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Gold: जब भी भाव घटे खरीदें, बुल केस में ₹1.10 लाख जा सकता है भाव, एनॉलिस्ट ने बताया- क्यों आएगी तेजी

MOFSL की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 15 सालों के अक्षय तृतीया पर सोने के रिटर्न की तुलना करें, तो औसतन 10 फीसदी CAGR रहा है।

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आशुतोष ओझा   
Last Updated- April 29, 2025 | 4:25 PM IST

Akshaya Tritiya, Gold Prices: सोने की कीमतों ने पिछले दिनों 1 लाख रुपये प्रति दस ग्राम का लेवल टच कर लिया। इसके बाद फिर नरमी आई और फिलहाल 95-96 हजार के रेंज में कारोबार कर रहा है। पिछले एक साल में सोना करीब 30 फीसदी चढ़ चुका है और काफी हद तक यह आम उपभोक्ता की खरीद क्षमता से बाहर हो गया है। इसके बावजूद अक्षय तृतीया (30 अप्रैल) से पहले एक बार फिर यह चर्चा है कि सोने में निवेश करना चाहिए या नहीं? बुलियन मार्केट एक्सपर्ट और एनॉलिस्ट मान रहे हैं कि नियर टर्म में सोने में भले उतार-चढ़ाव रहे लेकिन लॉन्ग टर्म के फंडामेंटल मजबूत नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि बुल केस में सोना अगले साल अक्षय तृतीया तक 1,10,000 रुपये प्रति दस ग्राम का लेवल टच कर सकता है। जियो-पॉलिटिकल टेंशन, केंद्रीय बैंकों की अग्रेसिव खरीदारी सोने में तेजी की कुछ अहम वजहें होंगी।

Gold: गिरावट में खरीदें, ₹1.10 लाख तक टारगेट

ए​क्सिस सिक्युरिटीज (Axis Securities) के सीनियर रिसर्च एनॉलिस्ट (कमोडिटीज) देवेया गगलानी कहते हैं, पिछले तीन वर्षों में एमसीएक्स (MCX) पर सोने के भाव में जोरदार उछाल देखने को मिला है। इससे निवेशकों को डबल-डिजिट रिटर्न मिला। साल 2025 के पहले चार महीने सोने के निवेशकों के लिए बीते एक दशक में सबसे बेहतरीन शुरुआत में से एक रहे हैं। सोने की कीमतों में इस साल अब तक करीब 25 फीसदी की जोरदार तेजी आई है।

गगलानी का कहना है, मौजूदा समय में हाई लेवल पर रिस्क-रिटर्न अनुपात (risk-reward ratio) अनुकूल नहीं है। बुल केस ​स्थिति में, अगर सोने की कीमतें 1,00,000 रुपये के ऊपर टिकती हैं, तो अगले अक्षय तृतीया तक यह 1,10,000 रुपये तक पहुंच सकती हैं। वहीं, निचले स्तर पर, कीमतों में 87,000 रुपये के आसपास कंसॉलिडेशन देखने को मिल सकता है।

मोतीलाल ओसवाल फाइनें​शियल सर्विसेज (MOFSL) की रिपोर्ट का कहना है कि गोल्ड में गिरावट में खरीदारी की स्ट्रैटजी बनाए रखें। यानी, सोना जब भी सस्ता हो, उसे खरीदें। वहीं, निवेशक 1.06 लाख रुपये के लॉन्ग टर्म टारगेट लेकर खरीदें। हालांकि, MOFSL का कहना है कि निवेशकों को सपोर्ट जोन का ध्यान रखना चाहिए। टे​क्निकली मीडियम से लॉन्ग टर्म का सपोर्ट 90,000-91,000 रुपये है जबकि रेसिस्टेंस 99,000 रुपये है।

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MOFSL की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में सोना में करीब 18 फीसदी का उछला गया। नए फाइनेंशयिल ईयर में सोने ने $3500 का आल टाइम हाई बनाया और घरेलू बाजार में 1 लाख के करीब पहुंच गया। हालांकि, सोने की तेजी में तुरंत बदला आया। ऐसा इसलिए क्योंकि रिकॉर्ड ऊंचाई से आगे बढ़ते हुए तेज बिकवाली देखने को मिली।

Source: Reuters, MOFSL report

Gold: किन वजहों से तेजी

MOFSL के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी) मानव मोदी का कहना है, बीते सालों में यह ट्रेंड देखा गया है कि डिमांड और सप्लाई जैसे फैक्टर्स का सोने की कीमतों पर सीधे तौर पर बड़ा असर नहीं पड़ा है, खासकर तब जब बाजार में ज्यादा बड़ी अनिश्चितताएं मौजूद हों। पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में तेज देखने को मिली है। इसलिए कीमतों में थोड़ी नरमी आने की संभावना भी है।

उनका कहना है, मौजूदा समय में सोने के लिए पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरह के फैक्टर्स हैं। मिक्स्ड इकोनॉमिक आंकड़े, टैरिफ वार, महंगाई बढ़ने की आशंका, धीमी इकोनॉमिक ग्रोथ, ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें, जियो-पॉलिटिकल टेंशन, बढ़ते कर्ज को लेकर चिंताएं, डिमांड में इजाफा और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट, ये ऐसे फैक्टर हैं, जो सोने की कीमतों को बूस्ट दे सकते हैं। अगर इन अनिश्चितताओं में कोई नरमी आती है तो बुलियन (सोना-चांदी) पर दबाव बन सकता है।”

