एफओएमसी के सख्त रुख और बैंक ऑफ जापान द्वारा प्रतिफल नियंत्रण को नरम बनाए जाने से दर्ज किए गए अमेरिकी 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल में 55 आधार अंक की वृद्धि ने विश्लेषकों को एशियाई बाजारों पर सतर्क बना दिया है और उनका मानना है कि इनमें कारोबार अल्पावधि-मध्यावधि में सीमित दायरे में बना रह सकता है।
विश्लेषकों का कहना है कि 24 से 26 अगस्त के बीच जैकसन होल बैठकों और सितंबर की एफओएमसी बैठकों के दौरान प्रतिक्रियाएं बेहद महत्वपूर्ण साबित होंगी और इनसे अल्पावधि में बाजारों के लिए रुझान निर्धारित होंगे।
उनका मानना है कि भारतीय बाजार इनसे अलग हैं और उनमें भविष्य में कॉरपोरेट आय में संभावित सुधार के बीच उनमें महंगे मूल्यांकन को उचित ठहराया जा सकता है।
बीएनपी पारिबा में एशिया पैसिफिक इक्विटी के रणनीतिकार मनीषी रायचौधरी ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘एशियाई आय प्रतिफल और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के बीच अंतर अपने सबसे निचले स्तर के करीब है, जिससे एशियाई आय प्रतिफल में सुस्त प्रवाह की संभावित अवधि का संकेत मिलता है।
चीनी आर्थिक गतिविधि में मंदी, प्रमुख संपत्ति डेवलपरों के लिए लगातार समस्याओं और कमजोर नीतिगत प्रोत्साहन की वजह से भी मदद नहीं मिल रही है। एकमात्र सकारात्मक बदलाव कोरिया, भारत और आसियान के कुछ हिस्सों में प्रति शेयर आय अनुमानों में सुधार है।’
कैलेंडर वर्ष 2023 में अब तक सेंसेक्स और निफ्टी में करीब 7.3 प्रतिशत की तेजी आई है। मिडकैप और स्मॉलकैप में अच्छी तेजी दर्ज की गई है। बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों ने इस अवधि के दौरान 21.5 प्रतिशत ओर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। रायचौधरी का मानना है कि भारतीय बाजारों में ताजा तेजी मजबूत आर्थिक और कॉरपोरेट राजस्व वृद्धि, निवेश में नीतिगत सुधार, निर्माण में तेजी की उम्मीद की वजह से आई है।
बॉन्ड प्रतिफल
इस बीच, 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल पिछले सप्ताह 4.5 प्रतिशत की 17 वर्षीय ऊंचाई पर पहुंच गया, जिसे लेकर नोमुरा के विश्लेषकों का मानना है कि यह कुछ हद तक मजबूत अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वजह से संभव हुआ है। नोमुरा का कहना है कि मजबूत अर्थव्यवस्था का शेयरों के लिए खराब परिणाम नहीं निकलना चाहिए, लेकिन कंपनियों पर ज्यादा उधारी से जुड़ी चिंताएं किसी तरह के सकारात्मक असर को समाप्त कर सकती हैं।
नोमुरा के विश्लेषकों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एशियाई शेयरों पर तब तक कुछ दबाव बने रहने का अनुमान है, जब तक कि हम अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में सुधार दर्ज नहीं करते, या चीन आर्थिक/वित्तीय बाजारों के लिए किसी बड़ी राहत की घोषणा नहीं करता, एनवीडीए नतीजे बाजार अनुमानों से बेहतर नहीं रहते।’
प्रभुदास लीलाधर में शोध प्रमुख अमनीष अग्रवाल का कहना है कि असमान मॉनसून, अल नीनो और फसलों पर उसके प्रभाव, इसकी वजह से महंगाई, रिजर्व बैंक द्वारा दरों में आगामी कटौती की कमजोर संभावना और 2024 में आम चुनाव ऐसे घटनाक्रम हैं, जो बाजार की तेजी पर लगाम लगा सकते हैं।