Anish Tawakley, Co-CIO — Equity, ICICI Prudential AMC
कैलेंडर वर्ष 2024 समाप्त होने के करीब है और सभी की नजरें अब जनवरी 2025 में डॉनल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर पड़ने वाले इसके असर पर टिकी हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य निवेश अधिकारी (इक्विटी) अनीश तवाकले ने पुनीत वाधवा के साथ बातचीत में फंड प्रबंधक के तौर पर 2024 में अपनी यात्रा और आगामी वर्ष में बाजार के लिए अवसरों तथा मुख्य जोखिमों के बारे में बताया। मुख्य अंश:
हमने बैंकिंग सेक्टर में अच्छा प्रदर्शन किया, जहां साल की शुरुआत में हमारा निवेश बहुत कम था और फिर हमने साल के दौरान अपना निवेश बढ़ाया। हमारे लिए एफएमसीजी से दूर रहना भी सही फैसला साबित हुआ। मगर छोटे और मिडकैप शेयरों में निवेश करने के बजाय नकदी बचाकर रखने से हमें नुकसान हुआ है।
बाजार अभी समझ से परे है और तर्कहीन बाजार में तर्कसंगत बने रहकर आप बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकते। इसलिए, हम रिटर्न के पीछे नहीं भाग रहे हैं, बल्कि पूंजी सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि जब मूल्यांकन अधिक अनुकूल हो जाएगा, तो हम इस नकदी का उपयोग कर सकेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी पर कम ध्यान देना भी हमारे पक्ष में काम नहीं आया।
वैश्विक बाजारों के लिए सबसे बड़ा जोखिम अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी से जुड़ा हुआ है। आर्थिक चक्र के इस चरण में, जब अर्थव्यवस्था पहले से ही संपूर्ण रोजगार के करीब है, कर कटौती अनुचित होगी। अक्टूबर और नवंबर की शुरुआत में बॉन्ड बाजारों में अनिश्चितता के संकेत दिखे। अगर अमेरिकी राजकोषीय नीति अनुशासित नहीं हुई तो ये चिंताएं फिर से पैदा हो सकती हैं। भारतीय बाजारों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों का मूल्यांकन ऊंचा बना हुआ है।
बाजार के इन सेगमेंटों में बहुत से नए, अनुभवहीन निवेशक आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में, अपेक्षाकृत कमजोर बिजनेस मॉडल वाली कई कंपनियां अपने शेयर बेचने के लिए इन हालात का लाभ उठा रही हैं।
मैं इसे अपने आर्थिक दृष्टिकोण के संदर्भ में रखना चाहता हूं। हमें उम्मीद है कि वर्ष की पहली छमाही में नरमी के बाद अर्थव्यवस्था फिर से गति पकड़ लेगी। ऐसा सरकारी खर्च में तेजी आने की वजह से होगा और यदि आवश्यक हुआ तो भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति में ढील देगा। इस संदर्भ में, मैं यह कहना चाहूंगा कि लार्जकैप सेगमेंट में गिरावट सामान्य है। मूल्यांकन सस्ते नहीं हैं और अल्पावधि में रिटर्न नरम रहने का अनुमान है, पर गिरावट की आशंका सीमित है।
मैं तीन कारणों से पूंजी प्रवाह की भविष्यवाणी करने की कोशिश नहीं करता। पहला, मुझे उनके पूर्वानुमान के लिए कोई विश्वसनीय मॉडल नहीं मिला है। दूसरा, निवेश रणनीति के रूप में प्रवाह की भविष्यवाणी करना अधिक मूर्खतापूर्ण सिद्धांत पर निर्भर होने जैसा है। तीसरा, मजबूत प्रवाह के साथ भी, बाजार सपाट हो सकते हैं या टूट सकते हैं। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि प्रवर्तकों और निजी इक्विटी से आपूर्ति प्रवाह को प्रभावित कर सकती है। हाल में ऐसा ही हुआ। प्रवर्तकों और निजी इक्विटी ने ऊंचे मूल्यांकन पर शेयरों को बेचने के लिए पूंजी प्रवाह का लाभ उठाया है।