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Arbitrage Fund: शेयर बाजार में जबरदस्त वोलैटिलिटी, इन फंडों में निवेश कर उठा सकते हैं इस उतार-चढ़ाव का फायदा

Arbitrage Funds: आर्बिट्राज फंड कैश और फ्यूचर सेगमेंट में शेयर की कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है।

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अजीत कुमार   
Last Updated- May 14, 2024 | 3:04 PM IST

Arbitrage Funds: इन दिनों घरेलू शेयर बाजार में जबरदस्त वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) देखने को मिल रही है। जिस तरह से India Volatility Index (India VEX) में पिछले कुछ दिनों में तेजी आई है, आने वाले समय में बाजार में उतार-चढ़ाव के और बढ़ने की संभावना मजबूत हुई है। India VEX नियर टर्म (अगले 30 दिन) में बाजार में संभावित उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।

कितना बढ़ा है India VEX ?

India VEX आज यानी बुधवार को लगातार 10वें दिन तेजी दर्ज करते हुए 18 के पार चला गया। 30 जनवरी, 2023 के बाद का यह इस इंडेक्स का सबसे ऊंचा स्तर है। India Volatility Index में लगातार इतने दिनों तक बढ़ोतरी मार्च 2020 के बाद पहली बार देखी गई है। पिछले महीने 23 अप्रैल को यह इंडेक्स अपने रिकॉर्ड निचले स्तर 10.2 पर चला गया था। आम चुनाव जैसे अहम घटनाक्रम से पहले India VEX आम तौर पर चढ़ता है। 2019 में यह 150 फीसदी उछला था (12 से 30 पर पहुंचा) और 2014 में इसने 212 फीसदी की छलांग लगाई थी (12.5 से 39)।

इस वोलैटिलिटी का कैसे उठाएं फायदा?

इस उतार-चढ़ाव के दौर में निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि बाजार में निवेश का एक ऐसा भी विकल्प है जहां वोलैटिलिटी का इस्तेमाल रिटर्न जेनरेट करने के लिए किया जाता है। यह विकल्प है आर्बिट्राज फंड (Arbitrage Fund)।

आर्बिट्राज फंडों के लिए शानदार रहा पिछला महीना

आंकड़े भी आर्बिट्राज फंड के प्रति निवेशकों की बढ़ती रुचि को दर्शाते हैं। आर्बिट्राज फंड में अप्रैल महीने के दौरान नेट 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ और इस कैटेगरी के फंडों का टोटल एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 1.90 लाख करोड रुपये के ऊपर चला गया। इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इस कैटेगरी के फंडों में नेट 90 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश हुआ। निवेश के मामले में इस तरह से पिछला वित्त वर्ष किसी भी अन्य वित्त वर्ष के मुकाबले सबसे शानदार रहा। पिछले यानी वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान इस कैटेगरी के फंडों का एसेट अंडर मैनेजमेंट वित्त वर्ष 2022-23 की तुलना में 127 फीसदी बढ़ा।

टैक्स नियमों में बदलाव से भी मिला इन फंडों को मिल रहा सपोर्ट

डेट फंड को लेकर टैक्स नियमों में आए बदलाव के चलते भी इस फंड में निवेश बढ़ा है। 1 अप्रैल 2023 से  डेट फंड पर इंडेक्सेशन के फायदे के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स के पुराने प्रावधान को हटा लिया गया है। मतलब डेट फंड से जो भी कैपिटल गेन होगा वह शार्ट-टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा जो आपकी इनकम में जुड़ जाएगा और आपको अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस कैपिटल गेन पर टैक्स देना होगा।  जबकि आर्बिट्राज फंड इक्विटी फंड की कैटेगरी में आते है और टैक्स के मामले में डेट फंड की तुलना में बेहतर हैं।

अब बात करते हैं खासकर इस फंड की।

क्या है आर्बिट्राज फंड?

