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पुरानी पेंशन योजना, शिक्षा भत्ता और अधिक सैलरी चाहते हैं कर्मचारी, 8वें वेतन आयोग को सौपीं अपनी सिफारिशें

इन सिफारिशों का असर करीब 45 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा, जिनमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं।

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रुचिका चित्रवंशी   
असित रंजन मिश्र   
Last Updated- July 23, 2025 | 12:51 AM IST

सरकारी कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन की  घोषणा के छह महीने बाद कर्मचारी प्रतिनिधियों ने कुछ सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों का असर करीब 45 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा, जिनमें रक्षाकर्मी भी शामिल हैं। 

सिफारिशों में 2004 के बाद सेवा में आए सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना, अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में सुधार करना, कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कैशलेस चिकित्सा लाभ प्रदान करने के तरीके तैयार करना, बच्चों के लिए शिक्षा भत्ता और स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रावास सब्सिडी प्रदान करना शामिल हैं।

कैबिनेट सचिव टीवी सोमनाथन की अध्यक्षता वाली नैशनल काउंसिल ऑफ जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (एनसी-जेसीएम) ने मानक उपभोग मानदंड को 3 से बढ़ाकर 3.6 पारिवारिक उपभोग यूनिट करने की सिफारिश की है। एनसी-जेसीएम ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (सीपीसी) की शर्तें तैयार करते समय सिफारिश की है। इससे कर्मचारियों का शुरुआती वेतन बढ़ सकता है। 

यह सिफारिश राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन नीति निर्धारित करने के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा 2019 में गठित विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों पर आधारित है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्य सभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। सवाल में पूछा गया था कि क्या सरकार को 8वें वेतन आयोग पर एनसी-जेसीएम के सुझाव प्राप्त हुए हैं।

अगर 8वें वेतन आयोग के काम के दायरे में इसे शामिल किया जाता है, तो इससे बुनियादी खर्च का अनुमान बढ़ सकता है और शुरुआती वेतन का बेंचमार्क ऊपर जा सकता है यानी कर्मचारियों का शुरुआती वेतन बढ़ सकता है।  

उपभोग यूनिट एक मानक पैमाना है जिसका उपयोग लोगों की पोषण संबंधी जरूरतों की तुलना करने के लिए किया जाता है। आम तौर पर यह औसत कामकाज करने वाले वयस्क पुरुष के संदर्भ पर आधारित होता है। 8वें वेतन आयोग के 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होने की उम्मीद है। 

एनसी-जेसीएम नियोक्ता के रूप में केंद्र सरकार और कर्मचारियों के बीच सभी विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कर्मचारी पक्ष एवं नियोक्ता पक्ष के प्रतिनिधियों के बीच रचनात्मक बातचीत का एक प्लेटफॉर्म है। शर्तों को तैयार करते समय सरकार एनसी-जेसीएम द्वारा की गई सिफारिशों पर विचार करती है, लेकिन वे बाध्यकारी नहीं हैं। उसकी सिफारिशों की समीक्षा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग और व्यय विभाग द्वारा की जाती है। उसके बाद मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिए एक अंतिम मसौदा तैयार किया जाता है।

परिषद ने यह भी कहा कि केंद्रीय वेतन आयोग 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन (1957) की सिफारिश और बाद के संशोधनों को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम पगार के लिए वेतन ढांचे एवं अन्य लाभ को निर्धारित करेगा। 

परिषद ने 2004 के बाद बहाल किए गए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) पर नए सिरे से गौर करने और हर पांच साल बाद पेंशन में वृद्धि के साथ-साथ पिछले एवं भविष्य के पेंशनभोगियों के बीच समानता लाने का प्रस्ताव रखा है। अगर इसकी तुलना 7वें वेतन आयोग से की जाए तो एनसी-जेसीएम की सिफारिशों में कर्मचारियों की ज्यादा श्रेणियों को शामिल किया गया है।

First Published : July 22, 2025 | 10:50 PM IST