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टीसीएस-हालत खस्ता

Last Updated- December 05, 2022 | 11:05 PM IST

यदि इन्फोसिस,विप्रो और सत्यम कम्यूटर के परिणामों पर नजर डाली जाय तो लगेगा कि अपने परिणामों में इन कंपनियों ने बाजार को समझाने का प्रयास किया है कि सॉफ्टवेयर क्षेत्र के लिये हालात अभी इतने खराब नहीं हुए हैं।


लेकिन टीसीएस के परिणाम आने के बाद ये सारी आशाएं धरी की धरी रह गयी। भारत की इस सबसे बड़ी साफ्टवेयर कंपनी के राजस्व में मार्च 2008 में समाप्त हुई तिमाही में मात्र 3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी। कंपनी को तीन अमेरिकी बैंकों के प्रोजेक्ट में देरी और कंपनी को मिला एक ऑर्डर निरस्त हो जाने से भी नुकसान झेलना पड़ा है।


कंपनी के कुछ बड़े प्रोजेक्ट के लिये इंजीनियरों की बिलिंग न करने का भी असर रहा है। बडे सौदे प्राय: ऐसे ही संचालित होते हैं, लेकिन इससे प्राइस रियलाइजेशन बहुत कम रहा था। इसका यह परिणाम भी हुआ कि एबिट मार्जिन 140 बेसिस प्वाइंट घटकर 22.8 प्रतिशत रह गया। इस तिमाही में फॉरेक्स से होने वाली कमाई भी 6 फीसदी तक घट गई।


अगर परिणामों के सकारात्मक पहलू की ओर देखा जाय तो कंपनी ने पूरे भौगोलिक क्षेत्र में फैले अपने कारोबार से 22,861 करोड़ रुपये की आय अर्जित की। 22,861 करोड़ रुपये की इस कंपनी के लिए संतोष की बात केवल यही थी कि इसका एट्रिशन रेट कम रहा है यानी इस साल कम कर्मचारियों ने कंपनी छोड़ी है और दूसरे देशों में भी कंपनी के कारोबार में इसकी ग्रोथ संतुलित रही है।


कंपनी ने अपने परिणामों की घोषणा में यह भी कहा कि वह 30,000 से 35,000 तक नये कर्मचारियों को शामिल करेगी। आंकड़ों के लिहाज से यह एक अच्छी संख्या है लेकिन इससे सिर्फ कंपनी की मजबूत आमदनी का संकेत मिलता है न कि आपरेटिंग प्रॉफिट का। जून में समाप्त होने वाली तिमाही में इन कंपनियों के प्रदर्शन केकमजोर रहने के आसार हैं।


इस आशंका का कारण कंपनियों का कर्मचारियों के वेतन में की जाने वाली बढ़ोतरी का दबाव भी जिम्मेदार है। टीसीएस केभी इस कारण परेशानी खड़ी हो सकेगी क्योंकि कंपनी मुख्यत: अमेरिकी ग्राहकों पर गौर करती है। कंपनी के सकारात्मक पहलू यह है कि कंपनी लगातार बड़े सौदों को प्राप्त करने में सफल होती है। मार्च में समाप्त हुई तिमाही में कंपनी छह सौदों पर कब्जा जमाने में सफल हुई थी।


जहां टीसीएस के परिणाम शेयर बाजार की आशाओं को बरकरार रखने में कामयाब न हुए, वहीं विप्रो और इन्फोसिस ने ठीक ठाक प्रदर्शन किया। टीसीएस का स्टॉक 887 रुपये के स्तर पर वित्तीय वर्ष 2009 की अनुमानित आय से 15.5 फीसदी कम पर कारोबार कर रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में जारी मंदी के कारण सॉफ्टवेयर कंपनियों को इस वर्ष में ज्यादातर मौकों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।


इस दौरान इन्फोसिस के अपने बेहतर लाभ और निष्पादन केकारण सॉफ्टवेयर सेक्टर में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। सत्यम कम्प्यूटर ने सॉफ्टवेयर क्षेत्र में अपनी बेहतर बढ़त को लगातार बरकरार रखा है। टीसीएस को वित्तीय वर्ष 2009 में वित्तीय वर्ष 2008 की अपेक्षा 14 फीसदी का शुध्द लाभ मिलना चाहिये जबकि वित्तीय वर्ष 2008 में टीसीएस की कुल आय 5,019 करोड़ रुपये रही थी।


बायोकॉन-बढ़त की उम्मीद


कुल 1054 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनी बॉयोकॉन का ऑपरेटिंग प्रॉफिट भले ही केवल 5.7 फीसदी बढ़कर 299 करोड़ रुपये का रहा हो और ऑपरेटिंग मार्जिन 0.3 फीसदी घटकर 28.4 फीसदी पर आ गया हो लेकिन बाजार को कंपनी से इससे बेहतर नतीजों की उम्मीद नहीं थी। बाजार यह मान कर चल रहा था कि रुपये की बढ़ती कीमतों का इसके नतीजे पर अच्छा खासा असर होगा।


पिछले कारोबारी साल के नतीजों की तुलना 2007 के नतीजों से नहीं की जा सकती क्योंकि 2007-08 में इसका मुनाफा एन्जाइम डिवीजन की बिक्री की वजह से भी काफी बढ़ गया है। अगर इस बिक्री को एडजस्ट करके देखा जाए तो इस दौरान कंपनी का मुनाफा 13 फीसदी बढ़कर 225 करोड़ रुपये होगा जबकि कारोबार में 19 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।


बेंगलुरु स्थित इस कंपनी के बायोफार्मा डिवीजन का करोबार 12 फीसदी की दर से बढ़ा है और कुल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी 79 फीसदी रही है। अगर कंपनी को इंसुलिन जैसे उत्पाद को विदेशों में लॉन्च करने की मंजूरी मिल जाए तो इसका कारोबार तेजी से बढ सकता है।


दूसरी तरफ,कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च बिजनेस जिसक ी बिक्री में 17 फीसदी हिस्सेदारी है,बढ़कर 29 फीसदी हो गई है। हालांकि इस बिजनेस के खर्च में भी इजाफा दर्ज हुआ है। यह खर्च 26 फीसदी बढ़कर 48 करोड़ रुपये का हो गया है। लिहाजा इस खर्च का दबाव कंपनी के मार्जिन पर भी पड़ा है। हालांकि प्रबंधन का मानना है कि कंपनी का रिसर्च पर किया जा रहा यह खर्च कंपनी को फायदा पहुंचाएगा।


कारोबार को रफ्तार देने के लिहाज से आने वाले दिनों में बॉयोकान ने जर्मनी स्थित कंपनी एक्सीकॉर्प के 70 फीसदी स्टेक खरीदने की योजना बनाई है। इसके लिए कंपनी को कुल 3 करोड़ पौंड खर्च करने पड़ेंगे। गौरतलब है कि पश्चिमी यूरोपीय बाजार में एक्सीकॉर्प जेनेरिक और एलाइड मेडिकल उत्पादों की मार्के टिंग और वितरण करता है। साथ ही इसने दिसंबर 2007 तक 12 महीनों के दौरान कुल 7 करोड़ 50 लाख पौंड का कारोबार किया था। नतीजों का असर कंपनी  के शेयर पर भी पडा है।

First Published - April 23, 2008 | 11:06 PM IST

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