facebookmetapixel
पिरामल फाइनेंस श्रीराम लाइफ में 14.72% हिस्सेदारी Sanlam ग्रुप को बेचेगी, ₹600 करोड़ का सौदाEPFO का बड़ा फैसला: नौकरी बदलते समय वीकेंड और छुट्टियां अब सर्विस ब्रेक नहीं मानी जाएंगीइस साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में लोगों की ये गलतियां पड़ीं भारी, रिफंड अटका और मिला नोटिसजापान की MUFG श्रीराम फाइनेंस में 20% खरीदेगी हिस्सेदारी, ₹39,618 करोड़ का निवेशस्मार्टफोन चमके, कपड़ा डूबा- भारत के निर्यात की अंदरूनी कहानी₹546 करोड़ जब्ती पर बड़ा मोड़, अवधूत साठे की याचिका पर SAT में 9 जनवरी को सुनवाईकम रिस्क में नियमित आमदनी? कैसे चुनें बेहतर फिक्स्ड इनकम म्युचुअल फंडIPO की राह पर अदाणी एयरपोर्ट्स, 2030 तक ₹1 लाख करोड़ निवेश का प्लानइंडसइंड बैंक की अकाउंटिंग गड़बड़ियों पर SFIO की सख्ती, बैंक अधिकारियों से हुई पूछताछ20% प्रीमियम पर लिस्ट हुआ ICICI Pru AMC, ब्रोकरेज ने दिए ₹3,000 से ज्यादा के टारगेट

एमएफ निवेशकों को भा रहीं एसआईपी योजनाएं

Last Updated- December 12, 2022 | 6:21 AM IST

औसत म्युचुअल फंड (एमएफ) निवेशक द्वारा हासिल प्रतिफल सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लांस (एसआईपी) के मुकाबले काफी कम हैं। यह तीन प्रमुख श्रेणियों – इक्विटी, डेट और योजनाओं जो दोनों (हाइब्रिड) में निवेश करती हैं, उनके लिए सही है।
ऐक्सिस म्युचुअल फंड द्वारा कराए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि इक्विटी एमएफ निवेशक द्वारा हासिल औसत सालाना प्रतिफल वर्ष 2003 और 2020 के बीच 13.2 प्रतिशत था। दूसरी तरफ, इक्विटी एसआईपी और फंडों ने 14.5 प्रतिशत और 18.7 प्रतिशत का प्रतिफल दिया।
ऐक्सिस एमएफ के अनुसार अल्पावधि प्रतिफल पर ध्यान देने, बाजार के समय, निवेश तकनीकों, और पोर्टफोलियो में बार बार बदलाव ऐसे कारक हैं जिनसे मुनाफे पर दबाव को बढ़ावा मिला है।
ऐक्सिस एमएफ ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है, ‘जैसा कि हमने बार बार विभिन्न बाजार चक्र देखे हैं और बाजार में भारी गिरावट का निवेशक प्रवाह पर व्यापक प्रभाव पड़ा और 2020 में भी इसी तरह की स्थिति देखी गई, खासकर इक्विटी फंडों के मामले में।’
ऐक्सिस एमएफ ने कहा, ‘मजबूती के साथ सकारात्मक होने के साथ, इक्विटी में निवेश प्रवाह 2020 की दूसरी छमाही में नकारात्मक हो गया, क्योंकि बाजार में गिरावट का प्रभाव दिखा। हमने उद्योग के एसआईपी संबंधित बहीखाते में भारी गिरावट दर्ज की, क्योंकि जिन निवेशकों की एसआईपी पूरी हो रही थीं, उन्होंने उन्हें रिन्यू कराना उचित नहीं समझा, या कई अन्य ने मौजूदा एसआईपी को ही रद्द करा दिया।’
बाजार कारोबारियों का कहना है कि कई निवेशकों ने पिछले साल के शुरू में ही निवेश से रकम निकाल ली क्योंकि उनका मानना था कि तेजी काफी अच्छी थी।
कोविड-19 के समय 23 मार्च 2020 के अपने निचले स्तरों से सेंसेक्स 11 महीने के अंदर दोगुना हो गया।
वित्त वर्ष 2020 में एसआईपी के जरिये निवेश प्रवाह 1 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2021 के पहले 11 महीने के लिए एसआईपी प्रवाह 86,898 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल जुलाई से इक्विटी फंडों ने लगातार 46,800 करोड़ रुपये से ज्यादा की शुद्घ निकासी दर्ज की है।
इससे संकेत मिलता है कि आवंटन में वृद्घि के बजाय, एसआईपी निवेशकों ने अपना निवेश फिर से बढ़ाया है।
हाइब्रिड फंडों से प्रतिफल 9.3 प्रतिशत था, जो वर्ष 2003 और 2020 के बीच 12.2 प्रतिशत था। डेट फंडों में, यह प्रतिफल 7.7 प्रतिशत था, जबकि 2009 और 2020 के बीच 7.8 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
इसलिए, ऐसे में निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
ऐक्सिस एमएफ का कहना है, ‘अल्पावधि में बाजार के उतार-चढ़ाव में न फंसें, खासकर तब जब बाजार गिरावट से गुजर रहा हो। ये चीजें इक्विटी बाजारों का मुख्य हिस्सा रहीं हैं। जोखिम वाले अल्पावधि बाजार पर ध्यान देने के बजाय फंडों या लंबी अवधि में प्रतिफल देने वाली योजनाओं में निवेश करें।’

First Published - April 2, 2021 | 11:26 PM IST

संबंधित पोस्ट