सिंटेक्स की जर्मन की सहायक कंपनी गाइजर टेकि्क के दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाने से इसके शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है।
प्लास्टिक के उपकरण बनाने वाली इस कंपनी ने अगस्त 2008 में जर्मनी की कंपनी गाइजर के अधिग्रहण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी और तब से अब तक सिंटेक्स ने इस कंपनी में 70 लाख यूरो (46 करोड़ रुपये) का निवेश कर चुकी है।
गाइजर ऑटो क्षेत्र केलिए प्लास्टिक केउपकरण बनती है और अगर यह दिवालिया घोषित होती है तो फिर सिंटेक्स को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। कंपनी ने जितनी भी रकम का निवेश गाइजर में किया है उससे इसे हाथ धोना पड़ सकता है।
लेकिन अगर गाइजर के दिवालिया होने से बच जाती है और इसके बाद इसकी स्थिति में सुधार होता है तो फिर उस स्थिति में सिंटेक्स कंपनी में पहले तय किए गए सौदे यानी 3.56 करोड़ यूरो से कम कीमत पर इसमें 90 फीसदी तक की हिस्सेदारी प्राप्त कर सकती है।
हालांकि सिंटेक्स के प्रबंधन का कहना है कि कंपनी दूरसंचार, इलेक्ट्रिकल और वायुयान उद्योग के क्षेत्र में कारोबार में गिरावट देख रही है।
दिसंबर 2008 में कंपनी के समेकित लाभ में साल-दर-साल के हिसाब से 33 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है जबकि परिचालन लाभ 130 आधार अंक फिसलकर साल-दर- साल के हिसाब से 15.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है।
इसकी वजह कंपनी को इन्वेंट्री में हुआ घाटा रहा। कंपनी के शुध्द मुनाफेमें 20 फीसदी की तेजी देखी गई जो अब तक अपने न्यूनतम स्तर पर है। वित्त वर्ष 2008-09 में कंपनी का शुध्द मुनाफा 230 करोड़ रुपये था।
कंपनी प्रबंधन का मानना है कि कमोडिटी की कीमतों में कमी आने से मार्जिन में सुधार हो सकता है और इसके बाद कंपनी वर्ष 2008-09 में राजस्व में 40-45 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकती है जो वित्त वर्ष 2008-09 में 2,298 करोड रुपये आंकी गई थी।
इसका कारण यह है कि वायुयान और प्रतिरक्षा क्षेत्र में मांग की स्थिति बेहद मजबूत है। इसके अलावा भीमकाय आवासीय निर्माण क्षेत्र में कारोबार की स्थिति बेहतर रहने की स्थिति में कंपनी के लिए आसार और भी अच्छे हैं। इस क्षेत्र का कंपनी के राजस्व में योगदान 9 फीसदी का होता है।
सन फार्मा: उम्मीद बरकरार
अमेरिका में अपने चार और नए उत्पादों की बिक्री की अनुमति मिलने के साथ ही सन फार्मा को आशा है कि इससे कंपनी मौजूदा साल में अपने राजस्व में 25 फीसदी का राजस्व और जोड़ पाएगी।
अमेरिकी बाजार मे कंपनी की बिक्री वर्ष 2007-08 में करीब 1,400 करोड रुपये थी जिसका कंपनी के कुल राजस्व में योगरदान 40 फीसदी का था। सितंबर 2008 की तिमाही में अमेरिकी बाजार में हुई बिक्री का कंपनी के राजस्व में योगदान 43 फीसदी रहा था।
सन फार्मा को अब अमेरिकी बाजार में जेनरिक दवाईयां एलाल्जेसिक (कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करनेवाली दवा) के अलावा कुछ अन्य दवाइयां बेच सकती है लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इससे कंपनी को किस हद तक फायदा होगा और इससे कंपनी ने उम्मीदे पाल रखीं हैं, वो पूरी होगी या नहीं।
कंपनी की अवसाद से निजात दिलानेवाली दवा इफेक्सर के अमेरिकी बाजार में उतारने में हो रही देरी साथ ही यूएस एफडीए द्वारा सन की सहायक कंपनी केराको को नवंबर 2008 में चेतावनी जारी करने के बाद कंपनी के शेयरों पर कुछ हद तक इसका असर पडा है।
हालांकि इसके बाद भी कंपनी के शेयरों ने पूरे वर्ष 2008 में बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया है। बीएसई में सेंसेक्स की 30 प्रमुख कंपनियों में शामिल 3,357 करोड रुपये की कंपनी को रैनबैक्सी की तरह ही कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि रैनबैक्सी को भी अमेरिका में अपने कारोबार को लेकर बहुत परेशानियों का सामना करना पडा था और कमोबेश यही स्थिति सन फार्मा के साथ भी है।
हालांकि पेंटेट धारकों के साथ जारी कानूनी लडाई के बावजूद सन ने जुर्माने का खतरा उठाते हुए कुछ संयुक्त उद्यम के तहत जेनरिक दवाईयां बाजार में उतारी है।
उदाहरण के लिए सन ने पेंट्रोप्रोजोल और इथयोल को बाजर में उतारा है जबकि यह अमेरिका में पेंटेट धारक वेइथ के साथ कानूनी लडाई लड़ रही है। कंपनी अगले कुछ सालों में अमेरिकी बाजार में करीब 100 एएनडीए दवाओं के बाजार में उतारने की अनुमति मिल जाने की आशा कर रही है।