अनधिकृत तरीके से वित्तीय जानकारी साझा करने की वजह से ग्राहकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भुगतान एग्रीगेटरों के कारोबारी मॉडल की समीक्षा करने का निर्णय किया है।
घटनाक्रम के जानकार सूत्रों के अनुसार हाल में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों और ग्राहकों की शिकायतों के मद्देनजर बैंकिंग नियामक ने ऐसी इकाइयों से ग्राहक की जानकारी साझा करने समेत अपनी गतिविधियों की जानकारी देने के लिए कहा है।
भुगतान एग्रीगेटर ऐसी कंपनियां होती हैं जो ई-कॉमर्स साइटों और विक्रेताओं को ग्राहकों से अपना भुगतान प्राप्त करने के लिए विभिन्न भुगतान साधनों को स्वीकार करने की सुविधा मुहैया कराती हैं। इन इकाइयों को एग्रीगेटर बनने के लिए आरबीआई से मंजूरी लेनी होती है। आरबीआई ने मार्च 2021 तक न्यूनतम 15 करोड़ रुपये की हैसियत और मार्च 2023 से 25 करोड़ रुपये की हैसियत वाली इकाइयों को भुगतान एग्रीगेटर बनने की अनुमति दी है।
दो साल पहले यूपीआई और रुपे लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) खत्म करने के बाद भुगतान एग्रीगेटर राजस्व जुटाने के लिए चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भुगतान एग्रीगेटर विक्रेताओं के लिए भुगतान पूरे कराकर आय अर्जित करते हैं।
एमडीआर समाप्त होने के बाद इन एग्रीगेटरों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से गठजोड़ कर लिया है और उन्हें ग्राहकों की जानकारी देते हैं। इसके अलावा उन्होंने उधारी गतिविधियां शुरू करने के लिए आरबीआई के पास लाइसेंस का आवेदन किया है। भुगतान उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘भुगतान एग्रीगेटर ने भुगतान ढांचा विकसित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में काफी निवेश किया है। हालांकि एमडीआर को खत्म किए जाने के बाद उनकी आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है क्योंकि लेनदेन में मदद से होने वाली उनकी कमाई बंद हो गई है।’ उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियां अब एनबीएफसी के साथ भुगतान डेटा साझा कर कमाई करने का प्रयास कर रही हैं। इन्होंने एनबीएफसी के ऋण की बिक्री के लिए एनबीएफसी से गठजोड़ भी किया है और कमीशन से कमाई कर रही हैं। फोन पे और गूगल पे सबसे बड़े भुगतान एग्रीगेटरों में से एक है। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के जरिये होने वाले लेनदेन में 80 फीसदी हिस्सेदारी इन्हीं की है। चालू वित्त वर्ष में यूपीआई ने 40.49 अरब से ज्यादा लेनदेन में 74.51 लाख करोड़ रुपये मूल्य की रकम को संसाधित किया है। लेनदेन की संख्या पिछले वित्त वर्ष की तुलना में करीब दोगुनी है। इसके अलावा पेटीएम, भारतपे, सीसी एवेन्यू, पाइन लैब्स, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक तथा कुछ अन्य निजी बैंक भी इस कारोबार से जुड़े हैं।
केंद्रीय बैंक के सूत्रों ने संकेत दिया कि निगरानी विभाग को भुगातन एग्रीगेटरों और भुगतान पारिस्थितिकी से जुड़ी कंपनियों से संबंधित मसले का पता लगाने का काम सौंपा गया है।
एक अन्य सूत्र ने कहा कि भुगतान यानी पेमेंट हिस्ट्री की जानकारी महत्त्वपूर्ण होती है क्योंकि ऐसे आंकड़ों को संग्रहीत करने वाली ज्यादा एजेंसियां नहीं हैं।
