Tax on EPF Withdrawal : यदि आप ईपीएफ (EPF) में जमा रकम निकालना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ख्याल जरूर रखना चाहिए। लोग मोटे तौर पर यही समझते हैं कि ईपीएफ में जमा रकम निकालने पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है। लेकिन ऐसी बात नहीं है।
पांच साल तक ईपीएफ में कंट्रीब्यूशन के बाद रकम निकालने पर कोई टैक्स का प्रावधान नहीं है। अब इन 5 सालों में आपने एक एम्प्लॉयर के साथ काम किया है या एक से ज्यादा, इससे फर्क नहीं पडता। लेकिन अगर आपने 5 साल तक नहीं किया है तो जमा रकम निकालने पर टैक्स चुकाना पड़ेगा।
ईपीएफ नियमों के मुताबिक कोई सदस्य नौकरी के दौरान जमा किये गए कुल रकम का 75 फीसदी नौकरी छोड़ने के एक महीने बाद निकाल सकता है। अगर व्यक्ति दो महीने से ज्यादा बेरोजगार रहता है तो वह पीएफ अकाउंट से पूरी रकम निकाल सकता है।
आइए अब जानते हैं कि 5 साल के अंदर जमा रकम निकालने पर टैक्स कैसे और कितना लगता है।
टैक्स कैसे और कितना?
पीएफ में जमा रकम के चार हिस्से/ कंपोनेंट होते हैं, इम्प्लॉई का कंट्रीब्यूशन, एम्प्लॉयर का कंट्रीब्यूशन, एम्प्लॉयर के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज, इम्प्लॉई के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाला ब्याज।
नियमों के मुताबिक 5 साल से पहले पीएफ में जमा रकम निकालने पर सभी चारों कंपोनेंट टैक्सेबल हैं । लेकिन इम्प्लॉई के कंट्रीब्यूशन पर टैक्स की देनदारी मुख्यतया दो बातों पर निर्भर करती है।
अगर इम्प्लॉई अपने कंट्रीब्यूशन पर 80C के तहत मिलने वाले डिडक्शन का लाभ लेता है तो उसका कंट्रीब्यूशन टैक्स के दायरे में आएगा। और उसके कंट्रीब्यूशन को उसकी सैलरी का हिस्सा माना जाएगा। लेकिन 80C के तहत डिडक्शन का लाभ नहीं लेने पर इम्प्लॉई का कंट्रीब्यूशन टैक्स के दायरे में नहीं आएगा।
एम्प्लॉयर का कंट्रीब्यूशन और उस पर मिलने वाले ब्याज सैलरी का हिस्सा माना जाता है जबकि इम्प्लॉई के कंट्रीब्यूशन पर मिलने वाले ब्याज अन्य स्रोतों से होने वाली आय के अंतर्गत आता है।
कब देना होगा टैक्स?
जिस साल आप पीएफ से जमा निकालते हैं उसी साल आपको टैक्स देना होगा। उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी ने 2021-22 मे पीएफ में जमा करना शुरू किया और 2024-25 में नौकरी छूट जाने पर वह जमा रकम निकालना चाहता है तो उसे टैक्स साल 2024-25 में देना होगा।
कैसे होती है टैक्स की गणना?
जिस साल आपने पीएफ में योगदान किया है उस साल आपकी कुल आमदनी पर लागू टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स की गणना की जाएगी। ऊपर के उदाहरण से इसे समझते हैं:
एक तो 2021-22 में आपने टोटल टैक्सेबल इनकम के हिसाब से उसी साल टैक्स दिया। दूसरे 2021-22 की आपकी आय में पीएफ के चारो कंपोनेंट को जोड़ने के बाद (यदि आपने इम्प्लॉई के कंट्रीब्यूशन पर 80C के तहत डिडक्शन का लाभ लिया है) बढ़ी हुई आय पर जो अतिरिक्त टैक्स बनेगा। उसे आपको 2024-25 में (यानी जिस साल आप पीएफ का रकम निकाल रहे हैं) चुकाना होगा। यदि आपने इम्प्लॉई के कंट्रीब्यूशन पर 80C के तहत डिडक्शन का लाभ नहीं लिया है तो अन्य तीन कंपोनेंट इनकम में एड होंगे। अन्य सालों के लिए किए गए योगदान के लिए भी टैक्स की गणना इसी तरह से होगी। ऐसा भी हो सकता है कि पीएफ में किए गए योगदान और ब्याज को उस साल की आमदनी में जोड़ने के बाद इनकम नीचे के स्लैब से ऊपरी टैक्स स्लैब में आ जाए।
क्या टीडीएस का भी प्रावधान है?
पांच साल से पहले पीएफ से जमा निकालने पर टीडीएस का भी प्रावधान है। अगर आपने पीएफ अकाउंट के साथ पैन नंबर की जानकारी दी है तब तो 10 फीसदी टीडीएस देना होगा लेकिन अगर आपने पैन नंबर की जानकारी नहीं दी है तब आपको मैक्सिमम मार्जिनल रेट/34.608 फीसदी के हिसाब से टीडीएस देना होगा। हां एक बात और अगर EPF में जमा रकम 50 हजार रुपये से कम है तो आपको टीडीएस नहीं देना होगा। अगर आपकी आय टैक्स के दायरे से कम है तो आप फॉर्म 15G या 15H जमा कर टीडीएस से बच सकते हैं।
क्या टैक्स देने से बच भी सकते हैं?
कुछ खास स्थितियों में पांच साल के पहले भी पीएफ से पैसा निकालने पर टैक्स का प्रावधान नहीं है। जैसे इम्प्लॉई के खराब स्वास्थ्य, एम्प्लॉयर के कारोबार बंद होने या अन्य वजहों से इम्प्लॉई की नौकरी छूट जाए जिसके लिए वह कतई जिम्मेदार नहीं हो। ऐसी स्थितियों में जो जमा रकम निकाला जाता है वह टैक्स फ्री होता है।