टाटा एसेट मैनेजमेंट की हेड (प्रोडक्ट्स) शैली गांग कहती हैं, सोना एक बार फिर सेफ और स्ट्रैटजिक निवेश के रूप में सोने की डिमांड बढ़ रही है। एशिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता घटाने के लिए तेजी से अपने सोने के भंडार बढ़ा रहे हैं। मौजूदा जियो-पॉलिटिकल तनाव और महंगाई के दबावों ने भी सोने की मांग को मजबूती दी है। हाल ही में सोने की कीमतों में आई तेज बढ़त इसी मजबूत मांग और स्ट्रक्चरल बदलाव का नतीजा है।

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लदेवेया गगलानी कहते हैं, इस साल अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वार के चलते ग्लोबल फाइनेंशयिल मार्केट्स में आई उथल-पुथल के बीच सोना सुरक्षित निवेश विकल्प बनकर उभरा है। आर्थिक अनिश्चितता के चलते निवेशकों ने सोने की ओर रुख किया। इसके अलावा, केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी, डॉलर इंडेक्स में गिरावट और भू-राजनीतिक तनाव जैसे कारकों ने भी सोने की तेजी को मजबूत समर्थन दिया।

Akshaya Tritiya: निवेश का अच्छा मौका!

शैली गांग कहती हैं, भले ही निकट भविष्य में कीमतों में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले, लेकिन लंबी अवधि के लिए सोने के मजबूत फंडामेंटल बरकरार हैं। निवेशक इस समय को देखते हुए किस्तों में सोने में निवेश करने की स्ट्रैटजी अपना सकते हैं। अक्षय तृतीया जैसे शुभ मौके पर सोने में निवेश की शुरुआत करना या अपने पोर्टफोलियो में इसकी हिस्सेदारी बढ़ाना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है।

देवेया गगलानी का कहना है, अक्षय तृतीया को सोना खरीदना शुभ माना जाता है और इसे एसेट और सेफ इन्वेस्टमेंट का प्रतीक माना जाता है। जो निवेशक पिछले साल अक्षय तृतीया पर सोने में निवेश किए थे, उन्हें अब तक 31 फीसदी से ज्यादा का मजबूत रिटर्न मिला है। मौजूदा समय में सोने की कीमतें तेज उछाल के बाद ओवरबॉट (overbought) लेवल के करीब हैं। ऐसे में सलाह दी जाती है कि निवेशक अगर कीमतों में 5-10% की गिरावट आए तो चरणबद्ध तरीके से सोने में निवेश करें।

MOFSL की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 15 सालों के अक्षय तृतीया पर सोने के रिटर्न की तुलना करें, तो औसतन 10 फीसदी सालाना औसत चक्रवृद्धि दर (CAGR) रहा है। भले ही बीच-बीच में कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिली हो, लेकिन कुल मिलाकर सोने की कीमतों में स्थिर और लगातार बढ़ोतरी रही है।

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रिपेार्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में निवेशकों के पास अपने जोखिम प्रोफाइल के आधार पर सोने में निवेश करने के कई ऑप्शन मौजूद हैं। इसमें गोल्ड ईटीएफ (Exchange Traded Fund) अब काफी लोकप्रिय है। साथ ही एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव्स, डिजिटल गोल्ड, और फिजिकल सोने के बार व सिक्के भी निवेश के प्रमुख इंस्ट्रूमेंट्स हैं।

Source: Reuters, MOFSL Report

Gold Demand: कहां-कितनी डिमांड

  • फंड हाउस जीरोधा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत में सोने की मांग 800 टन से ज्यादा रही। वहीं, 1992 में यह 340 टन थी।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में भारत दुनियाभर में सोने के आभूषणों का सबसे बड़ा उपभोक्ता बनकर उभरा है, जहां सालाना खपत 563 टन से भी ज्यादा रही और इसकी कुल मांग की कीमत ₹3.6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गई।
  • भारत में सोने के सिक्कों और बिस्किट्स की मांग तेजी से बढ़ी है। 2024 में इस तरह के निवेश में भारत ने लगभग 239 टन सोना खरीदा, जो दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। भारतीय रुपये में बात करें, तो 2024 में सोने के सिक्कों और बिस्किट्स की मांग ₹1.5 लाख करोड़ के आसपास रही। यह 2023 के मुकाबले 60% ज्यादा है।
  • 5 साल में Gold ETF की होल्डिंग्स 200% से ज्यादा बढ़ी है। पिछले पांच वर्षों में गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स 21 टन से बढ़कर 63 टन से ज्यादा हो गई है। गोल्ड ईटीएफ होल्डिंग्स का मतलब- भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर लिस्टेड और ट्रेड होने वाले विभिन्न गोल्ड ईटीएफ द्वारा रखे गए कुल सोने का भंडार से है।
First Published : April 29, 2025 | 3:12 PM IST