सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के लिए प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) संग्रह 78,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है। कोविड-19 के बाद से शेयर बाजार में तेजी आने की वजह से एसटीटी संग्रह में भी इजाफा हुआ है। हालांकि मौजूदा बाजार हालात और ताजा नियामकीय बदलावों को ध्यान में रखते हुए नए अनुमानों को महत्वाकांक्षी माना जा रहा है।
बजट में मौजूदा वित्त वर्ष 2025 के लिए एसटीटी अनुमान 37,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 55,000 करोड़ रुपये किया गया। केंद्र को संशोधित आंकड़ों की तुलना में 40 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024) में एकत्रित 33,778 करोड़ रुपये की तुलना में 63 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
वित्त वर्ष 2025 के लिए, केंद्र ने पहले ही एसटीटी के माध्यम से 42,000 करोड़ एकत्र कर लिए हैं, जिससे इसमें इजाफा हुआ है।
जीरोधा में प्राइमरी मार्केट्स ऐंड पेमेंट्स के उपाध्यक्ष मोहित मेहरा ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2026 के लिए, वे यह संग्रह बढ़कर 77,000 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान जता रहे हैं, जो इस साल से 40 फीसदी की वृद्धि है। चूंकि एसटीटी दरें नहीं बढ़ी हैं इसलिए इस बढ़े हुए संग्रह का कारण ट्रेडिंग मात्रा में वृद्धि को माना जा सकता है। हालांकि जून 2024 से ट्रेडिंग कारोबार घटने से यह स्पष्ट नहीं है कि अनुमानित वृद्धि को समायोजित करने के लिए क्या बदलाव होने की उम्मीद है।’
एसटीटी सरकार के कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह का एक हिस्सा है, जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों पर किए जाने वाले सभी प्रतिभूति सौदों पर लगाया जाता है। इनमें शेयर, वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) और यहां तक कि इक्विटी-केंद्रित म्युचुअल फंड भी शामिल हैं। इस मार्ग के माध्यम से कर संग्रह तब बढ़ता है जब ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है, जो सेकंडरी बाजार के प्रदर्शन से जुड़ा होता है।
यह जरूरी है कि सरकार के राजकोषीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए एसटीटी संग्रह में आ रही तेजी को बरकरार रखा जाए।
एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘देश के लिए शुद्ध कर राजस्व सालाना आधार पर 11 फीसदी (वित्त वर्ष 2026 बजट अनुमान बनाम वित्त वर्ष 2025 के संशोधित अनुमान/आरई) तक बढ़ने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2025आरई बनाम वित्त वर्ष 2024 वास्तविक में संभावित 9.9 फीसदी वृद्धि के मुकाबले अधिक है। यह कॉरपोरेट कर संग्रह में 10.4 प्रतिशत की वृद्धि पर निर्भर करता है, जो 10.8 लाख करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2025 की अनुमानित 7.4 प्रतिशत वृद्धि से अधिक है। आयकर में वृद्धि 14.4 प्रतिशत पर है, जबकि एसटीटी संग्रह में बड़ी वृद्धि की उम्मीद है। हालांकि यह महामारी के बाद से सबसे धीमी वार्षिक वृद्धि दर होगी, लेकिन यह अप्रत्यक्ष कर संहित में बदलाव की वजह से बड़े राजस्व नुकसान को देखते हुए एक उत्साहजनक है।’
यूबीएस सिक्योरिटीज में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, ‘हमारा मानना है कि इस साल इक्विटी बाजार का प्रदर्शन भी पूंजीगत लाभ कर और एसटीटी से संग्रह को भी निर्धारित करेगा, जो कि महामारी से पहले की अवधि (6.5 अरब डॉलर) की तुलना में काफी बढ़कर 15 अरब डॉलर हो गया।’
सितंबर से सेंसेक्स और निफ्टी में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। आर्थिक मंदी और कॉरपोरेट आय से जुड़ी चिंताओं की वजह से बाजार में यह गिरावट आई। बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और डॉलर में मजबूती के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली से भी निवेशक धारणा प्रभावित हुई है। बेहद महत्वपूर्ण बात यह है कि डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग वॉल्यूम अपने ऊंचे स्तर से घटी है। इस सेगमेंट में सट्टेबाजी गतिविधि नियंत्रित करने के लिए बाजार नियामक सेबी द्वारा सख्त ट्रेडिंग मानक पेश किए जाने के बाद कारोबार की मात्रा में कमी आई है। जनवरी में, एफऐंडओ सेगमेंट के लिए औसत दैनिक टर्नओवर (एडीटीवी) 298 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सितंबर में 537 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई से 44 प्रतिशत कम था। यह गिरावट नए नियमों की शुरूआत के बाद आई है। इन नियमों में प्रत्येक एक्सचेंज के लिए एक साप्ताहिक निपटान और हायर एक्स्ट्रीम लॉस मार्जिन मुख्य रूप से शामिल हैं।