यूएस फेडरल रिजर्व की तरफ से बुधवार ( जुलाई 26 ) को ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। बाजार को इस बात की उम्मीद भी थी। फेड ने अपनी पिछली 12 बैठकों में 11वीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। इस तरह अमेरिका में ब्याज दर बढ़कर 22 साल यानी 2001 के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है। इससे पहले जून की मीटिंग में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। फेडरल रिजर्व के निर्णय का सोने की कीमतों में फौरी तौर पर यानी बुधवार और गुरुवार को (जब तक यूएस में आंकड़े आने शुरू नहीं हुए) विशेष असर नहीं हुआ। उल्टे मार्केट में मजबूती थी और सोने में बायिंग की कॉल थी। क्योंकि मार्केट को फेड के निर्णय से कोई ताज्जुब नहीं हुआ। साथ ही फेड की तरफ से जो कमेंट्री आई वह भी न तो पूरी तरह से हॉकिश (hawkish) और न डोविश (dovish) थी।
लेकिन गुरुवार को जैसे ही यूएस में एक के बाद एक तीन आंकड़े आए। सोना औंधे मुंह लुढ़क गया। कीमतें 1.5 फीसदी तक कमजोर होकर 2 सप्ताह के निचले स्तर तक चली गई।
सबसे महत्वपूर्ण आंकडा यूएस के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को लेकर था। जिसके मुताबिक इस वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान अमेरिका की इकोनॉमी में 2.4 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि बाजार का अनुमान 2 फीसदी तक का था। इसके बाद आंकड़े ड्यूरेबल गुड्स के ऑर्डर को लेकर आए। जो बताते हैं कि अमेरिका में जून के दौरान ड्यूरेबल गुड्स के ऑर्डर में 4.7 फीसदी की तेजी आई जबकि अनुमान महज 1.5 फीसदी का था। साप्ताहिक जॉबलेस क्लेम्स के आंकड़े भी अनुमान से कम रहे। ये सभी आंकड़े ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के बीच यूएस इकोनॉमी के जुझारूपन को दर्शाते हैं।
इन आंकड़ों से इस बात को बल मिला है कि अगर अमेरिका की इकोनॉमी इतनी लचर स्थिति में नहीं है तो यूएस फेडरल रिजर्व इस साल कम से कम एक बार और ब्याज दरों में इजाफा कर सकता है ताकि महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य के नीचे लाया जा सके। इन आंकड़ों के आने के बाद यूएस डॉलर इंडेक्स (US Dollar Index) और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड (US Bond Yield) दोनों में मजबूती आई। यही वह वजह रही जिससे गुरुवार को सोने की कीमतों में इतनी तेज गिरावट दर्ज की गई। गुरुवार को ही यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) की तरफ से लगातार नौवीं बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया। हालांकि यह भी अप्रत्याशित नहीं था।
IPO मार्केट फिर से पटरी पर लौटने को तैयार
यूएस डॉलर इंडेक्स में तेजी से अन्य करेंसी में सोने की कीमतों में नरमी आ जाती है। वहीं यदि आप गोल्ड होल्ड करते हैं तो अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़त गोल्ड के अपॉर्चुनिटी कॉस्ट को बढ़ा देती है। क्योंकि सोने पर आपको कोई यील्ड नहीं मिलता। बीते सप्ताह यूएस डॉलर इंडेक्स में 0.60 फीसदी की तेजी आई और यह सप्ताह के अंत में 101.71 पर दर्ज किया गया। इसी तरह 10 वर्षीय बॉन्ड यील्ड 3 फीसदी बढ़कर 3.96 फीसदी पर बंद हुआ।
हालांकि जुलाई महीने में यूएस डॉलर इंडेक्स 1.25 फीसदी कमजोर हुआ है।
यूएस में पीसीई (PCE/ Personal Consumption Expenditure) आधारित महंगाई में नरमी आने के बाद शुक्रवार को सोने की कीमतों में थोड़ी रिकवरी आई। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में यूएस गोल्ड फ्यूचर्स शुक्रवार को 0.8 फीसदी की तेजी के साथ 1960.40 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ।
घरेलू बाजार में एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क अगस्त कॉन्ट्रैक्ट शुक्रवार को 440 रुपये यानी 0.75 फीसदी की तेजी के साथ 59,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। गुरुवार को अगस्त कॉन्ट्रैक्ट 58,950 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद होने से पहले इंट्रा-डे ट्रेडिंग में 58,740 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया था।
इससे पहले 4 मई 2023 को एमसीएक्स पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बढ़कर 61,845 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था।
घरेलू हाजिर (स्पॉट) बाजार में शुक्रवार को सोने की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। Indian Bullion and Jewellers Association (IBJA) के अनुसार सोना 24 कैरेट (999) 250 रुपये की गिरावट के साथ 59,491 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। जबकि गुरुवार को यह 59,741 पर बंद हुआ था।
ग्लोबल लेवल पर बैंकिंग संकट को लेकर बने डर के कम होने और अमेरिका में डेट-सीलिंग को लेकर जारी गतिरोध के सुलझने के बाद गोल्ड की कीमतें मई के अपने हाई से (मई 2023 की शुरुआत में कीमतें कमोबेश ऑल टाइम हाई तक ऊपर चली गई थी) तकरीबन 5 फीसदी तक टूट चुकी है। ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी के बीच फेड सहित अन्य केंद्रीय बैंकों की तरफ से आई हॉकिश टिप्पणियां भी कीमतों पर दबाव की बड़ी वजह बनी।
हालांकि गुरुवार की गिरावट के बावजूद जुलाई में गोल्ड का प्रदर्शन पिछले चार महीनों में यानी मार्च के बाद सबसे बेहतर रहा है। जुलाई में गोल्ड तकरीबन 2 फीसदी मजबूत हुआ है।
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जानकारों के अनुसार गोल्ड में शानदार तेजी तभी आ सकती है और यह नए रिकॉर्ड तभी बना सकता है जब ग्लोबल इकोनॉमी पर व्यापक और दीर्घकालिक दबाव स्पष्ट बनता दिखे। वहीं जब तक अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बेहद मजबूत नहीं होती है गोल्ड हल्की तेजी के साथ दायरे में रह सकता है।
केडिया एडवाइजरी के एमडी अजय केडिया के मुताबिक सोने में अगस्त के लिए लक्ष्य 60,800 रुपये प्रति 10 ग्राम का है।