिसाब से देखें तो एसजीबी के रिडेम्प्शन को लेकर सरकार की देनदारी 1.16 लाख करोड़ के पार चली गई है। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। आइए इसकी पड़ताल करते हैं। (मार्केट प्राइस IBJA की तरफ से स्पॉट गोल्ड 24 कैरेट (999) के लिए प्राप्त 3 दिनों के क्लोजिंग प्राइस का एवरेज है। )
आरबीआई (RBI) के मुताबिक नवंबर 2015 और फरवरी 2024 के बीच सरकार की तरफ से कुल 67 किस्तों में 72,274 करोड रुपये मूल्य यानी 146.96 टन (14,69,61,529 ग्राम) के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किए गए। इनमें से 7 किस्तों को बॉन्ड धारक उनकी मैच्योरिटी पीरियड पूरी होने के बाद भुना चुके हैं। इसके अलावा बॉन्ड धारकों को 30 और किस्तों में 5 साल की होल्डिंग पीरियड के बाद प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन यानी मैच्योरिटी से पहले बेचकर निकलने का भी मौका मिला। फाइनल और प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन को मिला दें तो कुल 16.84 टन (1,68,45,759 ग्राम) गोल्ड बॉन्ड भुनाए जा चुके हैं। इस तरह से 130.11 टन (13,01,15,770 ग्राम) सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2032 तक भुनाए जाने शेष हैं।
S No | Tranche | Issue Date | Issue price/unit | Number of units subscribed (in grams) | Final Redemption Price/Unit | Number of units redeemed (including premature redemption)/cancelled (in grams) | Units outstanding (in grams) |
1 | 2015-I | November 30, 2015 | 2684 | 913571 | 6132 | 913571 | 0 |
2 | 2016-I | February 8, 2016 | 2600 | 2869973 | 6271 | 2869973 | 0 |
3 | 2016-II | March 29, 2016 | 2916 | 1119741 | 6601 | 1119741 | 0 |
4 | 2016-17 Series I | August 5, 2016 | 3119 | 2953025 | 6938 | 2953025 | 0 |
5 | 2016-17 Series II | September 30, 2016 | 3150 | 2615800 | 7517 | 2615800 | 0 |
6 | 2016-17 Series III | November 17, 2016 | 3007 | 3598055 | 7788 | 3598055 | 0 |
7 | 2016-17 Series IV | March 17, 2017 | 2943 | 2220885 | 8624 | 2220885 | 0 |
Total | 146961529 | 16845759 | 130115770 |
(स्रोत: आरबीआई)
पहली नजर में ऐसा लगता है कि चूंकि सरकार ने घोषित तौर पर इस बॉन्ड की हेजिंग का कोई प्रावधान नहीं किया है, उनके सामने इस तरह की मुश्किल खड़ी हुई है। लेकिन ऐसा नहीं है। सरकार ने घोषित तौर पर भले ही इस बॉन्ड की हेजिंग को लेकर किसी तरह का प्रावधान नहीं किया हो लेकिन 2018 से आरबीआई ने जिस तरह से सोने की खरीदारी की है, कई जानकार इसे एक तरह से इस गोल्ड बॉन्ड की नेचुरल हेजिंग मानते हैं। 2018 से फरवरी 2025 तक आरबीआई ने 300 टन से ज्यादा सोना खरीदा है। इसमें से 188 टन सोना तो आरबीआई ने 2018 और 2021 के बीच 50 हजार रुपये से नीचे के भाव पर खरीदा।
कैलेंडर ईयर | सोने की खरीद (टन) |
फरवरी 2025 | ——— |
जनवरी 2025 | 2.8 |
2024 | 72.6 |
2023 | 16 |
2022 | 33 |
2021 | 77 |
2020 | 38 |
2019 | 32.7 |
2018 | 40.5 |
(स्रोत: आरबीआई)
सरकार के लिए राहत की एक और बात यह है कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की अंतिम किस्तों में ज्यादा खरीदारी आई। आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 50 टन यानी एक तिहाई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की बिक्री तो अंतिम 5 किस्तों के दौरान 2023 और 2024 में की गई। इन बॉल्ड का प्रीमैच्योर या फाइनल रिडेम्प्शन 2028 से लेकर 2032 के बीच होगा। कहने का मतलब आरबीआई ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के इश्यू प्राइस के मुकाबले कम कीमत पर इतना सोना पहले ही खरीद लिया जिससे अगर देनदारी में इजाफा भी होता है तो सरकार कुल मिलाकर घाटे में नहीं रहेगी।
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सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की अंतिम 5 किस्तों में निवेशकों ने जमकर लगाया पैसा
67वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2023-24, Series IV): 12786819 यूनिट (12.8 टन)
66वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2023-24, Series III): 12106807 यूनिट (12.11 टन)
65वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2023-24, Series II): 11673960 यूनिट (11.67 टन)
64वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2023-24, Series I): 7769290 यूनिट (7.77 टन)
63वां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (2022-23, Series IV): 3531586 यूनिट (3.53 टन)
(स्रोत: आरबीआई)
2015 के मुकाबले गोल्ड रिजर्व के वैल्यू में 5 गुना से ज्यादा इजाफा
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की पहली किस्त नवंबर 2015 में जारी की गई थी। उस समय यानी नवंबर 2015 में देश के पास तकरीबन 558 टन यानी 1 लाख 17 हजार करोड़ रुपये (18 अरब डॉलर ) का गोल्ड रिजर्व था जो फरवरी 2025 में बढ़कर 897 टन यानी 6.41 लाख करोड़ रुपये (73 अरब डॉलर) पर पहुंच गया। मतलब जब से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को जारी करने का सिलसिला शुरू हुआ तबसे देश के गोल्ड रिजर्व में 5 गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि कुछ जानकार कहते हैं कि आरबीआई लगातार गोल्ड की खरीद फॉरेक्स रिजर्व को डायवर्सिफाई करने की रणनीति के तहत कर रहा है जिसका सीधे इस्तेमाल आंतरिक उधारी यानी इंटरनल बौरोइंग (internal borrowing) को लेकर बनी देनदारी के भुगतान में नहीं किया जा सकता। लेकिन कुल मिलाकर देखें तो गोल्ड की खरीद ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के मोर्चे पर सरकार को सीधे न सही राहत जरूर प्रदान किया है।