वित्त वर्ष 2024 की दिसंबर तिमाही में हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) का प्रदर्शन आकर्षक नहीं रहा। कीमत कटौती और ऊंचे विज्ञापन खर्च की वजह से बिक्री और परिचालन मुनाफा दोनों में एक साल पहले के मुकाबले उत्साह नहीं दिखा। कमजोर मांग के अलावा, कंपनी को खासकर क्षेत्रीय कंपनियों से बढ़ते प्रतिस्पर्धी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी को ग्रामीण बाजार में सुस्त सुधार की वजह से आगे चलकर राजस्व दबाव से जूझना पड़ सकता है।
उसका मार्जिन भी सीमित दायरे में बने रहने का अनुमान है क्योंकि कच्चे माल की घटती लागत से मिलने वाले लाभ पर बढ़ते विज्ञापन खर्च का असर हो सकता है। निराशाजनक प्रदर्शन और अल्पावधि परिदृश्य को देखते हुए अधिकांश ब्रोकरेज फर्मों ने अपने आय अनुमानों में 5 प्रतिशत तक की कटौती की है और शेयर पर सतर्क रुख अपनाया है। यह शेयर शुक्रवार के सत्र में 3.7 प्रतिशत की गिरावट का शिकार हुआ। उसे भविष्य में अनिश्चित परिवेश और ब्रोकरों के डाउनग्रेड की वजह से और अधिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
कंपनी को मांग पर भविष्य में नजर रखे जाने की जरूरत होगी। कंपनी ने कहा है कि ठंड की देर से शुरुआत, कमजोर त्योहारी सीजन और विभिन्न बाजारों में असमान वृद्धि को देखते हुए परिचालन परिवेश चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। ग्रामीण आय वृद्धि में धीरे धीरे सुधार आने और जाड़े के मौसम में फसल पैदावार से वृद्धि की रफ्तार में बदलाव आ सकता है।
कंपनी के परिचालन की दो सबसे बड़ी श्रेणियों – ब्यूटी और पर्सनल केयर या बीपीसी और होमकेयर ने मुख्य तौर पर कीमत कटौती की वजह से एक अंक की बिक्री वृद्धि दर्ज की। सर्दियों में देरी से विंटर पोर्टफोलियो प्रभावित हुआ। इस पोर्टफोलियो में एक-तिहाई योगदान बीपीसी का है।
स्किन क्लींजिंग (बीपीसी का हिस्सा) पोर्टफोलियो का राजस्व प्रभावित हुआ। घटती जिंस कीमतों से कीमत कटौती का असर आया और पोर्टफोलियो का राजस्व प्रभावित हुआ। कंपनी बीपीसी को ब्यूटी और वेलबीइंग सेगमेंट और पर्सनल केयर सेगमेंट में विभाजित कर रही है। जहां ब्यूटी एवं वेलबीइंग सेगमेंट में स्किन केयर, कॉस्मेटिक्स, हेयर केयर और हेल्थ/वेलबीइंग शामिल होंगे, वहीं दूसरे सेगमेंट में स्किन क्लींजिंग, ओरल केयर और डियोड्रेंट्स होंगे।
मुद्रास्फीति नरम पड़ने से क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है और ग्राहक चाय, साबुन तथा डिटरजेंट जैसे सेगमेंट में कम कीमत पर जोर दे रहे हैं। दुग्ध की बढ़ती कीमतों से हेल्थ फूड ड्रिंक या एचएफडी सेगमेंट प्रभावित हुआ। एचएफडी फूड और रीफ्रेशमेंट श्रेणी का हिस्सा है, जिसने निचले एक अंक की बिक्री वृद्धि दर्ज की और कीमत कटौती से एक प्रतिशत मूल्य वृद्धि को बढ़ावा मिला।
नुवामा रिसर्च के विश्लेषक अबनीश रॉय का कहना है कि जिंस कीमतें नरम रहने से प्रतिस्पर्धी तीव्रता ऊंची बनी रह सकती है।
बिक्री बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के प्रयास में और अधिक कीमत कटौती का मुनाफे पर असर पड़ेगा। कंपनी तिमाही में सकल मार्जिन 401 आधार अंक तक बढ़ाकर 50.6 प्रतिशत पर पहुंचाने में सफल रही। हालांकि विज्ञापन खर्च में 32.8 प्रतिशत वृद्धि का मतलब है कि परिचालन मुनाफा मार्जिन वृद्धि सालाना आधार पर 8 आधार अंक तक सीमित रहकर 23.3 प्रतिशत दर्ज की गई। वहीं तिमाही आधार पर यह 87 आधार अंक तक कम रही।
कंपनी प्रबंधन को लागत बचत कदम, महंगे उत्पादों के बेहतर समावेश, राजस्व प्रबंधन और उत्पादकता पर ध्यान देने से सकल मार्जिन वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन कई तरह की चुनौतियों की वजह से ब्रोकर सतर्क बने हुए हैं।
सेंट्रम रिसर्च के शिरीष परदेशी का मानना है कि निवेशकों को क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा से दबाव को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहने की जरूरत होगी। बिक्री प्राथमिकता को ध्यान में रखकर कंपनी विज्ञापन एवं प्रोत्साहन खर्च बढ़ा रही है और इस वजह से मार्जिन पर दबाव पड़ रहा है।
कंपनी ने अपने ईपीएस अनुमानों में कटौती की है और अपनी रेटिंग घटाई है। ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के अभिजीत कुंडू और धीरज मिस्त्री का भी मानना है कि एचयूएल की बिक्री और मूल्य वृद्धि सुस्त रह सकती है और उन्हें ग्रामीण बाजार में धीरे धीरे सुधार आने तथा स्थानीय/क्षेत्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धी तीव्रता बढ़ने का अनुमान है।
हालांकि दीर्घावधि के लिहाज से उनका मानना है कि यह उपभोक्ता दिग्गज अपने व्यापक उत्पाद पोर्टफोलियो की वजह से ग्रामीण बाजार सुधार की सबसे बड़ी लाभार्थियों में से एक होगी। ब्रोकरेज ने एचयूएल के शेयर के लिए ‘बनाए रखें’ रेटिंग दी है।