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UPI लिंक से QR Code तक धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े से ऐसे बचें

RBI के वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में करीब 300 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह संख्या 36,075 हो गई है।

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आयुष मिश्र   
Last Updated- February 24, 2025 | 7:27 AM IST

भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से लेनदेन सभी लोगों की जरूरत बन गई है। मगर जितनी तेजी से यह बढ़ रही है इससे जुड़े फर्जीवाड़े भी उतनी ही तेजी से पांव पसारने लगे हैं। एनपीसीआई के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी में यूपीआई ने एक नई उपलब्धि हासिल कर ली है। इस जनवरी में लोगों ने यूपीआई के जरिये 16.99 अरब लेनदेन किए, जिसका कुल मूल्य 23.48 लाख करोड़ रुपये था।

भारतीय रिजर्व बैंक के वित्त वर्ष 2023-24 के आंकड़ों से पता चलता है कि बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में करीब 300 फीसदी की वृद्धि हुई है और यह संख्या 36,075 हो गई है। यूपीआई से जुड़े सामान्य फर्जीवाड़े के बारे में जानकर आप आर्थिक हानि से बच सकेंगे।

ये हैं फर्जीवाड़े के तरीके

फिशिंग : जालसाज बैंक कर्मचारी बनकर आपको फोन कॉल करेंगे और आपसे यूपीआई पिन अथवा वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) मांगेंगे। ये ओटीपी अमूमन फर्जी ईमेल, एसएमएस और फोन कॉल के जरिये आपको मिलेंगे।

फर्जी यूपीआई ऐप : जालसाज आजकल नकली यूपीआई ऐप्लिकेशन बनाने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। ये यूपीआई ऐप असली ऐप से काफी मिलते-जुलते हैं, उपयोगकर्ताओं को उन्हें डाउनलोड करने के लिए बरगलाया जाता है और उनसे उनका व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा हासिल कर धोखाधड़ी की जाती है।

क्यूआर कोड : जालसाज उपयोगकर्ताओं से रकम हासिल के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए कह सकते हैं, लेकिन सही मायने में उस क्यूआर कोड में रकम भुगतान का अनुरोध किया जाता है, जिससे उपयोगकर्ता के खाते से पैसे कट जाते हैं।

पैसे मांगने का करते हैं अनुरोध : साइबर अपराधी भुगतान लिंक के रूप में ‘रिक्वेस्ट मनी’ का लिंक भेजते हैं। अगर उपयोगकर्ता बगैर देखे लिंक पर क्लिक करता है और अपना यूपीआई पिन भी डाल देता है तो अनजान में उसके खाते से पैसे कट जाते हैं और जालसाज के खाते में चले जाते हैं।

पुरस्कार के नाम पर धोखाधड़ी : आमतौर पर साइबर अपराधी फोन कॉल, मैसेज और सोशल मीडिया के जरिये आपसे संपर्क करते हैं और आपको पुरस्कार जीतने अथवा नौकरी के अवसर के बारे में जानकारी देते हैं। आप जब उनके झांसे में फंस जाते हैं तो वे आपसे यूपीआई विवरण साझा करते हैं।

पेमेंट का फर्जी स्क्रीनशॉट : जालसाज आपके नंबर पर रकम भेजने का फर्जी स्क्रीनशॉट भेजते हैं, जिसके बाद आपसे रकम वापस मांगते हैं और कहते हैं कि गलती से आपके नंबर पर पैसे चले गए हैं, कृपया वापस कर दें।

यूपीआई आईडी फर्जीवाड़ा : जालसाज उपयोगकर्ताओं को गलत खाते में पैसे भेजने के लिए असली जैसी दिखने वाली नकली यूपीआई आईडी बनाते हैं।

रहते हैं फर्जी मगर बनते हैं असली : जालसाज खुद को दुकानदार या ऑनलाइन विक्रेता बताते हैं और यूपीआई के जरिये भुगतान का अनुरोध करते हैं, लेकिन वे कभी भी सामान नहीं भेजते हैं।

स्क्रीन साझा कर धोखाधड़ी : जालसाज अक्सर बैंक कर्मचारी या ग्राहक सेवा प्रतिनिधि बनकर फोन करते हैं और उपयोगकर्ताओं से स्क्रीन मिररिंग ऐप (जिससे स्क्रीन साझा हो सके) डाउनलोड करने के लिए कहते हैं। ये ऐप जालसाजों को उपयोगकर्ता के फोन तक पूरी पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे वे अनधिकृत वित्तीय लेनदेन करते हैं।

तुरंत करें शिकायत

अगर आप यूपीआई धोखाधड़ी के शिकार हो जाते हैं तो तुरंत कार्रवाई करना फायदेमंद होगा। सबसे पहले, आपको 24 घंटे के भीतर राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन नंबर 1930 या डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट साइबरक्राइम डॉट जीओवी डॉट इन के जरिये धोखाधड़ी की जानकारी देनी चाहिए। जितनी जल्दी शिकायत दर्ज की जाएगी, रकम वापस मिलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। इसके साथ ही आपको भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत अपने बैंक और एनपीसीआई को सूचित करना चाहिए। कुछ मामलों में, यदि धोखाधड़ी की तुरंत रिपोर्ट की जाती है, तो बैंक आपको मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी हो सकता है।

First Published : February 24, 2025 | 7:27 AM IST