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पिछले दशक में पहली बार ऐसा देखने को मिला है कि इक्विटी म्युचुअल फंडों (MF) में निवेश फ्लो इक्विटी बाजार के पिछले प्रदर्शन से इस मायने में काफी अलग रहा है कि निवेशकों ने सुस्त प्रतिफल के बावजूद निवेश बरकरार रखा है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) द्वारा किए गए रिसर्च से पता चला है कि कई योजनाओं के लिए कमजोर एक वर्षीय प्रतिफल के बावजूद नवंबर 2022 से इक्विटी फंडों में निवेश प्रवाह मजबूत बना हुआ है। अध्ययन से पता चला है कि जनवरी 2021 के बाद से इक्विटी बाजार में कमजोर प्रदर्शन के पिछले हरेक दौर में 6 महीने की अवधि के बाद पूंजी प्रवाह घट गया था।
पिछले रुझान से अलग, इस बार SIP के जरिये किए जाने वाले मजबूत प्रवाह, ऊंचे एकमुश्त निवेश और कम बिकवाली से मदद मिली। खासकर इक्विटी योजनाओं से जुड़ा SIP फ्लो अक्टूबर 2022 से 13,000 करोड़ रुपये से ऊपर बना हुआ है।
KIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली बार जब इक्विटी बाजार ने जुलाई 2018 से जुलाई 2020 की अवधि में कमजोर प्रदर्शन किया था, इक्विटी MF में 6 महीने की कमजोरी के बाद तेजी दर्ज की गई थी। हरेक तेजी के बाद इक्विटी प्रवाह में तेजी आती रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पिछले दशक के आंकड़े से 6 महीने बाद के एक वर्षीय प्रतिफल और म्युचुअल फंड के शुद्ध इक्विटी प्रवाह के बीच अंतर का पता चलता है। हालांकि हमने पिछले कुछ महीनों में विपरीत हालात दर्ज किए हैं, क्योंकि बाजार प्रतिफल एक अंक में ठहरा रहा, जबकि शुद्ध पूंजी प्रवाह नवंबर 2022 के करीब शून्य से तेजी से बढ़कर मार्च 2023 में 20,000 करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गया।’
हालांकि इसका अंदाजा लगाना कठिन है कि क्या यह अंतर अस्थायी है या स्थायी, लेकिन यदि बाजार से SIP फ्लो (जैसा कि 2021 के शुरू से देखा गया) को अलग रखकर आकलन किया जाए तो इक्विटी बाजार प्रदर्शन और MF फ्लो के बीच संबंध कमजोर माना जा सकता है।
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SIP विकल्प के लिए खुदरा निवेशकों की बढ़ती पसंद से कुल प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (AUM) में SIP की भागीदारी को बढ़ावा मिला है। आंकड़े से पता चलता है कि कुल इक्विटी AUM में SIP का योगदान अब 34 फीसदी है जो वित्त वर्ष 2019 के अंत में 25 फीसदी था।
मजबूत SIP प्रवाह के अलावा, निवेशक धारणा में एक सामान्य बदलाव इक्विटी में निवेश करने के रुझान से जुड़ा हुआ है। नवंबर 2022 में ICICI डायरेक्ट ने कहा था कि निवेशक पिछले कुछ वर्षों में बाजार में अवसर तलाशने की कोशिश कर रहे थे और ज्यादा उतार-चढ़ाव के समय में भी निवेश करने को तैयार थे।
अध्ययन के अनुसार, पिछले चार-पांच साल में कम से कम तीन ऐसे उदाहरण देखने को मिले जब निवेशकों ने उस हालात में म्युचुअल फंडों में अपना इक्विटी निवेश बढ़ाया, जब बाजार गिर रहा था। इसी तरह, बाजार में तेजी के बाद वे अपना निवेश भुनाते दिखे।