सरकार सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) नियम से छूट एक खास अवधि के लिए जारी रख सकती है। इस दौरान यदि सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो जाता है अथवा उसके स्वामित्व में बदलाव होता है तो भी यह छूट जारी रहेगी। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब सरकार आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। नए नियम के प्रभावी होने से आईडीबीआई बैंक को न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता से छूट जारी रहेगी भले ही उसमें भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी क्यों न बेच दें।
वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक सूचीबद्धता मानदंडों में एक नई धारा जोड़ी है। इन मानदंडों के तहत सभी सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम 25 फीसदी सार्वजनिक शेयरधारिता को अनिवार्य किया गया है। इसका उल्लेख प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम 1957 में किया गया है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘इस नियम का उद्देश्य छूट की वैधता को एक निर्दिष्ट अवधि के लिए जारी रखना है, भले ही ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों के नियंत्रण में बदलाव ही क्यों न हो जाए।’
नया संशोधन 2 जनवरी से प्रभावी हो गया है। यह सूचीबद्ध सार्वजनिक उपक्रमों पर लागू होगा और इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि उसमें सरकार की प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर कितनी हिस्सेदारी है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि वह सार्वजनिक उपक्रमों को न्यूनतम शेयरधारिता प्रावधानों से छूट को जारी रख सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह एक ऐसा प्रावधान है जो सरकार के संभावित नीतिगत विनिवेश को रफ्तार देगा।’
अधिकारी ने कहा कि इस नियम से सार्वजनिक उपक्रमों के लिए स्थिति कहीं अधिक साफ होगी और यह सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करेगा। सरकार फिलहाल आईडीबीआई बैंक, शिपिंग कॉरपोरेशन, कंटेनर कॉरपोरेशन सहित कई सार्वजनिक उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है। जहां तक आईडीबीआई बैंक का सवाल है तो एलआईसी ने 2019 में आईडीबीआई बैंक में नियंत्रणयोग्य हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। आईडीबीआई बैंक में एलआईसी की 49.24 फीसदी और सरकार की 45.48 फीसदी हिस्सेदारी है। इन दोनों को मिलाकर कुल शेयर हिस्सेदारी 94.72 फीसदी हो जाती है जबकि सार्वजनिक शेयरधारिता महज 5.28 फीसदी है।
अधिकारियों ने बताया कि सरकार नए खरीदार को एक निश्चित समय के भीतर न्यूनतम शेयरधारिता मानदंडों को पूरा करने का अवसर प्रदान करेगी। पिछले महीने सरकार ने आईडीबीआई बैंक के लिए प्रारंभिक बोली जमा कराने की अंतिम समय-सीमा को 7 जनवरी तक बढ़ा दिया था। सफल बोलीदाता को आम शेयरधारकों से 5.28 फीसदी हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए खुली पेशकश लानी होगी।