सूचीबद्ध कंपनियों के लिए पारिवारिक व्यवस्था के खुलासे से जुड़े नए नियम ने शेयरधारकों के बीच बहस को बढ़ावा दिया है। ताजा उदाहरण बेंगलूरु की टीडी पावर सिस्टम्स का है जो मौजूदा समय में 16 प्रतिशत इक्विटी स्वामित्व को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय में विवाद से जूझ रही है।
मोहिब खेरिचा (टीडीपीएस के अध्यक्ष) की 16 प्रतिशत हिस्सेदारी पर दावा कर रहे विजय किर्लोस्कर और निखिल कुमार (टीडीपीएस के प्रबंध निदेशक एवं किर्लोस्कर के भतीजे) ने बाजार नियामक सेबी तथा स्टॉक एक्सचेंजों का पत्र लिखकर टीडीपीएस पर शेयरधारक समझौते का पूरी तरह खुलासा नहीं करने का आरोप गाया है।
किर्लोस्कर ने नियामक से इस मामले की जांच कराने और टीडीपीएस से उनसे जुड़े शेयरधारकों के समझौतों का खुलासा करने को कहा है।
किर्लोस्कर द्वारा भेजे गए पिछले शिकायती पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए टीडी पावर ने 12 अगस्त को स्टॉक एक्सचेंज को दी जानकारी में कहा कि यह मामला मौजूदा समय में विचाराधीन है और अदालती सुनवाई के निर्णायक परिणाम की प्रतीक्षा की जा रही है। इस जानकारी में कहा गया कि खेरिचा मौजूदा समय में कंपनी के शेयरधारक नहीं हैं और किर्लोस्कर से जुड़ा शेयरधारक समझौता भी टीडीपीएस के सूचीबद्ध होने से पहले जनवरी 2011 में ही समाप्त हो गया था। अपने पत्र में किर्लोस्कर ने कहा कि टीडीपीएस ने 2011 के टर्मिनेशन एग्रीमेंट का कोई प्रमाण पेश नहीं किया है, न ही अगस्त 2011 में पेश अपने आईपीओ दस्तावेज या सालाना रिपोर्टों में इसका खुलासा किया।
नए सूचीबद्धता नियमों के प्रावधान ‘30ए’ के तहत, सभी सूचीबद्ध कंपनियों को 14 अगस्त से पहले उन सभी व्यवस्थाओं का खुलासा करना था जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सूचीबद्ध इकाई के प्रबंधन या नियंत्रण को प्रभावित करती हों।
यह समय-सीमा निकलने के बाद, बाबा कल्याणी ग्रुप की कंपनियों बीएफ इन्वेस्टमेंट और कल्याणी इन्वेस्टमेंट कंपनी ने रसायन फर्म हिकल (कल्याणी की बहन और उनके पति जयदेव हीरेमठ द्वारा प्रवर्तित) पर गलत और भ्रामक खुलासा करने का आरोप लगाया।