बाजार में उतार-चढ़ाव के दौर में कम जोखिम उठाने वाले निवेशकों के लिए आर्बिट्राज फंड निवेश का एक बेहतर विकल्प है। ये हाइब्रिड फंड टैक्स ट्रीटमेंट के मामले में इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। मतलब इनमें कम से कम 65 फीसदी निवेश इक्विटी में होता है। जबकि बाकी निवेश डेट और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है।

आर्बिट्राज फंड इक्विटी मार्केट के कैश और फ्यूचर (डेरिवेटिव) सेगमेंट में किसी शेयर की कीमत में अंतर का फायदा उठाकर रिटर्न जेनरेट करते हैं। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव वाले दौर में दोनों सेगमेंट के बीच कीमतों का अंतर यानी स्प्रेड (spread) बढ़ जाता है। जब बाजार में वोलैटिलिटी (उतार-चढ़ाव) बढ़ती है, तब ये फंड ज्यादा रिटर्न देते हैं, लेकिन जब उतार-चढ़ाव कम होता है तो रिटर्न में भी कमी आती है।

आर्बिट्राज फंड कैसे करता है काम ?

इसमें एक सेगमेंट से कम कीमत पर शेयर खरीद कर दूसरे सेगमेंट में ज्यादा कीमत पर बेच दिया जाता है। इसे एक उदाहरण की मदद से समझा जा सकता है।

मान लीजिए किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत कैश सेगमेंट में 100 रुपये है और फ्यूचर/डेरिवेटिव सेगमेंट में 105 रुपये है। इस कीमत पर (आर्बिट्राज) फंड मैनेजर कंपनी के 100 शेयर (100X100 =1,000 रुपये) 1,000 रुपये में कैश सेगमेंट में खरीदता है और 10,500 (105×100=10,500) रुपये में डेरिवेटिव सेगमेंट में बेच देता है। इस तरह से फंड मैनेजर को प्रति शेयर 5 रुपये का यानी कुल 500 रुपये का प्रॉफिट होता है। बशर्ते फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के वक्त कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में शेयर की यही कीमत बनी रहे।

लेकिन मान लीजिए फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट के एक्सपायरी के वक्त कैश सेगमेंट में शेयर की कीमत घटकर 95 रुपये और डेरिवेटिव सेगमेंट में 90 रुपये तक आ जाए। ऐसा होने पर कैश मार्केट में प्रति शेयर 5 रुपये यानी 500 रुपये का नुकसान होगा जबकि डेरिवेटिव सेगमेंट में प्रति शेयर 15 रुपये यानी कुल 1,500 रुपये का मुनाफा। यानी फंड मैनेजर को 1,000 रुपये का नेट मुनाफा हुआ।

इस तरह आर्बिट्राज फंड कैश सेगमेंट और फ्यूचर सेगमेंट में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठाता है।

क्या है टैक्स प्रावधान?

ये फंड  टैक्स ट्रीटमेंट के मामले में इक्विटी म्युचुअल फंड की कैटेगरी में आते हैं। इसलिए इस पर टैक्स भी इक्विटी की तरह ही लगता है। यहां हम इसके दोनों ऑप्शन ग्रोथ और डिविडेंड में टैक्स प्रावधान की बात करेंगे:

ग्रोथ ऑप्शन: एक साल से कम अवधि में अगर आप रिडीम करते हैं तो इनकम शार्ट-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको 15 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) शार्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। लेकिन अगर आप एक साल के बाद रिडीम करते हैं तो इनकम लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन मानी जाएगी और आपको सालाना एक लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 10 फीसदी (प्लस 4 फीसदी सेस) लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। एक लाख से कम की इनकम पर कोई टैक्स देय नहीं होगा।

डिविडेंड ऑप्शन: आर्बिट्राज फंड से मिलने वाला डिविडेंड निवेशकों के इनकम में जुड़ जाता है और निवेशकों को अपने टैक्स स्लैब के हिसाब से उस डिविडेंड पर टैक्स  चुकाना होता है।

First Published : May 8, 2024 | 7:51 PM IST