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जेपी मॉर्गन इंडिया बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने का असर, तीन उभरते बाजारों के भार में होगी कमी

सितंबर 2023 से जीसेक में विदेशी निवेश पर नजर डालें तो सूचकांक-संबंधित बॉन्डों में केवल 8.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ और अकेले चार निर्गमों में 66 प्रतिशत निवेश प्राप्त हुआ है।

Last Updated- June 24, 2024 | 10:02 PM IST
JP Morgan

एचएसबीसी के विश्लेषकों ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि थाईलैंड, पोलैंड और चेक गणराज्य, भारत के तीन उभरते बाजार (ईएम) प्रतिस्पर्धी हैं, जिन्हें जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स (जीबीआई ईएम इंडेक्स) में अगले 10 महीनों में अपने संबंधित भार में कटौती का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि भारत सरकार की प्रतिभूतियां (GSEC) 28 जून, 2024 से इस सूचकांक में शामिल होने लगेंगी।

एसएसबीसी में वैश्विक उभरते बाजारों के लिए वरिष्ठ दर रणनीतिकार हिमांशु मलिक ने रिपोर्ट में लिखा है कि जीबीआई ईएम सूचकांक में भारत के 10 प्रतिशत भार को समायोजित करने के लिए सूचकांक में अन्य ईएम प्रतिस्पर्धियों के लिए भार में बदलाव दिखेगा जिससे उनके भार में कमी आएगी।

हालांकि मलिक का मानना है कि भारत में बदलाव का प्रभाव ज्यादा नहीं होगा, क्योंकि भारत को इस सूचकांक में पूरी तरह से 10 महीने की अवधि में चरणबद्ध तरीके से शामिल किया जाएगा।

मजबूत प्रवाह

इस बीच, भारत सरकार के बॉन्डों में 21 सितंबर 2023 को शामिल किए जाने संबंधित घोषणा के बाद से 10.4 अरब डॉलर कर निवेश देखा गया है। तुलनात्मक तौर पर, 2023 के पहले आठ महीनों में जीसेक में सिर्फ 2.4 अरब डॉलर का निवेश आया और 2021 तथा 2022 में 1-1 अरब डॉलर की सालाना विदेशी पूंजी निकासी दर्ज की गई थी।

सितंबर 2023 से जीसेक में विदेशी निवेश पर नजर डालें तो सूचकांक-संबंधित बॉन्डों में केवल 8.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ और अकेले चार निर्गमों में 66 प्रतिशत निवेश प्राप्त हुआ है।

मलिक ने लिखा है, ‘अधिकांश सूचकांक-योग्य जीसेक में विदेशी निवेश स्थिति अभी भी जीबीआई ईएम सूचकांक में उनके संभावित भार से कम है। हमारी नजर में, निवेश का बड़ा हिस्सा अभी भी समावेशन प्रक्रिया के माध्यम से पूरा नहीं हुआ है और इस तरह के निवेश में प्रमुख निर्गमों का योगदान बढ़ने की संभावना है।’

जीसेक बाजार का आकार करीब 112 प्रतिभूतियों के साथ 1.3 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि किसी निवेश प्रतिबंधों के बगैर विदेशी निवेश खास लिक्विड बेंचमार्क प्रतिभूतियों में ही स्वीकार्य है, जिन्हें फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) के तहत आने वाली प्रतिभूतियों के तौर पर श्रेणीबद्ध किया गया है। आरबीआई 5 साल, 7 साल, 10 साल, 14 साल और 30 साल की अवधि में किसी नए निर्गम को एफएआर श्रेणी के तहत वर्गीकृत करता है।

एचएसबीसी ने कहा है, ‘मौजूदा समय में, 38 एफएआर निर्गम (बकाया राशि : 482 अरब डॉलर) हैं। इनमें से सिर्फ 2.5 वर्ष से अधिक की परिपक्वता वाली प्रतिभूतियां, 1 अरब डॉलर की न्यूनतम बकाया राशि और नॉन-ग्रीन इश्यू ही जीबीआई ईएम सूचकांक में शामिल होने के लिए पात्र हैं। इस वजह से 28 प्रतिभूतियां सूचकांक में शामिल होने के लिए पात्र हैं।’

एचएसबीसी को उम्मीद है कि 5-वर्षीय, 7-वर्षीय, 10-वर्षीय और 30-वर्षीय बेंचमार्क भविष्य में विदेशी प्रवाह का मुख्य लक्ष्य हो सकते हैं, क्योंकि इनमें विदेशी निवेश कम है, नीलामी के माध्यम से इनकी उपलब्धता है, तथा अन्य बॉन्डों की तुलना में इनके सूचकांक भार में वृद्धि हुई है।

First Published - June 24, 2024 | 9:57 PM IST

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