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कैसे ELSS फंड्स आपको टैक्स बचाने और अपनी वेल्थ बनाने में मदद कर सकते हैं? एक्सपर्ट से समझें

अगर आपने ELSS फंड में निवेश किया है, और ITR फाइल करने जा रहे हैं तो आप टैक्स में छूट ले सकते हैं।

Published by
ऋषभ राज   
Last Updated- April 21, 2025 | 5:16 PM IST

हर साल जनवरी की शुरुआत के साथ ही नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स बचाने की दौड़ तेज हो जाती है। यह वह समय होता है, जब कंपनियां अपने कर्मचारियों से टैक्स में कटौती के लिए निवेश के सबूत मांगती हैं। जनवरी से मार्च का यह तीन महीने का दौर वित्तीय वर्ष खत्म का समय होता है, जब लोग जल्दी-जल्दी टैक्स बचाने वाले निवेश विकल्पों की तलाश में जुट जाते हैं। इस दौरान इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) जैसे म्यूचुअल फंड्स खासतौर पर लोकप्रिय हो जाते हैं, क्योंकि ये न केवल आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक में टैक्स की छूट देते हैं, बल्कि लंबे समय के लिए वेल्थ बनाने का मौका देते हैं। तो अगर आपने ELSS फंड में निवेश किया है, और ITR फाइल करने जा रहे हैं तो आप अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक के टैक्स में पूरी तरह छूट ले सकते हैं।

ELSS फंड्स की क्या है खासियत?

टैक्स और इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं, “ELSS फंड्स की सबसे बड़ी खासियत है इनका तीन साल का लॉक-इन पीरियड, जो टैक्स बचाने वाले दूसरे निवेश विकल्पों जैसे पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) या नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) की तुलना में काफी कम है। PPF में जहां 15 साल का लॉक-इन होता है, वहीं टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में पांच साल तक पैसा निकाला नहीं जा सकता। ELSS फंड्स का लॉक-इन पीरियड कम होने की वजह से निवेशकों को ज्यादा लचीलापन मिलता है।”

इसके अलावा, ELSS फंड्स में निवेश का एक और फायदा है कि ये शेयर बाजार से जुड़े होने की वजह से लंबे समय में मुद्रास्फीति को मात देने वाले रिटर्न दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप हर महीने 12,500 रुपये का सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरू करते हैं, तो साल के अंत तक आप 1.5 लाख रुपये का निवेश पूरा कर सकते हैं, जो धारा 80C के तहत टैक्स में छूट के लिए योग्य है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, क्वांट ELSS टैक्स सेवर फंड ने पिछले पांच साल में 32.51% का सालाना रिटर्न दिया, जो एक अच्छा रिटर्न माना जाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि शेयर बाजार से जुड़े होने की वजह से इन फंड्स में जोखिम भी होता है, और रिटर्न की गारंटी नहीं होती।

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निवेश के दो रास्ते: SIP और Lump Sum

ELSS फंड्स में निवेश के लिए दो मुख्य तरीके हैं: सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) और एकमुश्त निवेश (Lumpsum)। SIP के जरिए आप हर महीने, तिमाही या सालाना एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं, जो न्यूनतम 500 रुपये हो सकती है। यह तरीका उन लोगों के लिए खासतौर पर फायदेमंद है, जो छोटी-छोटी राशि से निवेश शुरू करना चाहते हैं। SIP के जरिए निवेश करने से रुपये की औसत लागत (रुपी कॉस्ट एवरेजिंग) का फायदा मिलता है, जिससे बाजार की अस्थिरता का असर कम होता है। साथ ही, चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ भी लंबे समय में आपकी वेल्थ को बढ़ाने में मदद करता है।

वहीं, अगर आपके पास एकमुश्त राशि है, तो आप Lump Sum निवेश भी कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप इस अप्रैल में 1.5 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो यह राशि तीन साल बाद यानी अप्रैल 2028 के बाद निकाली जा सकती है। Lump Sum निवेश का लॉक-इन पीरियड निवेश की तारीख से शुरू होता है, जबकि SIP में हर निवेश की राशि के लिए अलग-अलग तीन साल का लॉक-इन पीरियड लागू होता है। इससे निवेशकों को यह समझने में आसानी होती है कि उनका पैसा कब तक उपलब्ध होगा।

टैक्स के साथ-साथ वेल्थ बनाने का मौका

ELSS फंड्स की एक और खास बात यह है कि ये सिर्फ टैक्स बचाने तक सीमित नहीं हैं। ये लंबे समय में वेल्थ बनाने का एक शानदार जरिया भी हैं।  बलवंत जैन कहते हैं, “ELSS फंड्स को सिर्फ टैक्स बचाने का जरिया नहीं मानना चाहिए, बल्कि इसे एक रणनीतिक निवेश के तौर पर देखना चाहिए, जो आपके वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में मदद कर सकता है।”

हालांकि, ELSS फंड्स में निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। सबसे पहले, आपको अपनी जोखिम लेने की क्षमता को समझना होगा, क्योंकि ये फंड्स शेयर बाजार से जुड़े हैं और इनमें नुकसान का खतरा भी हो सकता है। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में अब तक 97% इक्विटी म्यूचुअल फंड्स ने निगेटिव रिटर्न दिए हैं, जिससे सावधानी बरतने की जरूरत और बढ़ जाती है। दूसरा, फंड चुनते समय उसका पिछला परफॉर्मेंस, फंड मैनेजर की स्पेशलिटी और एक्सपेंस रेशियो जैसी चीजों को ध्यान में रखना चाहिए।

जैन कहते हैं, “ELSS फंड्स का एक और बड़ा फायदा यह है कि इनके रिटर्न पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG) लागू होता है। यानी 1.25 लाख रुपये तक के सालाना पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता, और इसके बाद 12.5% की दर से टैक्स देना होता है। यह अन्य टैक्स-सेविंग विकल्पों की तुलना में काफी हद तक निवेशक के पक्ष में है।”

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न्यू टैक्स रिजीम में क्या है स्थिति?

न्यू टैक्स रिजीम ने ELSS फंड्स की लोकप्रियता पर कुछ असर डाला है, क्योंकि इसमें धारा 80C के तहत टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता। जैन कहते हैं, “न्यू टैक्स रिजीम में निवेशकों को यह सोचने की जरूरत है कि क्या ELSS फंड्स में निवेश उनके लिए फायदेमंद है। लेकिन अगर आप लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं और बाजार की अस्थिरता को झेल सकते हैं, तो ELSS फंड्स अब भी एक अच्छा विकल्प हो सकते हैं।”

First Published : April 21, 2025 | 5:03 PM IST