बाजार

Trump Tariff, 9 जुलाई और बरकरार है शेयर बाजार में खामोशी

मंगलवार को निफ्टी 50 इंडेक्स 25,542 पर बंद हुआ जो 27 सितंबर, 2024 के 26,179 के बंद स्तर से 3 प्रतिशत नीचे है।

Published by
सुन्दर सेतुरामन   
समी मोडक   
Last Updated- July 01, 2025 | 10:02 PM IST

घरेलू शेयर बाजार मजबूत बने हुए हैं। यह मजबूती इसके बावजूद है कि राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से घोषित नई अमेरिकी टैरिफ दरों (10 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक) की 9 जुलाई की समय सीमा नजदीक आ रही है। द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं के लिए 90 दिन के लिए टैरिफ पर रोक लगा दी गई थी। इन टैरिफ ने निवेशकों के बीच सतर्क आशावाद जगाया है। उन्हें अनुकूल अमेरिका-भारत व्यापार समझौते की उम्मीद है।  

मंगलवार को निफ्टी 50 इंडेक्स 25,542 पर बंद हुआ जो 27 सितंबर, 2024 के 26,179 के बंद स्तर से 3 प्रतिशत नीचे है। 7 अप्रैल को इस साल के निचले स्तर 22,162 से निफ्टी में 15 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई है। बोफा सिक्योरिटीज में इंडिया रिसर्च के प्रमुख अमीश शाह ने कहा, ‘बाजारों में भारत-व्यापार करार का असर पूरी तरह से दिख चुका है। अगर करार में किसी तरह की देरी या निराशाजनक स्थिति होती है तो वह बाजार का प्रमुख जोखिम होगी।’

बजाज फिनसर्व म्युचुअल फंड में सीआईओ निमेष चंदन ने टैरिफ करार में विस्तार की संभावना को  ‘मामले को टालने’ जैसा बताया है, क्योंकि कम समय में व्यापार समझौता होना चुनौतीपूर्ण है। लेकिन उनका मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से अन्य देशों की तुलना में भारत पर सबसे कम प्रभाव पड़ेगा। भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात की संरचना के कारण विश्लेषक भी अधिक आशावादी हैं। इसमें मुख्य रूप से आईटी और चिकित्सा जैसी सेवाओं का दबदबा है जिनको टैरिफ से छूट की संभावना है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘कमोडिटी निर्यात सूचीबद्ध बाजार का बड़ा हिस्सा नहीं है। दवा निर्यात अमेरिकी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का मददगार है। इन पर टैरिफ लगाने से अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढ़ सकती है।’ भट ने यह भी कहा कि चीन, जापान या यूरोप की तुलना में भारत के प्रति ट्रंप का रुख कम आक्रामक रहा है।

अमेरिकी टैरिफ अनिश्चितता के बावजूद उभरते बाजारों में बॉन्ड, शेयरों और मुद्राओं ने कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली छमाही के दौरान मजबूत प्रदर्शन किया। कारोबारियों ने इस लाभ का श्रेय गैर-अमेरिकी परिसंपत्तियों में निवेश करने की निवेशकों की बढ़ती मांग को दिया है।

ब्लूमबर्ग के अनुसार ईएम डेट का एक सूचकांक इस साल 11 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है जो 2016 के बाद से किसी भी वर्ष के पहले छह महीनों में इसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इसके अलावा, ईएम इंडेक्स लगभग 14 प्रतिशत बढ़ गया है, जो अमेरिका के एसऐंडपी 500 में हुई वृद्धि का दोगुना है।’

विशेषज्ञ 9 जुलाई के करीब आने से बाजार में अस्थिरता बढ़ने से इनकार नहीं कर रहे हैं। जैसे-जैसे यह समय-सीमा नजदीक आ रही है, निवेशक समय-सीमा में विस्तार के संकेतों या अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता में सफलता की संभावना पर नजर रख रहे हैं और किसी भी स्थिति में बाजार प्रतिक्रिया के लिए तैयार है।

स्वतंत्र इक्विटी विश्लेषक अंबरीश बालिगा ने कहा, ‘अगर टैरिफ लगाए जाते हैं, तो बाजार में गिरावट आएगी। हालांकि यह गिरावट बहुत ज्यादा नहीं हो सकती है। कोई समझौता या इसे आगे बढ़ाने का फैसला तेजी को हवा दे सकता है, जिससे मजबूत घरेलू तरलता के बूते देसी  सूचकांक सितंबर के ऊंचे स्तर को फिर से छू सकते हैं।’

विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिकी व्यापार (जो इसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल 2 प्रतिशत है) के लिए भारत का प्रत्यक्ष जोखिम सीमित है जिससे बाजार तेज गिरावट से बच सकता है।

First Published : July 1, 2025 | 9:56 PM IST