करीब दो दर्जन कंपनियों को सूचीबद्धता नियमों के उल्लंघन की वजह से नियामकीय कार्रवाई का सामना करना पड़ा है।
हालांकि जुर्माने की मात्रा इन कंपनियों के आकार के मुकाबले काफी मामूली है, लेकिन इस घटनाक्रम ने महिला निदेशकों को नियुक्त करने और उचित बोर्ड गठन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को सुर्खियों में ला दिया है। प्रथम स्तर के नियामकों के तौर पर काम करने वाले स्टॉक एक्सचेंजों ने एसीसी, रेल विकास निगम, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, अदाणी एंटरप्राइजेज और गेल (इंडिया) जैसी कंपनियों पर सूचीबद्धता नियमों का उल्लंघन करने की वजह से जुर्माना लगाया है। मुख्य तौर पर महिला और स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति से जुड़े उल्लंघनों के कारण इन कंपनियों पर यह सख्ती बरती गई है।
जिन मामलों में महिला स्वतंत्र निदेशक नहीं पाए गए, उनमें जुर्माना 5.37 लाख रुपये तक लगाया गया। कुछ कंपनियों ने तकनीकी आधार पर इस कार्रवाई का विरोध किया है।
हालांकि सूचीबद्ध कंपनियों के आंकड़ों पर नजर रखने वाली फर्म प्राइम इन्फोबेस द्वारा जारी आंकड़े से पता चलता है कि मौजूदा समय में 394 सूचीबद्ध कंपनियों के बोर्ड में महिला स्वतंत्र निदेशक नहीं हैं। इनमें से कुछ में भारतीय स्टेट बैंक, अदाणी ग्रीन, जी एंटरटेनमेंट और कोल इंडिया जैसे बड़े नाम शामिल हैं। लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट्स (एलओडीआर) के तहत, शीर्ष-1000 सूचीबद्ध कंपनियों को अपने बोर्ड में कम से कम महिला स्वतंत्र निदेशक रखना जरूरी है। इसके अलावा, उनके बोर्ड में कम से कम 50 प्रतिशत सदस्यों में स्वतंत्र निदेशक होने चाहिए।
जिन कंपनियों ने लगाए गए जुर्माने का खुलासा किया है, उनमें ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र की हैं।