प्रतीकात्मक तस्वीर
छोटे व मझोले उद्यमों (एसएमई) के शेयरों की सूचीबद्धता के पहले दिन का उल्लास अब गायब होता नजर आ रहा है। अब उन कंपनियों की संख्या बढ़ रही है जिनके शेयर आगाज पर नुकसान के साथ बंद हुए।
इस साल एसएमई प्लेटफॉर्म पर संयुक्त रूप से 8,192 करोड़ रुपये जुटाने वाली 165 कंपनियों में से 61 (37 फीसदी) के शेयर सूचीबद्धता के दिन अपने इश्यू प्राइस से नीचे बंद हुए। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार इसके मुकाबले 2024 में 8,479 करोड़ रुपये जुटाने वाली 227 कंपनियों में से केवल 21 (9 फीसदी) ही शुरुआती कारोबार में पेशकश कीमतों से नीचे फिसलीं।
दूसरे तरह से भी माहौल ठंडा पड़ा है। इस साल सिर्फ नौ शेयरों की कीमत दोगुनी हई है जबकि 2024 में ऐसे शेयरों की संख्या 69 थी। पिछले साल एसएमई सेगमेंट में असाधारण उछाल देखने को मिली थी – विनसोल इंजीनियर्स ने शुरुआत में ही 411 फीसदी की छलांग लगाई जबकि मैक्सपोजर, जीपी इको सॉल्यूशंस, मेडिकामेन ऑर्गेनिक्स और के सी एनर्जी ऐंड इन्फ्रा सभी ने 300 फीसदी से ज्यादा की बढ़त दर्ज की।
एक्सचेंजों ने जुलाई 2024 में एसएमई स्टॉक लिस्टिंग पर 90 फीसदी की अधिकतम सीमा लागू कर दी थी। उसके बाद से पहले ही दिन नुकसान में इजाफा हुआ है और सूचीबद्धता प्रीमियम नरम पड़ा है। एक्सचेंजों ने प्री-ओपन सौदों में इश्यू कीमत से 20 फीसदी नीचे की सीमा लागू कर दी जो अगस्त 2025 से प्रभावी हुई है।
आईएनवीऐसेट पीएमएस के बिजनेस हेड हर्षल दासानी के अनुसार एसएमई सूचीबद्धता पर ऊपरी और निचली सीमाएं और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की नियामकीय सख्ती ऐसे दो मजबूत कारण हैं जिन्होंने आगाज के दिन का गणित बदल दिया है। उन्होंने कहा कि लिस्टिंग की सीमा लगने से वह भारी उछाल खत्म हो गई है जो 2024 की विशेषता बन गई थी। अब शुरुआती सौदे कहीं ज्यादा अनुशासित तरीके से हो गए हैं।
उन्होंने कहा कि प्री-ओपन सीमा में 90 फीसदी की बाध्यता है। इसलिए ग्रे-मार्केट का प्रीमियम अब पहले दिन तीन अंकों के लाभ में नहीं बदलता। रेड लिस्टिंग में उछाल एक ऐसे बाजार का संकेत है जो जोखिम का अधिक तर्कसंगत मूल्यांकन कर रहा है, न कि एसएमई को छोड़ रहा है।
इससे पहले एसएमई आईपीओ पहले ही दिन भारी रिटर्न देते थे और कुछ शेयरों की कीमतें एक ही सत्र में दोगुनी हो गई थीं। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि 90 फीसदी की सीमा ने एसएमई के आईपीओ में सट्टेबाज़ी के आकर्षण को घटा दिया है।
बे कैपिटल पार्टनर्स में प्रिंसिपल (पब्लिक इक्विटीज) राहुल कुमार झा ने कहा, एसएमई क्षेत्र में खुदरा निवेशकों का उत्साह कम नहीं हुआ है। आईपीओ आवेदनों की औसत संख्या पिछले साल की तुलना में अभी भी ज्यादा है, जिससे मजबूत खुदरा भागीदारी का पता चलता है। लेकिन 90 फीसदी की सीमा और आक्रामक आईपीओ मूल्य निर्धारण ने सूचीबद्धता के बाद की रफ्तार को धीमा कर दिया है।
तथापि विश्लेषक इस सुस्ती को द्वितीयक बाजार की कमजोरी से जोड़ रहे हैं। 2024 और 2025 में एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध हुए करीब 45 फीसदी शेयर अपने निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं।
हेम सिक्योरिटीज की वरिष्ठ शोध विश्लेषक आस्था जैन ने कहा कि बाजार खासकर सेकंडरी बाजार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और प्राथमिक बाजार में आईपीओ आमतौर पर तब ही बड़ते हैं जब नकदी की स्थिति अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी की सीमा ने जहां खुदरा क्षेत्र के अत्यधिक उत्साह को कम किया है, वहीं इससे सतर्कता में भी इजाफा हुआ है।
झा ने भी इसी नजरिये को दोहराया और कहा कि वैश्विक अस्थिरता और कमजोर कारोबारी प्रदर्शन के बीच कई एसएमई को वर्ष की पहली छमाही में संघर्ष करना पड़ा है, जिससे सूचीबद्धता के बाद उनकी स्थिरता को लेकर चिंता बढ़ गई।