महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों से बाजार में बहुत उछाल की संभावना नहीं है। विश्लेषकों का कहना है कि अल्पावधि से मध्यम अवधि के लिहाज से बाजारों के लिए चिंता का सबब कुछ बड़े घटनाक्रम हैं। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को 288 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ। मतों की गिनती 23 नवंबर को होनी है।
सेंट्रम पीएमएस में मुख्य निवेश अधिकारी मनीष जैन ने कहा कि महाराष्ट्र चुनाव का बाजारों पर कोई बड़ा असर नहीं होगा, जो विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली के कारण कमजोर हो गया है। नतीजों के दिन, जनादेश कुछ भी हो, हमें किसी बड़ी गिरावट की आशंका या प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं है। निवेशकों को इस मौके का इस्तेमाल गुणवत्ता कारोबार से जुड़े शेयरों की खरीद के लिए करना चाहिए।
महाराष्ट्र में सत्ताधारी महायुति गठबंधन और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कांटे की टक्कर है। मैक्वेरी के विश्लेषकों ने हालिया नोट में कहा कि केंद्र में सीटों के योगदान के लिहाज से महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, ऐसे में राज्य में अगर भाजपा की अगुआई वाले महायुति गठबंधन के अनुकूल राजनीतिक नतीजे आते हैं तो नरेंद्र मोदी सरकार के लिए इनका राजनीतिक महत्त्व होगा।
विश्लेषकों ने कहा कि नई सरकार के गठन के बाद बाजार नीतिगत घोषणाओं पर बारीकी से नजर रखेगा कि उनमें से किसी का महाराष्ट्र की कंपनियों के परिचालन पर क्या असर पड़ता है। मैक्वेरी के सुरेश गणपति, आदित्य सुरेश और पुनीत बहलानी ने हाल में लिखा है कि कुछ निवेशकों की चिंता यह हो सकती है कि एमवीए के नेतृत्व वाली सरकार शायद एमवाईए (भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन) की तुलना में कुछ बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को कम प्राथमिकता दे सकती है।
इसलिए हमारा मानना है कि राज्य में नियोजित कुछ प्रमुख परियोजनाओं और उनके अमल में शामिल कंपनियों के लिए निहितार्थों पर बारीकी से नज़र रखना जरूरी हो गया है। लोकसभा की 48 सीटों के साथ महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।
मैक्वेरी के आकलन के अनुसार यह भारत में कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 13-14 फीसदी का सबसे ज्यादा योगदान देता है। उसकी प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी अधिक है। विदेशी ब्रोकरेज के अनुसार भारत से कुल निर्यात में राज्य की हिस्सेदारी 16 फीसदी है और अखिल भारतीय स्तर पर भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स में इसकी हिस्सेदारी सबसे अधिक (19 फीसदी) है।
हालांकि महाराष्ट्र में चुनाव शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण घटना है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बाजार का प्रदर्शन पूरी तरह से उससे निर्धारित नहीं होता है। विश्व अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति के हालात, कंपनियों के मुनाफे और निवेशकों का मनोबल सहित दूसरे तत्व भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।
मास्टर कैपिटल सर्विसेज के सहायक उपाध्यक्ष (अनुसंधान और सलाहकार) विष्णु कांत उपाध्याय ने कहा कि कारोबार के अनुकूल किसी भी सरकार के लिए स्पष्ट जनादेश से ही बाजार के विस्तार को बल मिल सकता है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और निवेश आकर्षित होगा।
विश्लेषकों के अनुसार सितंबर 2024 की तिमाही के नतीजों का मौसम खत्म होने के साथ ही बाजार की निगाहें भू-राजनीतिक घटनाओं, विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित हो गई हैं। इसके अलावा उन्हें 20 जनवरी, 2025 को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की शपथ का भी इंतजार है। उनका मानना है कि इस घटना से उनके विचारों और नीतियों को व्यवहार में लाने का पता चलेगा।
ऐंजल वन के वरिष्ठ विश्लेषक (तकनीकी और डेरिवेटिव शोध) ओशो कृष्णन ने कहा कि तकनीकी रूप से 23,650-23,700 निफ्टी के लिए मजबूत प्रतिरोध स्तर बना हुआ है जबकि 23,800-24,000 अल्पावधि में रुझान बदलने में बाधा है। उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर 23,400-23,350 मध्यवर्ती समर्थन स्तर के रूप में काम कर सकता है। अगर यह टूटता है तो 23,200-23,100 के स्तर तक और गिरावट संभव है।